ये हैं जबलपुर के वाटरमैन शंकरलाल सोनी, 26 साल से साइकिल पर घूम-घूमकर पिला रहे फ्री पानी, लोग देते हैं दुआएं

अक्सर हम सभी लोगों ने यह जरूर सुना होगा कि भूखे को खाना खिलाना और प्यासे को पानी पिलाना पुण्य का काम होता है। भारतीय संस्कृति में भी प्यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। भारत में गर्मियों के महीनों में हम देखते भी हैं कि बहुत से लोग ऐसे हैं जो जगह जगह पर घड़े और प्याऊ लगाते हैं ताकि प्यासा इंसान इस भीषण गर्मी से राहत प्राप्त कर सके। जब हम किसी प्यासे को एक गिलास पानी देते हैं, तब उसके चेहरे पर जो सुकून होता है, वह सुकूनभरा चेहरा आपको और कहीं नहीं मिलेगा।

जब देशभर में भीषण गर्मी की वजह से लोग परेशान हों, ऐसे में तो यह पुण्य और भी दुगना हो जाता है। आप लोगों ने देखा होगा कि कई जगह पर बहुत से लोग पानी लेकर खड़े रहते हैं, जिससे कि प्यासे लोग उनके पास आकर अपनी प्यास बुझा सकें। लेकिन आज हम जिस व्यक्ति के बारे में आपको बताने जा रहे हो वह इस प्रचंड गर्मी में घूम-घूमकर लोगों की प्यास बुझाते हैं।

जी हां, हम मध्य प्रदेश, जबलपुर के एक बुजुर्ग की बात कर रहे हैं जो सालों से गर्मी इस मौसम में बिना थके अपनी साइकिल पर घूम-घूमकर अनोखी सेवा कर रहे हैं। वृद्धावस्था को आराम से जीने की बजाय लोगों की सेवा करते हैं और जबलपुर की गलियों में अपनी साइकिल पर घूम-घूमकर लोगों की प्यास को बुझाते हैं। उनके इस नेक काम को करते हुए लोग प्यार से उन्हें “वाटरमैन” कहते हैं।

पिछले 26 सालों से पिला रहे हैं पानी

दरअसल, आज हम आपको जिस व्यक्ति के बारे में बता रहे हैं उनका नाम शंकरलाल सोनी है, जिनकी उम्र 68 साल की है। मध्य प्रदेश की संस्कारधानी में शंकरलाल सोनी को कोई छागल वाले बाबा, तो कोई वाटरमैन कहकर बुलाता है। इसी वजह से शंकरलाल सोनी पिछले 26 सालों से बिना रुके, बिना थके लोगों को फ्री में पानी पिलाते आ रहे हैं। भीषण गर्मी में शंकरलाल अधारताल से ग्वारीघाट तक 18 किलोमीटर की दूरी दिन में तीन बार तय करते हैं। प्यास बुझाने के साथ-साथ यह सभी को पानी बचाने का भी संदेश देते हैं जो एक सराहनीय प्रयास है।

कभी शंकरलाल को पानी मांगने पर मिली थी दुत्कार

आपको बता दें कि शंकरलाल सोनी ने इस नेक काम को करने का खुद से संकल्प लिया है, जो कभी भी डिगता नहीं है। चाहे कितनी भी गर्मी हो, यह काम उनके दिनचर्या में शामिल हो चुका है। इस भीषण गर्मी में हम एसी और फ्रिज के बिना नहीं रह सकते, ऐसी प्रचंड गर्मी में भी शंकरलाल सोनी अपने काम से नहीं चूकते हैं। दरअसल 26 साल पहले जब शंकरलाल सोनी को पानी मांगने पर दुत्कार मिली थी तभी से उन्होंने निर्णय कर लिया कि अब वह और किसी के साथ ऐसा नहीं होने देंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शंकरलाल कहते हैं कि “उनका अपना अखबार मैगजीन का काम है। कई सालों पहले की बात है, उन्हें एक बार प्यास लगी थी, उन्होंने जब लोगों से पानी मांगा तो किसी ने उन्हें पानी नहीं दिया और तो और एक महिला ने तो उन्हें दुत्कार दिया। आगे भी 2-3 जगह ऐसे ही हुआ। इसके बाद वह अपने साथ छागल में पानी लेकर घर से बाहर जाने लगे।”

ऐसे में कभी कभी लोग उनसे पानी मांगने लगे। जिन्होंने छागल का जल पिया कहा बहुत संतोष मिला। धीरे-धीरे 1 फिर 2, इस वक्त शंकरलाल के पास 18-20 छागल हैं। उनका कहना है कि “लोगों को पानी पिला कर उन्हें बहुत संतुष्टि मिलती है।”

दुआएं देते हैं लोग

स्थानीय लोगों का ऐसा बताना है कि वह उन्हें सालों से 12 महीने 365 दिन सेवा करते हुए देखते आ रहे हैं। वह सबको स्वच्छ साफ पानी पिलाते हैं। ऐसे में उन्हें न गर्मी लगती है, ना ठंड। लोग उनसे प्रसन्न होकर भगवान से उनकी लंबी आयु की दुआएं मांगते हैं। लोग कहते हैं कि वह जबलपुर को पानी पिलाते हैं। उनके छागल का पानी हर धर्म, हर जाति सबके लिए एक जैसा होता है।

आपको बता दें कि शंकरलाल सोनी अपनी साइकिल के दोनों तरफ तख्तियां लटका कर चलते हैं, जिन पर लिखा होता है “चलता फिरता प्याऊ।” वह करीब 400 लीटर पानी छागलों से भरकर लोगों की प्यास बुझाने के लिए निकल पड़ते हैं।