हॉस्‍पिटल में एक ही बेड पर महिला के साथ लिटा दिया इस अंजान शख्‍स को, इसके बाद जो हुआ जानकर हर कोई दंग रह गया

आपको सुनकर भले ही हैरानी हो रही होगी लेकिन आपको बता दें कि यहां के लिए ये कोई नई बात नहीं है जी हां क्‍योंकि सीएचसी में बेड कम होने से ऐसी परिस्थितियां अकसर बन जाती है। सोमवार को एक ही बेड पर महिला व पुरुष को भर्ती करने का मामला सामने आया। हैरानी तो इस बात की है कि ये मामला गंभीर होने के बाद भी इस पुरूष को पूरे समय तक यहीं इसी बेड पर महिला के साथ ही लेटाए रखा गया जिसे देखने के बाद महिला के घरवालों ने अस्पताल में जमकर बवाल काटा। जब लोगों ने महिला और पुरुष की तस्वीर खींचकर अस्पताल प्रशासन से जवाब मांगा। तो सीएचसी ने बताया कि यहां महज चार ही बेड है ऐसे में मजबूरन उन्‍हें ऐसा करना पड़ता है।

वैसे अगर देखा जाए तो नियम के अनुसार सीएचसी में महिला वार्ड अलग होना चाहिए। लेकिन पीएचसी को 2013 में सीएचसी में कमोन्नत कर दिया गया था, लेकिन पांच साल बाद भी सीएचसी के निर्धारित मापदंड पूरे नहीं हैं। इस अस्पताल में न ही कोई गायनिकॉलोजिस्‍ट डॉक्‍टर है और न ही कोई बच्चों का डॉक्टर। वहीं इधर चिकित्सकों व स्टाफ का कहना है कि सीएचसी परिसर में रात को रुकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। रोलसाहबसर में हाईवे पर सीएचसी का निर्माण किया गया था।

वहीं आपको बता दें कि आज के समय में सीएचसी में ओपीडी समय के अलावा कोई भी डॉक्‍टर नहीं रहता है। रात के समय में तो सीएचसी के ताला लगा रहता है। सीएचसी के पीछे पूरे गांव का गंदा पानी आता है। सीएचसी भवन के दो तरफ गंदा पानी जमा हो रहा है। गंदा पानी एक ओर संक्रमण को न्योता दे रहा हैं। वहीं हादसे का डर भी बना रहता है। हर समय अस्पताल परिसर में बदबू आती रहती है। अब हैरानी की बात तो ये है कि जहां साफ सफाई का मायने बहुत ज्‍यादा होता है वहीं इतनी गंदगी और लापरवाही है कि मरीज जाते ही और ज्‍यादा बिमार पड़ सकता है। तो इस पूरे गांव का क्‍या हाल होगा।

इन सबमें प्रशासन का दोष है तभी तो ऐसी हालत में सीएचसी है जिसमें न ही कोई डॉक्‍टर है और न ही बेड भला कोई यहां कैसे इलाज करा सकता हे। ऐसा लगता है कि मानों नाम के लिए ये व्‍यवस्‍था रखी गई है जो बस दर्शन के काम ही आ सकती है।