दिवाली की रौशनी बदल गयी अंधकार में , खेल-खेल में दुनिया को अलविदा कह गयी दो जुड़वाँ बेटियां

दिवाली का पर्व हमारे हिन्दू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है और इस त्यौहार का इंतजार लोग काफी लम्बे समय से करते है और  दिवाली की तैयारी भी एक महीने पहले से ही शुरू हो जाती है |लोग दिवाली के एक महीने पहले से ही घर की साफ सफाई साज  सज्जा में जुट जाते है और दिवाली का त्यौहार बड़े तो ख़ुशी पूर्वक मनाते ही है और वही ये त्यौहार  बच्चो के लिए भी काफी बड़ा उत्सव होता है और वे इस त्यौहार को बहुत ही उत्साह के साथ मनाते है|

जब त्योहारों पर  घर में बच्चों की हंसी और मस्ती होती है तभी किसी  त्यौहार का असली मजा आता  है  पर जरा सोचिये की अगर इसी रौशनी के पर्व में किसी के घर का अगर चिराग ही बुझ जाये तो फिर उस परिवार की क्या हालत होगी और कैसे वे इस गम को बर्दाश कर पाएंगे |ये बात सोचकर भी दिल दहल जाता है पर आपको बता दे की ये घटना इस साल दिवाली के अवसर पर सच में घटी है जिस वजह से इस साल गुजरात के एक गांव के घर में दिवाली का त्यौहार जश्न की जगह मातम में बदल गया|

दरअसल ये घटना गुजरात के राजकोट के डोलासा गांव की है जहाँ दिवाली के दो दिन पहले यानि की गुरुवार 12 नवम्बर  के दिन एक घर की जुड़वाँ बेटियां एक साथ दुनिया को अलविदा कह गयी  और इन बच्चियों की जान घर में बने अंडरग्राउंड पानी की टंकी ने ले ली और ये हमेशा के लिए दुनिया छोड़ गयी |बता दे राजकोट जिले के डोलासा गांव में  विपुलभाई पत्नी किरणबेन और अपनी तीन बेटियों के साथ रहते थे जिनमे से दो छोटी बेटियां निष्ठा और निहारिका दोनों 3 साल की  जुड़वाँ बहने थी और ये परिवार एक साथ गांव में ही रहता था|

दिवाली आने वाली थी इस वजह से घर में साफ सफाई चल रही थी और तभी ये बच्चियां अचानक  से ही टंकी के पास खेलते हुए पहुँच गयी और उसमे गिर गयी  और जब दोनों  बच्चियां टंकी में गिर गयी |जिसके बाद वे कुछ देर चीखी चिल्लाई और उनकी आवाज सुनकर माँ किरणबेन भागते हुए टंकी के पास आई और पडोसी भी आवाज सुनकर मौके पर वहां पहुँच गये और दोनों बच्चियों को टंकी से  निकाला गया पर तब तक काफी देर हो चुकी थी और उन दोनों की सांसे थम चुकी थी और जब घरवालो ने आनन फानन में  बच्चियों को अस्पताल लेकर गये तब वहां डॉक्टर ने भी उन्हें मृत घोषित कर दिया जिसके बाद इन बच्चियों की माँ की तो जैसे दुनिया ही उजाड़ गयी और माँ बाप दोनों का रो रोकर बुरा हाल हो रहा था |

वही दिवाली से दो दिन पहले ही हुए ऐसे दर्दनाक हादसे ने बच्चियों के पूरे परिवार को सदमे में  डाल  दिया |इस परिवार को तो शायद ये पता भी न रहा होगा जिस त्यौहार को मानाने के लिए वे इतनी तैयारी कर रहे है वो दिन इस तरह से मातम में बदल जायेगा |बता दे मासूम  बच्चियों की माँ के आंसू तो मनो थमने का नाम ही नहीं ले रहे है और इस घटना की वजह से दिवाली के दिन किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला और न ही किसी ने त्यौहार मनाया |