गरीबी झेलकर बने “स्विंग के किंग”, समय आने पर “इरफान पठान” ने की इंसानियत की मिसाल पेश

इरफान पठान एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी घातक गेंदबाजी से भारत को कई बार जीत दिलाई है। जब यह तेज रफ्तार से गेंदबाजी करते हैं तो किसी भी बल्लेबाज के लिए खेलना काफी मुश्किल हो जाता है। इरफान पठान को स्विंग के किंग कहा जाता है। भले ही इरफान पठान एक तेज गेंदबाज हैं, इन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक तेज गेंदबाज से की थी, बाद में यह बेहतरीन ऑलराउंडर बने। क्रिकेट करियर में इनको बहुत से उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। फिलहाल, यह क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं और हम इरफान पठान को कमेंट्री करते हुए देखते हैं। इरफान पठान एक अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी होने के साथ-साथ एक बेहद अच्छे इंसान भी हैं। इन्होंने कई बार अपने भाई युसूफ़ पठान के साथ कई लोगों की सहायता की है। आज हम आपको इरफान पठान के जीवन से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

क्रिकेट किट खरीदने तक के नहीं थे पैसे

इरफान पठान एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं। इनका जन्म 27 अक्टूबर 1984 को बड़ौदा गुजरात में हुआ था। इनके पिता जी का नाम महमूद पठान है, जो मस्जिद में मुअज्जिन का काम करते थे। इरफान पठान के घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। इरफान पठान ने अपना बचपन मस्जिद के पीछे बने एक छोटे से कमरे में गुजारा था। भले ही इरफ़ान पठान के माता-पिता गरीब थे, लेकिन अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर एक इस्लामिक स्कॉलर बनाना चाहते थे, लेकिन इरफान पठान का सपना कुछ और ही था। बचपन से ही इनको क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। ये परिवार से छुपकर क्रिकेट खेलने के लिए चले जाते थे। बाद में जब परिवार वालों को पता लगा कि इनका बच्चा क्रिकेटर बनना चाहता है तो इनकी लगन और मेहनत को देखकर यह भी मना नहीं कर पाए थे। पिता ने अपने बेटे के लिए सब कुछ किया। इरफान पठान ने भी अपना पूरा फोकस क्रिकेट पर लगाया। रोजाना घंटों तक कड़ी धूप में यह खूब मेहनत करते थे। गरीब होने के बावजूद भी इनके सपने के आगे गरीबी हार मान गई, इनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि यह क्रिकेट की खरीद पाए।

इरफान पठान और उनके भाई यूसुफ पठान ने क्रिकेट खेलने के लिए सालों तक सेकंड हैंड क्रिकेट किट का प्रयोग किया था, लेकिन जब इनके हाथों में नई गेंद आई तो बल्लेबाजों के लिए यह घातक बन गई। इनको खुद मालूम नहीं था कि भविष्य में यह स्विंग होती नई गेंद इतिहास में नाम दर्ज करने वाली है।

हाथ से छूटी स्विंग गेंद ने रचा इतिहास

आपको बता दें कि इरफान पठान को अपने करियर के शुरुआत से ही भारतीय कप्तान दत्ता गायकवाड ने इनको प्रशिक्षित किया था। महज 13 वर्ष की उम्र में इरफान ने जूनियर क्रिकेट में अपना कदम जमा लिया। उन्होंने उम्र से पहले ही अंडर-14, अंडर-15, अंडर-16 और अंडर-19 टीमों की अच्छी तरह से प्रतिनिधित्व किया। इरफान पठान बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों से ही शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। आपको बता दें कि घरेलू मैचों में शानदार प्रदर्शन करने के पश्चात वर्ष 2003 दिसंबर के महीने में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए सीरीज में इरफान पठान भारतीय क्रिकेट टीम में चुने गए थे, इनको यह अवसर भारत के प्रमुख गेंदबाज रहे जहीर खान के चोटिल होने के पश्चात मिला। इसके बाद इनको बहुत से मौके मिलते गए। इन्होंने भी अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया और ऑलराउंडर के रूप में इन्होंने भारत को कई मैचों में जीत दिलाई। इंटरनेशनल क्रिकेट में भी इन्होंने कई रिकॉर्ड्स बनाया है। टेस्ट मैच में अपने पहले ही ओवर में हैट्रिक लेने वाले यह पहले गेंदबाज बने थे। इस मैच में पाकिस्तान के बिना कोई रन बने 3 विकेट हो चुके थे। तेजी से 100 विकेट लेने में भी इनका नाम शामिल है। इनके क्रिकेट करियर में बहुत से उतार-चढ़ाव आए इन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से लाखों लोगों का दिल जीत लिया। बाद में इन्होंने 4 जनवरी 2020 को क्रिकेट के सभी फॉर्मेटो से संयास ले लिया था।