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पिता की मृत्यु के बाद मां ने खेतों में मजदूरी कर पढ़ाया, कड़ी मेहनत से पहले IPS, अब दूसरे प्रयास में IAS बनी बेटी

दुनिया में हर इंसान अपने जीवन में एक अच्छी कामयाबी पाना चाहता है, जिसके लिए वह लगातार मेहनत करता रहता है। वहीं हर माता-पिता भी यही चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर अपने जीवन में कामयाबी हासिल करें। मां-बाप अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई और परवरिश में किसी भी प्रकार की कमी नहीं छोड़ते हैं। हर माता-पिता अपने बच्चे को जीवन में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं। जब किसी घर का बच्चा अफसर बनता है तो खुशी सभी को होती है।

वैसे देखा जाए तो आजकल हर कोई आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखता है। UPSC परीक्षा के परिणाम सामने आते ही हमें एक से बढ़कर एक संघर्ष की कहानियां सुनने को मिलती हैं। यूपीएससी की परीक्षा सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। इस परीक्षा को पास करना कई युवाओं का सपना होता है और यह सपना जब सच हो जाता है, तो उनकी जीत की कहानी लाखों लोगों का एक प्रेरणा का जरिया बन जाता है। आज हम आपको आईपीएस दिव्या तंवर की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन की तमाम मुश्किलों को पार करते हुए अपना सपना सच कर दिखाया है।

पहले IPS, अब बनेगी IAS अधिकारी

आपको बता दें कि दिव्या तंवर हरियाणा के महेंद्रगढ़ के गांव निंबी की रहने वाली हैं। दिव्या तंवर ने महज 21 साल की उम्र में यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2021 में 438वीं रैंक हासिल की थी और पहले प्रयास में ही आईपीएस अधिकारी बनीं। लेकिन दिव्या तंवर की कहानी सिर्फ उनके आईपीएस बनने तक ही नहीं है, बल्कि इस साल के यूपीएससी परीक्षा में उन्होंने दोबारा से बाजी मारते हुए अपने दूसरे प्रयास में 105वां रैंक हासिल किया और एक नई कहानी लिखी है। दिव्या तंवर बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं। पहले प्रयास में यूपीएससी पास करने के बाद मणिपुर कैडर मिला था। हालांकि उन्हें अपनी रैंक में और सुधार करना था। इसलिए उन्होंने दूसरी बार प्रयास किया और 105 वां रैंक हासिल कर लिया।

पिता की हो गई है मृत्यु

एक गरीब परिवार की बेटी दिव्या तंवर ने नवोदय विद्यालय महेंद्रगढ़ से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की। उस समय परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था जब साल 2011 में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद परिवार को काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी। दिव्या शुरुआती समय से ही पढ़ाई लिखाई में काफी तेज रही हैं। अपनी बेटी के इस हुनर को मां बबीता तंवर ने अच्छे से पहचाना और उन्होंने अपनी बेटी का पूरा साथ दिया। अपनी बेटी का साथ देने के लिए मां ने कड़ी मेहनत की।

खेतों में मजदूरी कर मां ने बेटी को पढ़ाया


मां ने अपनी बेटी की पढ़ाई लिखाई में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। घर चलाने और अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए मां ने मजदूरी तक की। आज दिव्या ने जो मुकाम हासिल किया है वहां तक पहुंचाने में उस मां का बहुत बड़ा योगदान है। मां ने खेतों में मजदूरी की और अपनी बेटी को पढ़ाया। दिव्या ने महेंद्रगढ़ के ही राजकीय महिला कॉलेज से बीएससी की है। इसके बाद वह यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी में जुट गईं।

दिव्या अपने घर के एक छोटे से कमरे में रोजाना 10 घंटे पढ़ाई किया करती थीं। कड़ी मेहनत से उन्होंने महज 21 वर्ष की आयु में प्रथम प्रयास में ही यूपीएससी परीक्षा पास कर ली और सबसे कमाल की बात यह है कि उन्होंने बिना कोचिंग लिए ही इस कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की। यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उन्होंने बिना कोचिंग के ही पास कर ली, जिसके बाद मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने टेस्ट सीरीज समेत अलग-अलग ऑनलाइन सोर्सेज से मदद ली। अब मां ने मेहनत मजदूरी कर आज बेटी को इस मुकाम तक पहुंचा दिया है।

 

 

 

 

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