106 टायर के ट्राले पर चढ़ा रेल का इंजन, देख हैरान हुए लोग, तमाशबीनों की लग गई भीड़, पढिये पूरी खबर

अगर किसी भी लंबी दूरी की यात्रा करनी हो तो इसके लिए सबसे पहला ख्याल रेल का आता है। भारतीय रेल की यात्रा बहुत ही आरामदायक मानी गई है। ट्रेन का सफर अन्य साधनों की अपेक्षा सस्ता और आरामदायक होता है। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं ट्रेन को खींचकर मंजिल तक पहुंचाने का काम इंजन करता है। रेल का इंजन बहुत शक्तिशाली होता है। वह कई रेल के डिब्बों को खींचकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाता है।

आप सभी लोगों ने ज्यादातर रेलवे स्टेशन पर रेल का इंजन देखा होगा परंतु कभी अपने ट्राले पर चढ़ा रेल का इंजन देखा है? आप सभी लोग अब यही सोच रहे होंगे कि भला इतना बड़ा और भारी-भरकम रेल का इंजन ट्राले पर कैसे चढ़ सकता है लेकिन आपको बता दें कि 24 डिब्बों को खींचने वाला करीब 140 टन का रेल इंजन ट्राले पर रखा गया है जिसे देखने के बाद लोग हैरान हो गए।

दरअसल, रेलवे लाइन के करीब 50 फीट दूर गड्ढे में रेल का इंजन पड़ा था, जिसे उठाने में रेलवे की सारी मशीनरी लगा दी गईं लेकिन सारी की सारी फेल हो गई थीं। ऐसी स्थिति में इंजन को उठाकर लुधियाना पहुंचाने के लिए प्राइवेट कंपनी को 16 लाख रुपए में टेंडर अलॉट किया गया। इस इंजन को चंडीमंदिर से लुधियाना रेलवे की वर्कशॉप पहुंचाने में 2 दिन का समय लग जाएगा।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इंजन को उठाने में 67 दिन लग गए। जी हाँ, रेलवे के इतिहास में पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ है कि इंजन को उठाने के लिए इतना लंबा वक्त लग गया हो। ऐसा बताया जा रहा है कि ट्राले बीस-पच्चीस किलोमीटर की रफ्तार से जाएंगे, इसी वजह से लुधियाना पहुंचने में 2 दिन का वक्त लगेगा।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कालका से चंडीगढ़ आते हुए 20 अक्टूबर 2021 को इंजन पटरी से उतर गया था। इस हादसे में रेलवे के तीन कर्मचारी घायल हो गए थे। जब रेलवे के द्वारा इसकी जांच की गई तो प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि ब्रेक की खराबी थी परंतु इसके बावजूद भी यह हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में डिब्बे लेकर दौड़ता रहा था।

जो यह हादसा हुआ है इसमें 8 कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है और उन्हें चार्जशीट देकर जवाब मांगा गया है।

जब चंडीमंदिर फाटक के पास इंजन बेपटरी हो गया तो इसके बाद लखनऊ और वाराणसी से भी टीम पहुंची थी, जिनसे इंजन को लुधियाना वर्कशॉप भेजने के लिए सिफारिश की गई थी। अब प्राइवेट कंपनी ने इंजन के पहिए और अन्य पार्ट्स को पहले अलग किए, जिसके बाद अलग-अलग ट्राले पर उन्हें चढ़ा दिया गया।

इस पूरी प्रक्रिया में 2 दिन का लंबा वक्त लगा। परंतु इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कालका-शिमला रेल मार्ग बाधित होने से बचा लिया गया था जिस समय के दौरान ट्रेनों का आवागमन रहा, उस समय के लिए काम पर रोक लगा दी गई।

डीआरएम जीएम सिंह का ऐसा बताना है कि इंजन को ट्राले पर चढ़ाकर लुधियाना वर्कशॉप के लिए भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि ट्राला धीमी रफ्तार से जाएगा, इसी वजह से प्राइवेट कंपनी को सुरक्षित इंजन रेलवे की वर्कशॉप तक पहुंचाने के लिए 2 दिन का वक्त दिया गया है।