हिंदू महिला की सातवीं बेटी को डॉक्टर ने मुस्लिम दंपति को बेचा, हंगामे के बाद अस्पताल सील, जानिए पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां पर बेटे की चाहत में एक हिंदू महिला ने अपने सातवीं संतान के रूप में बेटी को जन्म दिया। वहीं उन्होंने नि:संतान मुस्लिम दंपति को अस्पताल के संचालक के कहने पर गोद दे दिया। जब हिंदू संगठन के द्वारा जमकर हंगामा किया गया तो दंपति ने अस्पताल संचालक पर बच्चे को बेचने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवा दिया। भाजपा विधायक के हस्तक्षेप के बाद आनन-फानन में अस्पताल भी सील कर दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, शहर के निगोही के तिलोका गांव के रहने वाले रामाकांत खेती-बाड़ी कर पत्नी संगीता देवी और 6 बेटियों की परवरिश कर रहे हैं, जिसमें से एक बेटी की मृत्यु हो चुकी है। दंपति को लगातार बेटियां पैदा होने पर दिल में बेटे की चाह थी, ताकि बुढ़ापे में बेटा उनका सहारा बन सके। वहीं संगीता देवी ने बुधवार देर शाम कस्बे के नवजीवन अस्पताल में बेटी को भी जन्म दिया।

हिंदू दंपति ने गांव के ही नईम अहमद और उनकी पत्नी शाजिया को अपनी सातवीं बेटी को गोद दे दिया। सादे कागज पर इसकी लिखा पढ़ी भी की गई। वहीं रामाकांत ने बुधवार को ही गांव वालों को यह सूचना दे दी थी कि बच्ची मृत पैदा हुई थी। मुस्लिम दंपत्ति को बच्ची गोद दिए जाने की जानकारी दोपहर के बाद विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री राजेश अवस्थी को प्राप्त हुई तो उन्होंने नवजीवन अस्पताल के संचालक डॉ अशोक राठौर को फोन कर बातचीत की।

मंत्री राजेश अवस्थी ने अस्पताल के संचालक से कहा कि बच्ची को तत्काल वापस कराओ अन्यथा उन पर कार्यवाही कराई जाएगी जिसके बाद डॉक्टर ने रमाकांत और नईम को अस्पताल बुला लिया। नईम से कहा कि बच्ची वापस ले लो। रमाकांत ने कहा कि उसने मृत बच्ची होने की बात सभी को बता दी है। इसी वजह से उसे वापस नहीं ले जा सकते। नईम ने अब बच्ची नहीं रखने की बात कही। जब इस बारे में पता लगा तो राजेश अवस्थी विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ नवजीवन अस्पताल पर पहुंच गए लेकिन वहां से डॉक्टर अशोक चले गए थे।

वहीं गुस्साए कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की और संचालक के पुतले को जलाया। जब इंस्पेक्टर अपराध पुष्पेंद्र सिंह चौहान पहुंचे तो वह दोनों दंपत्ति और बच्ची सहित सभी को बातचीत करने के लिए थाने लेकर आ गए। थाने में राजेश अवस्थी ने यह कहा कि अस्पताल संचालक ने बच्ची को मुस्लिम दंपति को बेचा है। उन्होंने यह भी कहा कि बच्ची के माता-पिता से उनकी बात हुई है। इसी वजह से वह लोग तब तक नहीं हटेंगे, जब तक संचालक पर प्राथमिकी नहीं लिखी जाती।

बच्ची दे दो, नहीं लेंगे डिलीवरी का खर्च

इसके बाद रामाकांत की तरफ से तहरीर दी गई, जिसमें उन्होंने यह बताया कि डॉ अशोक ने उनसे कहा था कि पहले से ही तुम्हारी पांच बेटियां हैं तुम इनको कैसे पालोगे। रामाकांत ने तहरीर में यह बताया कि डॉ अशोक ने उनसे कहा था कि बच्ची हमें दे दो। डिलीवरी का खर्च नहीं लेंगे। बच्ची एक परिचित को दे देंगे।

जब रमाकांत अपने घर वापस लौटे, तो उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि डॉ अशोक ने उनके साथ ठगी की है, जिसके बाद वह वापस डॉ अशोक के पास गए और उन्होंने बच्ची मांगी। डॉ अशोक ने कहा कि अब नहीं मिलेगी।बच्ची मुस्लिम दंपत्ति को बेचकर फीस वसूल कर ली गई है।

विधायक ने कहा करो कार्रवाई

जब यह पूरा हंगामा चल रहा था तो इसी बीच तिलहर विधायक डा. सलोना कुशवाहा ने सीएमओ डॉ. राम किशोर गौतम से फोन पर बातचीत की और उन्होंने कहा कि अस्पताल संचालक पर कार्यवाही करें। जिसके बाद एसीएमओ डॉ. रोहिताश वहां पर पहुंच गए। जब वहां पर अस्पताल संचालक नहीं मिला तो इस पर अस्पताल को सील कर दिया गया।

इसलिए बच्ची देने पर हो गया राजी

वहीं रामाकांत ने बेटी को गोद देने के सवाल पर यह कहा कि उसकी यह सातवीं संतान है। रमाकांत ने बताया कि उसकी एक बेटी की मृत्यु हो चुकी है सबसे बड़ी बेटी का नाम खुशबू है, जिसकी उम्र 14 साल की है। वहीं सबसे छोटी बेटी का नाम नन्ही है जिसकी उम्र 2 साल की है। रमाकांत के द्वारा ऐसा बताया गया कि बेटे के जन्म की इच्छा उसकी और पत्नी की थी लेकिन इस बार भी बेटी ने जन्म लिया।

रामाकांत ने बताया कि उसके पास 5 बीघा जमीन ही है। बड़ी मुश्किल से ही 5 बेटियों का खर्च उठा रहे थे। इस बेटी का पालन अच्छे से हो सके इसी वजह से बेटी देने के लिए वह मान गए।