इस दिन जुलाई माह में रखा जाएगा पहला प्रदोष व्रत, शिवजी की कृपा पाने के लिए जानिए संपूर्ण पूजा विधि

हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में त्रयोदशी तिथि को बहुत महत्व माना गया है। आपको बता दें कि इस बार आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत 7 जुलाई 2021 दिन बुधवार को है। इस दिन बुधवार पड़ रहा है इसी वजह से यह व्रत बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पहले शुरू की जाती है और सूर्यास्त के 45 मिनट के बाद की जाती है।

प्रदोष काल में विधि-विधान पूर्वक व्रत पूजा किया जाता है। इसी वजह से इसको प्रदोष व्रत के नाम से जानते हैं। ऐसा बताया जाता है कि अगर प्रदोष काल में भगवान शिव जी की पूजा की जाए तो इससे व्यक्ति को विशेष फल मिलता है। जो व्यक्ति भगवान शिव जी के निमित्त व्रत रखता है और विधि विधान पूर्वक पूजा करता है उसके घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से प्रदोष व्रत पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।

जानिए प्रदोष व्रत मुहूर्त

आषाढ़ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि आरंभ- 07 जुलाई 2021 रात 01:02 बजे से

आषाढ़ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि समाप्त- 08 जुलाई 2021 रात 03:20 बजे पर

त्रयोदशी तिथि पर सूर्योदय- सुबह 05:04 बजे पर

त्रयोदशी तिथि के दिन सूर्यास्त- शाम 06:42 बजे पर

प्रदोष व्रत पूजा विधि

  1. जो लोग प्रदोष व्रत कर रहे हैं वह त्रयोदशी तिथि को सुबह के समय जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
  2. इसके बाद जिस स्थान पर आप पूजा करेंगे, वहां की ठीक प्रकार से साफ सफाई कर लीजिए और धूप दीप जलाएं।
  3. अब शाम को प्रदोष काल के समय दोबारा से स्नान आदि करने के पश्चात आप पूजा शुरू कीजिए।
  4. अब भगवान शिव जी का गंगाजल से अभिषेक करने के पश्चात उन्हें पुष्प, अक्षत, धूप, दक्षिणा और नैवेद्य आदि चढ़ाएं।
  5. इसके बाद भगवान शिवजी को प्रसन्न करने के लिए चावल की खीर का भोग लगाएं।
  6. इसके बाद आप सुहागिन महिलाओं को मां पार्वती को श्रृंगार का सामान और लाल चुनरी चढ़ाना चाहिए।
  7. अब उसी स्थान पर बैठकर शिव मंत्रों का जाप या शिव चालीसा का पाठ करें।
  8. अब भगवान शिव और माता पार्वती जी की आरती करें।
  9. जब आपकी पूजा पूर्ण हो जाए तो आप फलाहार कर सकते हैं।

बुध प्रदोष व्रत का महत्व जानिए

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं बुधवार का दिन भगवान शिव जी के पुत्र श्री गणेश जी को समर्पित होता है। बुधवार के दिन भगवान गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस बार बुधवार के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इसी वजह से अगर व्यक्ति इस दिन व्रत पूजा करता है तो उसको भगवान शिव जी के साथ-साथ भगवान गणेश जी की भी पर कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शुभता का आगमन होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन का व्रत करने वाले लोगों के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं बल्कि व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति को गौदान के समान पुण्य फल मिलता है।