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कोरोना से पिता की हुई थी मौत, बेटे ने याद में बनवाई ऐसी मूर्ति कि लगता है साथ में ही बैठे हैं

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं मौजूदा समय में देश भर में कोरोना वायरस का खतरा मंडरा रहा है। कोरोना वायरस की वजह से लोगों को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से खराब हो चुकी है। जब देश भर में कोरोना की वजह से लॉक डाउन लगा था तो लोगों का रोजगार बंद हो गया था। ऐसे में दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी काफी मुश्किल हो रहा था।

कोरोना काल में बहुत से लोगों ने अपनों को खोया है। जब कोई अपना छोड़कर जाता है, मानो ऐसा लगता है कि पूरी दुनिया ही खत्म हो गई हो परंतु जैसे-तैसे इंसान इस जख्म के साथ धीरे-धीरे जीना सीख जाता है। बस साथ रह जाती है उनकी यादें। इसी बीच महाराष्ट्र के सांगली जिले से एक ऐसा मामला आया है, जहां पर एक इंस्पेक्टर की भी कोरोना संक्रमण के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी। अपने पिताजी की याद में बेटे ने सिलिकॉन का एक स्टैच्यू बनवा दिया ताकि पिता का प्रेम हमेशा मिलता रहे।

जैसा कि आप सभी लोग तस्वीर में देख सकते हैं। इस तस्वीर में इस शख्स को देखकर आपको यकीन करना मुश्किल हो जाएगा कि यह मूर्ति है। यह साक्षात जीवित के पिता लग रहे हैं। मूर्ति को इतनी बारीकी से बनाई गई है कि आंखें, बाल और त्वचा यहां तक कि आंखों पर मौजूद बोंहे हुबहू बिल्कुल असली दिख रहे हैं। बेटे ने जो यह काम किया है उससे कई लोग भावुक भी हो रहे हैं।

इस तस्वीर में आप सभी लोग देख सकते हैं कि इंस्पेक्टर अपनी वर्दी पहने हुए सोफे पर बैठे हुए नजर आ रहे हैं। यह सच्ची कहानी पिता और पुत्र के गहरे रिश्ते को दर्शा रही है। जैसे-जैसे लोग इस तस्वीर को देख रहे हैं, वैसे वैसे वह इसे देखने के बाद काफी भावुक हो रहे हैं। आप इस स्टैच्यू को देखेंगे तो इसका अंदाजा भी नहीं लगा पाएंगे कि यह वाकई में कोई मूर्ति है या फिर जीवित व्यक्ति है। स्टैच्यू बिल्कुल असली नजर आ रही है। यह मूर्ति ऐसी लग रही है जैसे कोई जिंदा इंसान बैठा हुआ हो।

स्टैच्यू बिल्कुल ओरिजिनल लग रहा है, उसका रंग, रूप, बाल, स्टैच्यू, चेहरा, आंखें और शरीर का दूसरा हिस्सा किसी जीवित व्यक्ति की तरह ही दिख रहा है। अरुण कोरे का दावा है कि यह महाराष्ट्र का पहला सिलिकॉन स्टैच्यू है। इसे उन्होंने अपने पिता रावसाहेब कोरे की याद में बनवाया है।

आपको बता दें कि इंस्पेक्टर रावसाहेब कोरे की मृत्यु कोरणा संक्रमण के कारण हुई थी। वह देश के लिए ड्यूटी कर रहे थे। ड्यूटी के दौरान कोरोना वायरस से उनकी मृत्यु हो गयी थी। उनकी इलाके में दयालु छवि थी। उनकी इस प्रतिमा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार रावसाहेब कोरे की मृत्यु के बाद उनके परिवार के लोग उन्हें काफी याद कर रहे हैं। इसे देखते हुए उनके बेटे के दिमाग में सिलिकॉन स्टैच्यू का ख्याल आया। इसके बाद बेंगलुरु के मूर्तिकार श्रीधर में पांच महीने तक कड़ी मेहनत की और यह स्टैच्यू बना दिया।

इस मूर्ति की सबसे बड़ी खासियत सबसे पहली यह है कि यह जीवित इंसान की तरह ही दिखती है। जैसा कि आप सभी लोग तस्वीर में देख सकते हैं और इस मूर्ति के कपड़ों को रोजाना बदला भी जाता है। अरुण का ऐसा कहना है कि सिलिकॉन की इस मूर्ति की उम्र करीब 30 साल की होती है और इसलिए अब वह इस मूर्ति को देखकर काफी खुश हैं। उनको अब अपने पिता की कमी महसूस नहीं होती, उन्हें ऐसा लगता है कि उनके पिता उनके साथ ही हैं।

 

 

 

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