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पिता की थी छोटी सी खैनी की दुकान, ट्यूशन पढ़ाकर खुद की पढ़ाई, कठिन मेहनत से सफलता हासिल कर बने बड़े अफसर

इंसान के सपने बहुत बड़े बड़े होते हैं परंतु सिर्फ सोचने मात्र से ही सपने पूरे नहीं होते हैं। उसके लिए जीवन में कठिन संघर्ष और मेहनत करना पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई इंसान अपनी मजबूत इच्छा शक्ति के साथ कोई चीज हासिल करने की सोच लेता है तो उसके सामने बड़ी से बड़ी मुश्किल भी आसान हो जाती है। कठिन मेहनत और संघर्ष से ही इंसान एक कामयाब व्यक्ति बन पाता है। आज हम आपको बिहार के निरंजन कुमार के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। जो यूपीएससी की परीक्षा पास कर भारतीय राजस्व सेवा में बड़े अफसर बन चुके हैं। उन्होंने यह मुकाम पाने के लिए अपने जीवन में कड़े संघर्षों का सामना किया है।

आपको बता दें कि निरंजन कुमार ने यह मुकाम हासिल करने के लिए अपने जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव का सामना किया है परंतु उन्होंने किसी भी परिस्थिति के आगे हार नहीं मानी और निरंतर मेहनत करते रहे। निरंजन कुमार बिहार के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने साल 2017 में 728 रैंक हासिल की थी लेकिन अभी 535 रैंक मिली है। जब निरंजन कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने का सोचा तो उनके लिए यह सब इतना आसान बिल्कुल भी नहीं रहा था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निरंजन कुमार की आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी। निरंजन कुमार के पिताजी एक छोटी सी खैनी की दुकान चलाते थे और इसी दुकान से जैसे-तैसे घर का गुजारा चल रहा था। निरंजन कुमार चार भाई बहन हैं और पिता के लिए इनकी पढ़ाई का इंतजाम कर पाना बहुत मुश्किल भरा रहा था परंतु निरंजन कुमार ने अपने जीवन में जो सोचा था वह उसको पाने के लिए उनके हौसले बुलंद थे। भले ही निरंजन कुमार के घर की माली स्थिति ठीक नहीं थी परंतु उसके बाद भी परिवार ने निरंजन का साथ नहीं छोड़ा और ना ही निरंजन कुमार ने कभी हार मानी। लगातार वह हर परिस्थिति का सामना करते रहे।

बिहार के नवादा जिले के पकरी बरमा के रहने वाले निरंजन कुमार के लिए पढ़ाई कर पाना इतना आसान नहीं था। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण उनकी पढ़ाई का खर्च परिवार पर काफी भारी पड़ रहा था, तभी निरंजन का नवोदय विद्यालय में सिलेक्शन हो गया। निरंजन के पास पढ़ाई के लिए ना तो खर्च था और ना ही पढ़ाई लिखाई के लिए किसी प्रकार की सुविधा थी। यहां से दसवीं करने के बाद इंटर की पढ़ाई के लिए वह पटना चले गए थे परंतु मुश्किलों ने निरंजन का पीछा नहीं छोड़ा। एक बार फिर से निरंजन को पढ़ाई के लिए पैसों की आवश्यकता पड़ी तो उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का फैसला ले लिया।

निरंजन कुमार बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगे और खुद की कोचिंग के लिए रोजाना कई किलोमीटर पैदल चलते थे। तब जाकर उनकी पढ़ाई शुरू हो पाई थी। बारहवीं कक्षा के बाद उनका सिलेक्शन आईआईटी के लिए हो गया था, जिसके बाद परिवार की भी कुछ उम्मीद बनने लगी। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद निरंजन कुमार को कोल इंडिया में जॉब मिल गई इसके बाद निरंजन का विवाह हो गया परंतु अभी भी निरंजन का सपना पूरा नहीं हुआ था। उनका सपना था कि वह आईएएस अफसर बनें, जिसके लिए उन्होंने एक बार फिर से तैयारी शुरू कर दी।

निरंजन कुमार को अपना सपना पूरा करने के लिए जीवन में बहुत मेहनत और संघर्ष करना पड़ा था तब जाकर उनको सफलता मिली और जब इस इंजीनियर ने 2016 में यूपीएससी निकाल लिया। रैंक के हिसाब से तब उन्हें IRS के लिए चुना गया था। यूपीएससी निकालने के बाद निरंजन कुमार ने अपने संघर्षों के दिनों को याद करते हुए अपने पिता की छोटी सी दुकान पर भी बैठा करते थे। जब निरंजन के पिताजी बाहर जाते थे तो वह इस दुकान पर बैठकर खैनी बेचा करते थे। अभी भी निरंजन के पिताजी जी की खैनी की दुकान है और वह उसे चलाते हैं।

 

 

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