इस दिन भूलकर भी ना चढ़ाएं पीपल के वृक्ष को जल,वरना घर में छा जाएगी कंगाली,जानें इससे जुड़ी सभी सावधानियां

पीपल की पूजा करने के लाभ

शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करने वाले पर लक्ष्मी और शनि की कृपा हमेशा बनी रहती है।शनिवार के दिन अमावस्या हो तो सरसों के तेल का दीपक जलाकर काले तिल से पीपल वृक्ष की पूजा करने से शनि दोष के कष्ट दूर होते हैं।   पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी इसका फेरा लगाती है। इस समय फल पुष्प आदि अर्पित करने से लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है।शनिवार की शाम पीपल की जड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है तथा रुके हुए काम होने लगते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की 108 परिक्रमा और व्रत करना बहुत लाभकारी होता है।शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमान जी और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।

पीपल के पत्ते पर  शनिवार के दिन सिन्दूर  में घी, इत्र मिला कर लक्ष्मी का बीज मंत्र “ह्रिं” लिख कर तिजोरी में रखने से रुक धन प्राप्त होता है एवं धन की समस्या समाप्त होती है।नियमित उपाय से जीवन पर्यन्त किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती है और जो बाधा हो वह तत्काल दूर होने लगती है|

पीपल की पूजा में क्या ध्यान रखना चाहिए

हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार रविवार के दिन पीपल  की पूजा नहीं करनी चाहिए इससे घर में  दरिद्रता आती है और इसके अलावा रात को आठ बजे के बाद पीपल के आगे दिया नहीं जलाना चाहिए क्योंकि  आठ बजे के बाद देवी लक्ष्मी की बहन दरिद्रता का वास माना जाता है।पीपल घर से दूर होना चाहिए। इसकी छाया घर पर नहीं पड़नी चाहिये।शास्त्रों में कहा गया है कि पीपल के वृक्षको बिना प्रयोजन के काटना अपने पितरों को काट देने का समान है । ऐसा करने से वंशकी हानि होती है । यज्ञादि पवित्र कार्यों के उद्देश्य से इसकी लकड़ी काटने से कोई दोष न होकर अक्षय स्वर्ग की प्राप्ति होती है पीपल सर्वदेवमय वृक्ष है, अत: इसका पूजन करने से समस्त देवता पूजितो जाते हैं