बाप है करोड़पति मगर फिर भी ‘श्रीकृष्णा’ के ‘दुर्योधन’ को रहना पड़ा स्लम में, जानिए क्या थी वजह

ऐसा अक्सर होता है जब कोई अपने मन का काम चुनता है तो उसके घर वाले वह काम उसे करने से मना करते हैं. जिसके पेरेंट्स का बिजनेस होता है वह अक्सर अपने बच्चों को उस बिजनेस को आगे संभालने के लिए कहते हैं. बड़े घरों में भी ऐसा देखने को मिलता है.  आज हम एक ऐसी ही शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें परिवार वालों ने बिजनेस संभालने को कहा लेकिन उन्होंने सबके खिलाफ जा कर अपना अलग नाम कमाया. जी हाँ, आज हम बात कर रहे हैं कुमार हेगड़े की. रामानंद सागर के चर्चित सीरियल ‘श्री कृष्णा’ में दुर्योधन की भूमिका निभाने वाले कलाकार कुमार हेगड़े आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. दुर्योधन के किरदार से लोकप्रिय होने के बाद वे कई और पौराणिक शो का हिस्सा बन चुके हैं.

हालाँकि करियर के शुरुआती दिनों में उनको काफी संघर्ष करना पड़ा था. अपने करियर को लेकर कुमार हेगड़े इतने पैशनेट थे कि संपन्न परिवार से होते हुए भी मुंबई की झोपड़ पट्टी में रहने से परहेज नहीं किया. 80 के दशक में टीवी शो ‘जरा हट के में कुमार हेगड़े को लकी अली के बड़े भाई की भूमिका भी मिली थी. दरअसल कहानी कुछ यूँ है कि कुमार हेगड़े एक संपन्न परिवार से संबंध रखते हैं. कुमार हेगड़े के पिता जी का होटल का बिजनेस था और वो चाहते थे कि बेटा कुमार भी इसी बिजनेस में उनका हाथ बंटाए. लेकिन कुमार हेगड़े की एक्टिंग में रुचि बचपन से ही थी. वे एक्टिंग को ही अपना करियर बनाना चाहते थे. कुमार हेगड़े जब चौथी कक्षा में थे तभी से नाटक में काम करते आ रहे थे.
चौथी क्लास में पहली बार नाटक में हिस्सा लिया था, जिसके लिए कुमार हेगड़े को प्रथम पुरस्कार भी मिला था. फिर यहीं से हेगड़े की एक्टिंग में रुचि और बढी और फिर नाटकों और टीवी की ओर उन्होंने अपनी राह मोड़ ली. तभी से उन्होंने अपना करियर चुन लिया था. लेकिन उन्हें काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा.

घर से नहीं मिला सपोर्ट

दरअसल कुमार हेगड़े एक्टिंग में करियर बनाना चाहते थे लेकिन परिवार से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं कर रहा था. उनके पिता जी का मानना था कि ये सब बेकार की चीजें हैं. जीवन यापन करना है तो परिवार के बिजनेस में हाथ बंटाना होगा. हालांकि बार बार मिन्नतों के बाद कुमार हेगड़े को एक्टिंग में करियर बनाने के लिए घर से इजाजत तो मिल गई, लेकिन इस शर्त पर कि अगर वे इसमें कामयाब नहीं होते हैं तो वापस आकर फैमिली बिजनेस को संभालना होगा. और एक्टिंग को बिल्कुल छोड़ना पड़ेगा.

संपन्न परिवार से होते हुए भी झोपड़ पट्टी में रहना पड़ा

एक्टिंग की दुनिया में जाने के लिए घर से निकलने के बाद कुमार हेगड़े का असल संघर्ष शुरू हुआ. टीवी शोज में रोल पाने के लिए काफी संघर्ष करते. वे अपने गांव गणेशीपुरी से मुंबई का सफर बस और ट्रेन से किया करते थे हाल ये हो गया कि संघर्ष के शुरुआती दिनों में कुमार को झोपड़ पट्टी में रहना पड़ा था. यहीं पर वे मद्रासी होटल में काम करने लगे. बचे हुए वक्त में वे अपनी फिटनेस बनाने से लेकर घुड़सवारी और तलवारबाजी सीखने का काम किया करते थे. संपन्न परिवार से होते हुए भी झोपड़ पट्टी में रहना पड़ाः घर से निकलने के बाद कुमार हेगड़े का असल संघर्ष शुरू हुआ। टीवी शोज में रोल पाने के लिए काफी संघर्ष करते. वे अपने गांव गणेशीपुरी से मुंबई का सफर बस और ट्रेन से किया करते. हाल ये हो गया कि संघर्ष के शुरुआती दिनों में कुमार को झोपड़ पट्टी में रहना पड़ा. यहीं पर वे मद्रासी होटल में काम करने लगे. बचे हुए वक्त में वे अपनी फिटनेस बनाने से लेकर घुड़सवारी और तलवारबाजी सीखने का काम किया.

ऐसे बदली किस्मत

1980 के दशक में टीवी शो ‘जरा हट के में कुमार हेगड़े को लकी अली के बड़े भाई की भूमिका मिल गई. इस शो में उनके सहकलाकर थे दिलीप जोशी जो तारक मेहता का उल्टा चश्मा में जेठालाल का किरदार निभाते हैं. इन्हीं दिनों रामानंद सागर श्री कृष्णा के लिए कास्टिंग कर रहे थे. हेगड़े भी पहुंचे और उनकी एक्टिंग से मोती सागर काफी प्रभावित हो गए. मोती सागर ने कुमार हेगड़े को कृष्णा में अश्वत्थामा और अभिमन्यु का रोल दे दिया था. लेकिन इन किरदारों में रुचि नहीं होने के नाते इसे छोड़ दिया गया वो चाहते थे कि अलिफ लैला में रोल मिले जो, तब काफी लोकप्रिय शो था. कुमार को अलिफ लैला में काम मिल भी गया. इसके 10 एपिसोड शूट करने के बाद उनको रामानंद सागर ने श्री कृष्णा में दुर्योधन का रोल दे दिया. इसके बाद कुमार हेगड़े कई पौराणिक शो का हिस्सा बने. देवो के देव महादेव में इनके नंदी का किरदार लोगों को काफी पसंद आया था. विभिन्न मुश्किलों को पार करते हुए इन्होंने आज यह मुकाम पाया है. लोगों इनके किरदार को बेहद पसंद करते हैं.