शरारती और जिद्दी बच्चे को ठीक करना है तो माता-पिता रखें इन 10 बातों का ध्यान, बच्चा आसानी से मानेगा बात

किसी भी माता-पिता के लिए बच्चों की परवरिश करना इतना आसान काम बिल्कुल भी नहीं है। बच्चे पूरा दिन शोर-शराबा और हंगामा करते रहते हैं क्योंकि उनका स्वभाव बहुत ही चंचल और शरारती होता है। यही वजह है कि अपनी हरकतों से वह अपने माता-पिता की नाक में दम किए रखते हैं। अगर आपका बच्चा शरारती और जिद्दी है तो हर समय बच्चों के साथ नरम व्यवहार कर पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

अगर आप अपने बच्चों को एक बेहतर इंसान बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए उन्हें अनुशासन में रखना बहुत ही आवश्यक है। हालांकि, ज्यादातर पेरेंट्स अनुशासन सिखाने के नाम पर वह अपने बच्चों को डांटने लगते हैं या फिर उनकी पिटाई कर देते हैं, जो सही नहीं है।

आप बच्चों को डांटने या उनकी पिटाई करने से अच्छा है उन्हें विनम्र और सौम्य तरीके से अनुशासन सिखाएं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, बच्चों को सकारात्मक तरीकों से अनुशासित रखने के कुछ तरीके बताए गए हैं। सकारात्मक तरीके से अनुशासन की तकनीक बच्चों को स्वभाव से जिम्मेदार बनाती है, जिससे वह अपना जीवन बेहतर तरीके से जी सकते हैं। तो चलिए इसके बारे में जानते हैं…

बच्चे नहीं, बुरा होता है व्यवहार

मान लीजिए अगर आपका बच्चा किसी अन्य बच्चे को मारता है, तो आप शरारती और बुरा बच्चा कहने से अच्छा है, उसे यह बताइए कि उसने जो हरकत की है वह गलत है। बच्चे को प्यार से यह समझाएं कि दूसरों को मारना नहीं चाहिए और जो उसने किया है उसके लिए उसको माफी मांगनी चाहिए। अगर आप इस तरह समझाते हैं तो आपके बच्चे को ऐसा लगेगा कि आप उससे बहुत प्यार करते हैं लेकिन उसे भी अपने व्यवहार को बदलने की आवश्यकता है।

व्यवहार करने का बताएं तरीका

अगर आपका बच्चा कुछ गलत करने जा रहा है और आप यह नोटिस करते हैं तो आप “ऐसा मत करो” कहने की बजाय उसे बताएं कि उसको क्या करना चाहिए। आप अपने बच्चे को ठीक से व्यवहार करना सिखाएं और उसे व्यवहार करने का सही तरीका दिखाएं।

सख्ती के साथ रखें सहानुभूति

आपको अपने बच्चे को सहानुभूति दिखाते हुए समझाना चाहिए। इससे वह आपकी भावनाओं को महसूस कर सकता है। अगर हम उदाहरण के तौर पर समझाने की कोशिश करें तो यदि आपका बच्चा कहता है- दूसरे बच्चे ने पहले लड़ाई शुरू की या फिर वह अपनी बॉल शेयर नहीं करता है, तो आपको उसे तसल्ली से सुनकर समझाना चाहिए।

आप उसे समझाएं कि तुम उस बॉल से खेलना चाहते हो लेकिन उसे पाने का यह तरीका गलत है। मान लीजिए कि आपका बच्चा एक बार बोलने से नहीं समझता है लेकिन अगर आप बार-बार यह बात बोलते हैं तो उसके व्यवहार में बदलाव जरूर आ जाएगा। आपको अपना आपा नहीं खोना चाहिए। आप अपने बच्चे के साथ धैर्य रखिए।

आत्मनिरीक्षण का दें समय

माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनको अपने बच्चे को आत्मनिरीक्षण का समय देना चाहिए। आखिर बच्चे ने कहा गलत किया है, इससे उसे समझने को मौका मिलेगा।

बच्चे को दें विकल्प

मान लीजिए अगर आपके बच्चे ने किसी को मारा है, तो आप उसको दो विकल्प दें। उदाहरण के तौर पर समझाने की कोशिश करें, तो आप अपने बच्चे से यह पूछिए कि क्या आप दूसरे बच्चे को मारने के लिए माफी मांगना चाहते हैं या फिर शांत होने तक टाइम-आउट में जाना चाहेंगे। इससे आपके बच्चे में नियंत्रण की भावना आती है और उसको ऐसा भी महसूस नहीं होगा कि आप उन्हें हरदम यह बताते हैं कि क्या करना है।

गलतियों को सबक में बदलें

अगर आपके बच्चे ने पहले कोई भी गलतियां की हैं, तो आप अपने बच्चे के द्वारा की गई पिछली गलतियों से भी कुछ सिखा सकते हैं।

सीमाएं करें तय

बच्चों के लिए कुछ सीमाएं तय करना बहुत ही आवश्यक है। मान लीजिए अगर आपका बच्चा खेलना अधिक पसंद करता है, तो यह बहुत ही अच्छी बात है परंतु इसके लिए आपको कुछ नियम बनाना भी जरूरी होता है। जैसा कि आप अपने बच्चे को यह कह सकते हैं कि अपना होमवर्क पूरा करने के बाद वह खेलने जा सकता है।

बच्चे को ना दें ऑर्डर

आपके बच्चे को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? इसका आदेश ना दें। इसकी जगह आप अपने बच्चे को काम करने के लिए नए तरीके अपनाने को भी सिखा सकते हैं।

सिखाएं परिस्थितियों का सामना करना

अगर मान लीजिए आपका बच्चा कोई भी बात नहीं मानता है और अभी तक उसका व्यवहार गलत चल रहा है, तो आप उसे उसके बुरे व्यवहार के परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रखें। परंतु आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि बच्चे के प्रति असभ्य मत होइए।

अच्छे व्यवहार को करें पुरस्कृत

अगर आपका बच्चा अच्छा व्यवहार करता है तो इसके लिए आपको हमेशा उसे पुरस्कृत करना चाहिए। इससे बच्चा उस तरह का व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित होता है। परंतु आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपको अपने बच्चे को पुरस्कृत करना है ना कि रिश्वत देकर भ्रमित करना है।