काले रंग के चलते कभी फिल्म इंडस्ट्री ने कर दिया था रिजेक्ट, आज उसी से रेमो डिसूजा बन चुके हैं 50 करोड़ के मालिक

हिंदी सिनेमा जगत के जाने-माने डांसर रेमो डिसूजा आज किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है. उन्होंने अपनी जबरदस्त डांसिंग के दम पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है. इसके अलावा यह डांसर हिंदी सिनेमा जगत में एक जबरदस्त निर्देशक के रूप में भी उभरकर सामने आए हैं. आज हम आपको अपनी इस पोस्ट के जरिए रेमो डिसूजा की सफलता की कहानी सुनाने जा रहे हैं कि किस तरह वह बैकग्राउंड डांसर से एक सफल कोरियोग्राफर और निर्देशक बने तो चलिए जानते हैं.

सपनों के साथ पैदा हुए रेमो डिसूजा

जानकारी के लिए आप सभी लोगों को बता दें कि रेमो डिसूजा का असली नाम गोपी है और इनका जन्म 1974 में केरल के एक गरीब परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम गोपी नायर था. कोरियोग्राफर के पिता वायुयान सेना में एक सैफ के रूप में काम किया करते थे. रेमो डिसूजा का एक और बड़ा भाई था गणेश गोपी और चार बहने थी. हम कोरियोग्राफर ने अपने स्कूली शिक्षा गुजरात के जामनगर के एक वायु सेना स्कूल में हासिल की थी. बचपन से ही रेमो एक डांसर बनने का सपना देखा करते थे इसी के चलते ही उन्होंने अपनी पढ़ाई को बीच में ही अधूरा छोड़ दिया और अपने ही सपने को पूरा करने के लिए कोरियोग्राफर मुंबई आ गए. लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वह वायु सेना में भर्ती हो लेकिन रेमो डिसूजा ने डांसर बनने की जिद पकड़ रखी थी और उनकी मां ने उनके सपने को सपोर्ट किया.

ऐसे बने सफल डांसर

रेमो डिसूजा ने अपनी जिंदगी में कई सारे चुनौतियों का सामना किया लेकिन फिर भी उन्होंने हार ना मानते हुए अपने आप को एक सफल डांसर के रूप में स्थापित कर दिया. डांसर बनने के इस सफर मेरा मुंह में किसी प्रकार का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया और खुद की एक ‘सुपर ब्राट्स’ नाम की अकादमी खोल दी. जो कि उनकी सफलता की ओर उनका पहला कदम था. अपने दोस्तों की सहायता लेते हुए रेमो ने अपनी इस अकादमी की और भी कई ब्रांचे खोलें.

काले रंग की वजह से किया जाता था रिजेक्ट

गौरतलब है कि डांस में पूरी तरह से परिपूर्ण होने की वजह से हमेशा डांसर को उनके काले रंग और लुक्स की वजह से रिजेक्ट कर दिया जाता था. लेकिन कोरियोग्राफर की किस्मत को भी एक दिन उनके सामने झुकना पड़ा और उनके करियर को पहला ब्रेक तब मिला जब हुआ है फिल्म ‘रंगीला’ में बैकग्राउंड डांसर के तौर पर नजर आए. फिर बाद में रेमो डिसूजा अहमद खान के सहायक के रूप में भी नजर आए. जब रमो अहमद खान के सहायक थे तभी उन्होंने डिसाइड कर लिया था कि वह संगीत वीडियो को कोरियोग्राफ किया करेंगे. उनके करियर को सफल बनाने में अनुभव सिन्हा उनके लकी चार्म साबित हुए. जिसके बाद कोरियोग्राफर ने कई सारी फिल्मों को कोरियोग्राफ किया और अपने जिंदगी में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

जानकारी के लिए आप सभी लोगों को बता दें कि रेमो डिसूजा ने 2007 में आई एक बंगाली फिल्म ‘बानी लाल पहरेदार’ का निर्देशन किया था. इस मूवी में रेमो डिसूजा का निर्देशन सभी लोगों को काफी ज्यादा पसंद आया था और इस मूवी के लिए रेमो ने कई सारे अवॉर्ड्स भी हासिल किए थे. जिसके बाद वह एक सफल निर्देशक बन गए.