इस तरह आया था भंसाली को ‘देवदास’ बनाने का आइडिया, इनकी रियल लाइफ से इन्सपॉयर्ड थी फिल्म

मशहूर फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक कई हिट फिल्में दे चुके हैं। लेकिन आज हम बात करेंगे उनकी फिल्म ‘देवदास’ के बारे में। मालूम हो कि साल 1955 मे विमल की फिल्म में दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार नजर आए थे। वहीं संजय लीला भंसाली द्वारा बनाई गई फिल्म देवदास में शाहरुख खान मुख्य भूमिका में नजर आए थे। बता दें कि इस फिल्म में पहली बार संजय लीला भंसाली ने बॉलीवुड किंग शाहरुख संग काम किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं बड़ी मुश्किलों के बाद देवदास जैसी सबसे महंगी फिल्म बनकर तैयार हुई थी।

खास बात तो यह रही कि इस फिल्म के सुपरहिट होने के बाद इसका कांस फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर भी किया गया। इसी के साथ ये ऑस्कर के लिए भी नॉमिनेट हुई।  लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि संजय लीला भंसाली को फिल्म ‘देवदास’ बनाने का आइडिया कहां से आया ?

देवदास का बजट

संजय लीला भंसाली ने फिल्म देवदास बनाने के लिए कुल 50 करोड़ रुपए खर्च किए थे। इसमें 20 करोड़ रुपए 6 सेट तैयार करने में लगे। उस दौरान आलम ये था कि संजय लीला भंसाली ने सबके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं।  खबरों के मुताबिक जिस वक्त ‘देवदास’ की शूटिंग चल रही थी उस समय शादियों का सीजन था। उस दौरान मुंबई की शादियों में लाइटिंग और डेकोरेशन की कमी पड़ गई थी। जिसकी वजह संजय लीला भंसाली थे, क्योंकि उन्होंने सारी लाइटिंग और डेकोरेशन का बहुत सारा सामान ‘देवदास’ के सेट पर लगवा दिया था।

किरदारों से जुड़ी दिलचस्प बात

आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि शाहरुख खान कई बार ‘देवदास’ को रियल बनाने के लिए सेट पर थोड़ी सी शराब पीते थे। फिल्म में जैकी श्रॉफ ने चुन्नीलाल के किरदार में नजर आए थे। जोकि देवदास का खास दोस्त था। इस फिल्म में पहले चुन्नीलाल के किरदार के लिए सैफ अली खान और गोविंदा को अप्रोच किया गया था लेकिन दोनों को ही रिजेक्ट कर दिया। बाद में जैकी ने ये किरदार निभाया था।

भंसाली के जीवन से जुड़ी कहानी

फिल्म में आपने देगा होगा कि शाहरुख की अपने पिता से बनती नहीं थी। ऐसा ही कुछ भंसाली के साथ भी था। दरअसल, भंसाली के पिता एक प्रोड्यूसर थे जब उनकी फिल्में नहीं चलती तो वह शराब पीते जिसकी उन्हें लत लग गई थी। ऐसे में वो अपने परिवार का ध्यान नहीं रखते थे। इसके साथ उन्हें लीवर संबंधी बीमारी हो गई आखिर में उन्होंने दम तोड़ दिया। इस बात का संजय लीला भंमाली को गहरा सदमा लगा। इसके बाद ही उन्होंने ऐसी फिल्म बनाने के बारे में सोचा था। जिसके बाद उन्होंने शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की ‘देवदास’ पढ़नी शुरू की।

इस फिल्म के आखिर में देवदास पारों के दर पर जाकर दम तोड़ता है। जिसमें उसे अपनी तरफ दौड़ कर आ पारों की धुंधली छवि नजर आती है। इसी तरह भंसाली ने पर्सनल लाइफ एक्सीरियंस को रील लाइफ में इस्तेमाल किया और बड़े पर्दे पर दर्शकों के आगे पेश किया। जिसे दर्शकों का खूब प्यार मिला।

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