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रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने अपने मां-बाप की याद में बनवाया मंदिर, रोज करते हैं पूजा

इस दुनिया में सबसे खूबसूरत और बेहतर रिश्ता मां-बाप का होता है। मां-बाप हर समय अपने बच्चे को बेहतर बनाने के लिए खुद को झोंक देते हैं। हमारी जिंदगी में माता-पिता अनमोल उपहार की तरह होते हैं, जिसकी कोई कीमत नहीं होती। माता-पिता के बिना हमारे जीवन का कोई अर्थ नहीं होता है। अगर भगवान के बाद दूसरा स्थान किसी को दिया जाता है तो वह मां-बाप हैं।

जीवन की कल्पना बिना मां बाप के करना बिल्कुल भी संभव नहीं है। माता-पिता हमारे जीवन की हर परिस्थिति में हमारा साथ देते हैं। वह जीवन भर अपने बच्चों से प्यार करते हैं। उन्हें बड़ा करते हैं तथा उनकी हर सुविधा बन जाते हैं।

मां-बाप अपनी हर खुशी का त्याग कर अपने बच्चों को खुशी देते हैं। बच्चे चाहे कितने भी बड़े हो जाएं, पर मां-बाप हमेशा उनकी फिक्र करते रहते हैं। अगर हम मौजूदा समय की बात करें तो आजकल के जमाने में माता-पिता के प्रति श्रद्धा और प्रेम बहुत कम ही देखने को मिलता है।

आजकल बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने पेरेंट्स को अपने से दूर ओल्ड एज होम में छोड़ना चाहते हैं। मां-बाप के प्रति प्रेम भाव रखने वालों की तादाद में कमी भले ही आई हो लेकिन कुछ ऐसे भी दुनिया में लोग हैं जो अपने माता-पिता के लिए कुछ ऐसा कर जाते हैं जो दूसरों के लिए मिसाल बन जाता है।

रिटायर्ड SI ने बनवाया माता-पिता का मंदिर

आज हम आपको तमिलनाडु के मदुरै के ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता को भगवान का दर्जा देते हुए उनका मंदिर बनवाया है। दरअसल, आज हम आपको जिस शख्स के बारे में बता रहे हैं वह तमिलनाडु के एक सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर रमेश बाबू हैं। मदुरै में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी रमेश बाबू ने मां और पिता के सम्मान में एक मंदिर बनवाया है, जिसमें उनकी मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं।

रमेश बाबू सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर हैं। रमेश बाबू के द्वारा ऐसा बताया गया कि वह अपने माता-पिता के लिए एक मंदिर बनाना चाहते थे, लेकिन काम में बिजी होने की वजह से वह ऐसा नहीं कर सके। इसी वजह से रमेश बाबू ने सेवानिवृत्त के बाद इसे बनाया है।

रोज करते हैं पूजा

आपको बता दें कि रमेश बाबू भी जीवन की मांग के अनुसार काम में बिजी थे, लेकिन जैसे ही उनको मौका और खाली वक्त मिला, तो उन्होंने सबसे पहला काम मंदिर बनाने का किया। रमेश बाबू का कहना है कि वह उनके लिए एक मंदिर बनाना चाहते थे लेकिन काम ने मुझे व्यस्त रखा। इसीलिए मैंने इसे सेवानिवृत्ति होने के बाद बनाया। रमेश बाबू के इस काम की काफी तारीफ हो रही है।
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रमेश बाबू का कहना है कि वह हर दिन उनकी पूजा करते हैं। इस मंदिर को बनाने के बाद उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई, लेकिन इस रूप में वह अब भी मेरे साथ हैं। रमेश बाबू बताते हैं कि “वह प्रतिदिन इस मंदिर में अपने माता-पिता की पूजा करते हैं। इस मंदिर के निर्माण के बाद मेरे माता-पिता की मृत्यु हो गई थी, लेकिन वह हमेशा मेरे साथ हैं।” उनके इस काम की काफी सराहना हो रही है।

 

 

 

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