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मानवता की नई मिसाल! मां के निधन की खबर पर भी मरीजों की सेवा करता रहा एंबुलेंस ड्राइवर, कहा- मां को ख़ुशी होगी

देशभर में कोरोना वायरस का संकट मंडरा रहा है। कोरोना की पहली लहर के बाद दूसरी लहर बेहद खतरनाक साबित हो रही है। वहीं तीसरी लहर की खबर सुनकर लोगों के मन में भय बना हुआ है। रोजाना ही हजारों लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि बहुत से मरीजों की जान भी जा रही है। कोरोना महामारी ने सभी लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। कोरोना काल में बहुत से लोग ऐसे हैं जो लोगों की लाचारी का फायदा उठाने में लगे हुए हैं। कोरोना काल में ऐसी बहुत सी खबरें सुनने को मिल रही हैं, जिसे जानकर बेहद दुख होता है।

कोरोना महामारी के बीच लोग महंगी कीमतों पर दवाइयां बेच रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि एंबुलेंस चालक थोड़ी दूर तक ले जाने के लिए भी मरीजों से मुंह मांगी रकम वसूल रहे हैं। इस तरह के मामलों में कई राज्यों में एंबुलेंस ड्राइवर को गिरफ्तार भी किया गया है परंतु ऐसा नहीं है कि सभी लोग एक जैसे ही होते हैं। महामारी के इस दौर में कई लोग ऐसे भी हैं जो जरूरतमंदों की हर संभव मदद में लगे हुए हैं। आज हम आपको मैनपुरी के एक एंबुलेंस ड्राइवर के बारे में बताने वाले हैं, जिसने अपने सेवा भाव और निर्णय से सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। पूरे जिले में इस एंबुलेंस ड्राइवर की सभी लोग चर्चा कर रहे हैं।

दरअसल, हम आपको जिस एंबुलेंस ड्राइवर के बारे में जानकारी दे रहे हैं उसका नाम प्रभात यादव है, जिन्होंने मानवता की नई मिसाल पेश की है। प्रभात यादव उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के रहने वाले हैं। आपको बता दें कि प्रभात के पास 15 मई की रात को कॉल आई थी, उनकी मां का निधन हो गया है। उस समय के दौरान प्रभात यादव मरीज को लेकर अस्पताल जा रहे थे। ऐसी स्थिति में उनके पास लगातार फोन आ रहा था परंतु प्रभात भी अपने फर्ज से पीछे नहीं हटे और उन्होंने मरीज को अस्पताल पहुंचाया और सबसे बड़ी खास बात यह है कि प्रभात मरीज को अस्पताल पहुंचाने के बाद भी घर पर वापस नहीं आए थे बल्कि पूरी रात वह अपना फर्ज निभाते रहे और सुबह तक प्रभात ने 15 मरीजों को अस्पताल पहुंचाया। जब उनकी शिफ्ट खत्म हुई तब वह अपने घर पर पहुंचे।

मीडिया से बातचीत के दौरान प्रभात ने इस घटना के बाद यह कहा कि एक एंबुलेंस ड्राइवर रोजाना ही कई मरीजों को अस्पताल ले जाने का कार्य करता है। अगर हम खुद दुखी होकर बैठ जाएंगे तो उन परिवारों का क्या होगा जिन्हें हमारी सहायता की आवश्यकता है। प्रभात ने आगे कहा कि ऐसी मुश्किल घड़ी में यदि मैं अपनी मां के निधन का शोक मनाने की बजाय कुछ मरीजों की जिंदगी बचा सकूँ तो मेरी मां को ज्यादा खुशी होगी। आपको बता दें कि प्रभात यादव पिछले 9 साल से 108 सर्विस एंबुलेंस चला रहे हैं। पिछले वर्ष मार्च में जब सभी जिला एंबुलेंस कोविड रोगियों के लिए निर्धारित किए गए थे तब वह भर्ती होने वाले पहले लोगों में से एक थे। इस साल भी प्रभात को अप्रैल में फिर से कोविड ड्यूटी पर लगाया गया था।

आपको बता दें कि पहले बीते वर्ष भी जब उनके पिता की मृत्यु हुई थी तो प्रभात उनका अंतिम संस्कार करने के तुरंत बाद ड्यूटी पर लौट गए थे। सोशल मीडिया पर एंबुलेंस ड्राइवर प्रभात यादव की कहानी काफी तेजी से वायरल हो रही है और सभी लोग प्रभात की खूब तारीफ कर रहे हैं।

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