लॉकडाउन में पिता की गई नौकरी, सीखा बाइक चलाना, फूड डिलीवरी कर परिवार का पेट पाल रही है बेटी

कोरोना वायरस ने देश भर के लोगों का जीवन पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। लॉक डाउन के कारण लोग काफी परेशान रहे हैं। लॉक डाउन के चलते लोगों की नौकरियां छूट गई। ऐसी स्थिति में घर का गुजारा चला पाना बहुत ही कठिन हो रहा है। कोरोना काल में ऐसी बहुत सी खबरें आए दिन सुनने को मिल रही है जो मन को झकझोर देती हैं। इस संकट की घड़ी में हर कोई मजबूर हो गया है। खासकर जो लोग दिहाड़ी मजदूर हैं उनका जीवन बहुत ज्यादा कठिन साबित हो रहा है। काम-धंधा ना होने के कारण परिवार के लोग कई बार भूखे पेट ही सो जाते हैं। इसी बीच आज हम आपको कटक की 18 साल की लड़की विष्णु प्रिया की कहानी के बारे में बताने वाले हैं।

जब कोरोना ने दस्तक नहीं दी थी तो विष्णुप्रिया एक आम विद्यार्थी की तरह स्कूल जाकर पढ़ाई किया करती थी। विष्णुप्रिया की आंखों में यह सपना था कि पढ़ाई-लिखाई करके वह डॉक्टर बने और लोगों की सेवा करे परंतु पिछले साल जब कोरोना ने देश में दस्तक दी तो सब कुछ बदल गया। आपको बता दें कि विष्णुप्रिया असम के कटक की रहने वाली हैं और उसके पिताजी ड्राइवर की नौकरी किया करते थे परंतु कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन के बाद विष्णुप्रिया के पिताजी की नौकरी चली गई। ऐसी स्थिति में कोई भी काम धंधा ना होने के कारण परिवार पर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा। आर्थिक तंगी सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आई।

जैसे कि हम लोग जानते हैं मौजूदा समय में बिना पैसों के कुछ नहीं होता। पैसा होगा तो इंसान खाना खाएगा परंतु कोई भी कामकाज ना होने के कारण विष्णुप्रिया के घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब होती चली गई। आपको बता दें कि विष्णुप्रिया के अलावा परिवार में दो छोटी बेटियां भी हैं और वह भी पढ़ाई कर रही हैं। ऐसे में पिताजी की नौकरी चले जाने के कारण खाने का इंतजाम करना भी बहुत मुश्किल होने लगा। पिताजी ने जो भी पैसे बचाएं थे वह धीरे-धीरे खत्म हो गए और आखिर में परिवार की स्थिति बहुत खराब होगी। ऐसी स्थिति में विष्णुप्रिया ने एक बड़ा निर्णय लिया और उसने खुद परिवार का सहारा बनने की ठान ली। विष्णु प्रिया ने अपनी संस्थागत पढ़ाई को निलंबित कर नौकरी ढूंढना शुरू किया।

विष्णु प्रिया ने जोमैटो में इंटरव्यू दिया और वहां पर उसका सिलेक्शन भी हो गया। विष्णु प्रिया को लगा कि वह फूड डिलीवरी एप जोमैटो में लोगों के घरों तक खाना पहुंचाने का काम कर सकती हैं। इसी वजह से सबसे पहले विष्णुप्रिया ने पिता की मोटरसाइकिल चलानी सीखी थी। इसके बाद ही उसने जोमैटो के स्थानीय ऑफिस में डिलीवरी एजेंट की नौकरी के लिए अप्लाई किया था। जहां पर उसका सिलेक्शन हो गया था। विष्णुप्रिया पिछले 18 दिनों से फूड डिलीवरी का काम बखूबी तरीके से कर रही हैं। वह कटक की पहली लड़की हैं जो यह नौकरी कर रही हैं। शायद पुरे उड़ीसा में भी ऐसी चंद लड़कियां होंगी, जो इस तरह की जॉब कर रही होंगी।

आपको बता दें कि विष्णु प्रिया सुबह 6:00 से 10:00 बजे तक पड़ोस के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं और सुबह 11:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक जोमैटो के लिए फूड डिलीवरी करती हैं। बातचीत के दौरान विष्णुप्रिया ने मीडिया को यह बताया था कि वह 12वीं में पढ़ रही थीं और उन्होंने साइंस विषय लिया था क्योंकि उनका सपना था कि वह डॉक्टर बने परंतु पिताजी की जॉब चले जाने से सब कुछ बदल गया। हम तीन बहने हैं और मेरा मानना है कि कोई काम छोटा नहीं होता। ऐसे में मेरी कोशिश है कि परिवार की जरूरतों पूरे होने के साथ मेरी दोनों बहने की पढ़ाई चलती रहे।