कोरोनाकाल में ऑक्सीजन लेवल कम होने पर शरीर में दिखाई देने लगेंगे ये लक्षण, जानें कब आती है भर्ती कराने की नौबत?

भारत में कोरोना महामारी के चलते मौजूदा हालात बेहद गंभीर हैं। कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के चलते स्थिति ऐसी है कि अस्पतालों में बेड तक खाली नहीं हैं। वहीं ज्यादातर मरीज ऑक्सीजन की कमी के चलते मर रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर्स की सलाह है कि सांस लेने में अगर तकलीफ होने लगे तो तत्काल ही अस्पताल की ओर न जाएं बल्कि पहले ऑक्सीजन लेवल के बारे में जानें। पहले इनके लक्षणों को पहचाने और स्थिति बहुत गंभीर ना लगे तो अपने घर पर ही रहकर अपना इलाज करें। डॉक्टरों की सलाह है कि इस भयानक स्थिति में जरूरी है कि लोग ऑक्सीन में कमी के लक्षणों को समझें, जानें कि इसके लिए मेडिकल हेल्प लेने का सही समय क्या है।

Covid-19 का मुख्य लक्षण सांस लेने में दिक्कत-

इन दिनों सांस में कमी होना और ऑक्सीजन में कमी कोविड-19 के सामान्य लक्षण है। अब ऐसी स्थिति में हालात ये हो चुके हैं कि लोग घरों ऑक्सीमीटर और सिलेंडर स्टॉक करने लगे हैं। हालांकि डॉक्टर्स का मानना है कि सांस लेने में हो रही दिक्कत के चलते हर किसी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती।

ऑक्सीजन सेचुरेशन क्या है?

बता दें कि ऑक्सीजन सेचुरेशन बल्ड में ऑक्सी हीमोब्लोबिन के परसेंट को मापता है जो फेफड़ों से अलग अलग अंगों में पहुंचाया जाता है। सेचुरेशन अगर 94 से ऊपर हो तो स्वस्थ माना जाता है। लेकिन कोविड की वजह से शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ती तेजी से प्रभावित हो सकती है। क्योंकि वायरस के कारण मरीज को फेफड़ों और चेस्ट केविटी में सूजन की शिकायत होने लगी है अगर ऑक्सीजन का लेवल 94-100 के बीच है तो परेशान होने की बात नहीं लेकिन 94 से कम रीडिंग हो तो मरीज पर लगातार निगरानी रखनी पड़ेगी। ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे आए तो ये किसी गंभीरता का संकेत है। इसके लिए तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत पड़ती है।

मरीज को कब पड़ेगी ऑक्सीजन स्पोर्ट की जरूरत?

कोरोना महामारी के गंभीर स्थिति में व्यक्ति समझ नहीं पा रहा है कि वाकई उसे ऑक्सीजन स्पोर्ट की जरूरत है या नहीं। कुछ केस में ऑक्सीजन की कमी मरीज के अंगो को प्रभावित कर सकती है। डॉक्टर्स की मानें तो मरीज में अगर ऑक्सीजन की कमी या फिर सांस लेने में परेशानी दिखे तो पहले उसे घर पर ही ठीक करने की कोशिश करें। लेकिन अगर ज्यादा दिक्कत हो तो फिर तुरंत मेडिकल सहायता लें। बता दें कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले इन लक्षणों के बारे में पता होना बहुत जरूरी है।

ऑक्सीजन जब 91 से नीचे होने लगे-

ऐसे गंभीर समय में आपको ऑक्सीजन से जुड़ी सभी बातों का अच्छे से पता होना जरूरी है। अगर ऑक्सीजन का लेवल 95 से ऊपर है तो ब्लड ऑक्सीजन लेवल अच्छा माना जाता है। लेकिन जब मरीज का ऑक्सीजन लेवल 91 से नीचे जाने लगे तो व्यक्ति को डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए। वहीं डॉक्टरों की माने तो घर पर ऑक्सीजन थैरेपी से ऑक्सीजन का लेवल बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

होठ का नीला और चेहरे का रंग उठना-

अगर मरीज के होठ नीले, फूले और चेहरे का रंग काला पड़ने लगे तो यह शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने का संकेत होता है। समान्य स्थिति में ऑक्सीजन त्वचा में चमक होती है लेकिन जब शरीर में ऑक्सीजन कम होने लगता है तो त्वचा पर पीलापन दिखाई देने लगता है।

व्यक्ति को चक्कर आना-

मालूम हो कि ऑक्सीजन में कमी का संबंध दिमाग से जुड़ा होता है और इसके कमी के चलते रक्त के प्रवाह में रूकावट पैदा हो सकती है। इस मामले में जब ऑक्सीजन का स्तर वॉर्निंग साइन से कम हो जाए, तो तंत्रिका संबंधी जटिलताओं की संभावना बढ़ जाती है। जिससे व्यक्ति को चक्कर आना या एकाग्रता में कमी आ सकती है।

फेफड़ों और छाती में दर्द की शिकायत-

डॉक्टर का मानना है कि ऑक्सीजन लेवल में आ रहे उतार-चढ़ाव की स्थिति को घर में ही रहकर ठीक किया जा सकता है। लेकिन जब मरीज को छाती में दर्द हो या तेज सिरदर्द हो, खांसी होने लगे तो अस्पताल ले जाने में देरी ना करें। बता दें कि ये सभी कोविड-19 के इमरजेंसी वॉर्निंग साइन माने जाते हैं इसलिए इन्हें अनदेखा ना करें।