ये शख्स बेसहारा बच्चों का है मसीहा, भीख मांगने वाले बच्चों को पढ़ा कर सुधार रहे भविष्य, 15 साल से कर रहे ये नेक काम

जब कुछ महीने पहले 10वीं बोर्ड के परिणाम घोषित हुए थे, तो उस समय एक विद्यार्थी का नाम काफी चर्चा में आया था, उस विद्यार्थी का नाम शेर अली है, जिसमें दसवीं कक्षा में 63% अंक हासिल किए थे। भले ही यह अंक दुनिया के लिए साधारण हो सकते हैं परंतु शेर अली के लिए इन अंको की खुशी उससे ज्यादा थी जितनी किसी टॉपर को अपने नंबरों के लिए होते हैं। असल में शेर अली भीख मांग कर और कचरा उठा कर अपना जीवन व्यतीत करते थे, इसी वजह से उनके लिए इन नंबरों की खुशी सबसे ज्यादा थी।

शेर अली ही नहीं बल्कि इनकी तरह दुनिया भर में ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जो गरीबी में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। गरीबी के कारण वह भीख मांगने को मजबूर हैं। भीख मांग कर जैसे तैसे वह अपनी जिंदगी बिता देते हैं लेकिन एक शख्स ने भीख मांगने वाले शेर अली के हाथों में शिक्षा की मशाल थमा दी और यह बताया कि वह इसी से अपने जीवन में फैले हुए अंधकार को दूर कर सकता है।

सिर्फ शेर अली ही नहीं बल्कि उन जैसे कई भीख मांगने वालों के लिए यह शख्स किसी मसीहा से कम नहीं है। दरअसल, आज हम आपको जिस शख्स के बारे में बता रहे हैं उनका नाम नरेश पारस है, जिन्होंने उन सभी के भविष्य को सुनहरा किया, जो इनके संपर्क में आए। यह गरीब और बेसहारा बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बने हैं।

15 साल से कर रहे यह नेक काम

नरेश पारस बेसहारा और गरीब बच्चों के लिए बड़ी उम्मीद बनकर आए हैं। उत्तर प्रदेश के आगरा में इंदिरा नगर मारवाड़ी बस्ती में रहने वाले बच्चे पढ़ना चाहते हैं परंतु गरीबी के चलते वह शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में इनके लिए बड़ी उम्मीद नरेश पारस हैं। नरेश पारस आगरा में एक प्राइवेट नौकरी करते हैं। जो परिवार गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में आते हैं, यह उनके बच्चों के भविष्य को संवारने का प्रयास कर रहे हैं।

नरेश पारस पिछले 15 सालों से ऐसे बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। जिस प्रकार से इन बच्चों के लिए नरेश पारस मेहनत करते हैं, उसका असर शेर अली जैसे बच्चों के रूप में नजर आता है। नरेश पारस के द्वारा पढ़ाए अन्य बच्चे भी अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं और अपने परिवार के भविष्य को सुधारने में सफल हो रहे हैं।

मिलवाया लापता बच्चों को परिवार से

इतना ही नहीं बल्कि नरेश पारस भीख मांगने वाले बच्चों का सर्वे कर उसकी रिपोर्ट शासन प्रशासन को भी भेजते हैं। वह इन बच्चों को बचाकर शिक्षा से जोड़ने का कार्य करते हैं। नरेश पारस आगरा की 15 अलग-अलग बस्तियों में जाकर बच्चों के भविष्य को सुधारने का यह नेक काम कर रहे हैं। नरेश पारस ने आरटीआई के जरिए कई लापता बच्चों की जानकारी जुटाई और उनको बचा कर उनके परिवार से मिलवाया। जो बच्चे सालों पहले खो गए और 10 साल तक अनाथालय में रहे, ऐसे बच्चों को भी उन्होंने उनके परिवार से मिलवाया।

वहीं यौन शोषण की शिकार हुई बच्चियों को भी आजाद करवा कर आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए नरेश पारस जाने जाते हैं। जिन लड़कियों को जबरदस्ती वेश्यावृत्ति में भेजा गया, उन्हें नरेश पारस ने बचाकर उनके परिवार से मिलवाया। अपने इस शिक्षा अभियान को नरेश पारस बहुत आगे तक ले जाना चाहते हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में कोई भी बच्चा शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित ना रहे, यही उनका सपना है।