देश के लिए शहीद हुआ बेटा, अब माँ 400 गरीब बच्चों को मुफ्त दे रहीं हैं शिक्षा

जब एक फौजी अपने देश के लिए शहीद हो जाता है तब उसके जाने का दुख परिवार वालों से ज्यादा कोई नहीं जान सकता। मां-बाप अपने लाल के शहादत की खबर सुनकर पूरी तरह से बिखर जाते हैं। खासतौर से मां अगर अपने बेटे के जाने की खबर सुनती है तो वह पूरी तरह से टूट जाती है परंतु आज हम आपको एक ऐसी मां के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने बेटे के शहीद होने के बाद नहीं टूटी बल्कि यह गरीब बच्चों को शिक्षित करने का कार्य कर रही हैं। आपको बता दें कि गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाले वायु सेना के स्क्वॉड्रन लीडर शिशिर तिवारी 2 वर्ष पहले यानी 6 अक्टूबर 2017 को MI-17 हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए थे। उनकी शहादत पर पूरा देश रोया था लेकिन उनकी मां ने जो उनके लिए किया वह गार्ड ऑफ ऑनर से भी बढ़कर है। जी हां, अपने लाडले बेटे को खोने के पश्चात माँ ने गरीब बच्चों को ही अपना बेटा बना लिया और यह उनको शिक्षित करके उनकी जिंदगी संवारने में जुटी हुई हैं।

400 गरीब बच्चों को शिक्षित कर रही हैं शहीद की मां

आपको बता दें कि शहीद शिशिर तिवारी की माता जी का नाम सविता तिवारी है। अपने बेटे को खोने के बाद भी उन्होंने इनको जिंदा रखा है। सविता तिवारी गरीब और वंचित बच्चों को शिक्षित करने का नेक कार्य कर रही है। यह नेक कार्य उन्होंने बेटे के शहीद होने के बाद शुरू किया था। सविता तिवारी जी गरीब बच्चों को पढ़ा कर उनके सपने पूरे करने में जुटी हुई हैं। उनका कहना है कि एक बेटा देश सेवा में शहीद हो गया तो क्या, मैं इन बच्चों को अपना बेटा मानती हूँ और इनको सेना में भेजूंगी ताकि यह सभी देश की सेवा कर सके। सविता तिवारी जी ने अपनी नमी भरी आवाज में यह कहा था कि जाने वाले तो चले जाते हैं लेकिन उनकी कुर्बानी को एक मुकाम देना पीछे रह गए लोगों के हाथ में होता है। सविता तिवारी जी अपने इस नेक कार्य से ना सिर्फ अपने बेटे की शहादत का मान रख रही हैं बल्कि और भी ना जाने कितने बच्चों को देश की सेवा के लिए तैयार करने में जुटी हुई हैं।

हफ्ते में 5 दिन पढ़ाती हैं सविता तिवारी

आपको बता दें कि शिशिर तिवारी के पिता शरद तिवारी वायु सेना से ग्रुप कैप्टन पद से रिटायर हैं। मां कविता तिवारी ने बेटे के शहीद होने के बाद खुद को जैसे-तैसे संभाला, बाद में इन्होंने समाज को एक नई दिशा देने की ठानी। सविता तिवारी जी का कहना है कि उन्होंने बेटे की याद में समाज को शिक्षित करने का जिम्मा उठाया, ताकि गरीब बच्चे पढ़ लिख कर काम शुरू कर सकें। वैसे तो बेसहारा बच्चों के लिए यह काम सविता तिवारी जी काफी लंबे टाइम से कर रही हैं परंतु बेटे के जाने के बाद यह अपने काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो गई थीं। यह गरीब और बेसहारा बच्चों को एक हफ्ते में 5 दिन 4 से 5 घंटे तक पढ़ाती हैं। आर्थिक रूप से कमजोर लगभग 400 बच्चों को यह मुफ्त में शिक्षा प्रदान कर रही हैं।