भारतीय फिल्म जगत के विलन का जिक्र होता है तो उसमें प्रेम चोपड़ा का नाम जरूर आता है। आप सभी लोगों ने मशहूर डायलॉग “प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा” तो सुना ही होगा। यह डायलॉग सुनते ही प्रेम चोपड़ा की छवि आंखों के सामने नजर आने लगती है। प्रेम चोपड़ा ने हिंदी सिनेमा जगत में विलेन का किरदार निभा कर अच्छी खासी कामयाबी हासिल की है। आपको बता दें कि प्रेम चोपड़ा का जन्मदिन 23 सितंबर को आता है। यह आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। हिंदी सिनेमा जगत के बेहतरीन एक्टर प्रेम चोपड़ा आज 85 वर्ष के हो गए हैं। इन्होंने फिल्मों में विलेन का किरदार निभाकर दर्शकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है। आज हम आपको इनके जन्मदिन पर इनके जीवन से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
प्रेम चोपड़ा का निजी जीवन
बॉलीवुड इंडस्ट्री में विलेन के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले एक्टर प्रेम चोपड़ा का जन्म 23 सितंबर 1935 को लाहौर में हुआ था। प्रेम चोपड़ा के पिता जी का नाम रनबीर लाल है और इनकी माता का नाम रूपरानी चोपड़ा है। भारत के विभाजन के पश्चात इनका परिवार शिमला में आकर बस गया था। प्रेम चोपड़ा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई शिमला से पूरी की है। इन्होंने स्नातक की पढ़ाई पंजाब विश्वविद्यालय से पूरी की है।
तंगी के दिनों में अखबार में किया काम
प्रेम चोपड़ा ने ज्यादातर फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया है। फिल्मों में एक्टिंग करना इतना आसान नहीं था। इन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में कई स्टूडियोज के चक्कर काटे हैं। जब इनको काम नहीं मिला तो इन्होंने फिल्मों में आने से पहले एक अंग्रेजी अखबार के दफ्तर में सरकुलेशन डिपार्टमेंट में नौकरी की थी। पार्ट टाइम काम करके यह अपना गुजारा चलाते थे। आपको बता दें कि इस पोस्ट का नियम भी कुछ अलग था जो उनके दिनचर्य से मेल नहीं खाता था। इस काम में 20 दिनों तक टूर पर रहना होता था परंतु इसी काम ने इनकी जिंदगी बदल दी थी।
ट्रेन में सफर के दौरान बदली थी प्रेम चोपड़ा की किस्मत
जब प्रेम चोपड़ा अंग्रेजी अखबार के दफ्तर में काम करते थे तो यह ज्यादातर टूर पर ही रहते थे। इसी टूर के दौरान उनकी मुलाकात एक अनजान व्यक्ति से हुई थी। तब उस व्यक्ति ने उनसे पूछा था कि क्या वह फिल्मों में काम करना चाहते हैं? तो इस बात का जवाब देते हुए प्रेम चोपड़ा ने “हां” बोला था और उन्हीं के साथ यह रंजीत स्टूडियो जा पहुंचे थे। रंजीत स्टूडियो में उनकी मुलाकात जगजीत सेठ से हुई थी जो फिल्म “चौधरी करनैल सिंह” के लिए हीरो की तलाश कर रहे थे। बस क्या था उनको प्रेम चोपड़ा पसंद आ गए और यह फिल्म सुपरहिट भी साबित हुई थी।
प्रेम चोपड़ा से महिलाओं को लगता था डर
जैसा कि हम सभी लोग अच्छी तरह जानते हैं कि प्रेम चोपड़ा ने हिंदी फिल्म जगत के अंदर विलेन के रूप में कामयाबी पाई है। यह फिल्मों में ज्यादातर महिलाओं पर बुरी नजर डालने वाले खलनायक की भूमिका में देखे जाते हैं। जब प्रेम चोपड़ा अपने किसी मित्र या रिश्तेदार के यहां पर पार्टी पर जाते थे तो वहां पर मौजूद महिलाएं इनसे डरती थीं, जिसकी वजह से प्रेम चोपड़ा बहुत असहज महसूस करते थे।
बताते चलें कि प्रेम चोपड़ा ने अपने करियर में अब तक 300 से भी अधिक फिल्मों में काम किया है और ज्यादातर फिल्मों में यह खलनायक की भूमिका में नजर आए हैं। वर्ष 1965 में प्रेम चोपड़ा की एक महत्वपूर्ण फिल्म “शहीद” आई थी। देशभक्ति के जज्बे से परिपूर्ण इस फिल्म में उन्होंने अपने किरदार से दर्शकों का दिल जीत लिया था, इसके बाद इन्होंने “तीसरी मंजिल” और “मेरा साया” जैसी फिल्मों में काम किया।