Cyrus Mistry मुद्दे को लेकर आए फैसले पर भावुक हो उठे रतन टाटा, सुप्रीम कोर्ट के लिए कहा- हार या जीत की बात नहीं…

कई बार बड़ी बड़ी इंडस्ट्रीज में कई ऐसे विवाद उठ खड़े होते हैं जिन्हें सुलझाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. ऐसा ही एक विवाद जो काफी समय से चर्चा में चला आ रहा था दरअसल बीते शुक्रवार यानी 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले पर जो कि टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा संस लिमिटेड और शापूरजी पलोनजी ग्रुप के साइरस मिस्त्री से संबंधित था उस पर अपना फैसला सुनाया था. हालाँकि इतने बड़े मामले पर जब फैसला आ ही चुका है तो वहीं इस उच्चतम न्यायालय के फैसले पर टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा की प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक भी है. कोर्ट के फैसले पर रतन टाटा ने ट्वीट कर दिया है और सुप्रीम कोर्ट के इस जजमेंट की तारीफ की है.

रतन टाटा ने अपने ट्वीट में ये कहा…

आपको बता दें कि रतन टाटा ने ट्वीट कर कहा है कि यह जीत और हार की बात बिल्कुल नहीं थी. मेरे टाटा ग्रुप की ईमानदारी और नैतिकता को लेकर लगातार हमले होते रहे है. यह फैसला इस बात को साबित कर रहा है कि टाटा संस अपने सिद्धांतों और मूल्यों पर हमेशा कायम रहता आया है. उन्होंने आगे कहा है कि ये हमारी अदालत की निष्पक्षता और पारदर्शिता को दिखा रहा है. ये काफी सही जजमेंट आया है.

आखिर क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

दरअसल भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को कंपनी का दोबारा से चेयरमैन बनाने के NCLAT के फैसले को पलट कर रख दिया. वहीं चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने यह बोला था कि साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा देना सही था. शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि शेयर से जुड़े हुए मामले को टाटा और मिस्त्री दोनों ग्रुप मिल कर सुलझा ले. आपको बता दें कि टाटा संस ने इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर दी थी.

2016 में टाटा ने मिस्त्री को टाटा सन्स से हटाया

आपको याद हो कि 24 अक्टूबर साल 2016 में टाटा ग्रुप ने सायरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया था. वहीं उनकी जगह रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बना दिया गया था. दरअसल टाटा सन्स का कहना था कि मिस्त्री के कामकाज का तरीका जो था वो टाटा ग्रुप के काम करने के तौर तरीको से मेल नहीं खा पा रहा था. हालाँकि NCLAT ने अपने ऑर्डर में 24 अक्टूबर 2016 के इस फैसले को अवैध करार दिया जिसमें मिस्त्री को डायरेक्टर और चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. वहीं इस ट्राइब्यूनल का कहना था कि यह निर्णय गलत ढंग से ले लिया गया है. और ट्राइब्यूनल ने यह भी कहा था कि टाटा संस के नए चेयरमैन के तौर पर एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति गैर कानूनी है. बता दें कि इस फैसले को लागू करने में 4 हफ्ते का समय दिया गया है ताकि टाटा ग्रुप अपील कर पाए. आपको बता दें कि टाटा ग्रुप के लगभग 150 से अधिक सालों के सफर में साइरस मिस्त्री छठे चेयरमैन बने थे. दरअसल दिसंबर 2012 को रतन टाटा ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से रिटायरमेंट ले लिया था जिसके बाद साइरस मिस्त्री को चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया था.