जिस किन्नर बच्चे को मां ने घर से भगाया, आज वही बन गया देश का पहला ट्रांसजेंडर पायलट, दिल छू लेगी कहानी

मां वह होती है जो हमें जन्म देती है। माँ एक ऐसा शब्द है जिसके महत्व के विषय में जितनी भी बात की जाए कम ही है। हम मां के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। मां के लिए तो उसका बच्चा काला हो, गोरा हो या अपाहिज हो उसे स्वीकार होता है परंतु आज हम आपको एक ऐसे किन्नर बच्चे की कहानी बताने जा रहे हैं जिसकी मां ने ही अपने बच्चे को घर से बाहर निकाल दिया और दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया।

बता दें कि भारत सरकार और कई राज्यों ने पिछले कुछ सालों में ट्रांसजेंडर्स के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं लेकिन सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ट्रांसजेंडर एडम हैरी की कहानी वायरल हो रही है। एडम हैरी केरल राज्य के थ्रीसुर जिले के निवासी हैं। जब एडम हैरी के अभिभावक को इस बात का पता चला कि उनका बेटा एक किन्नर है तो पहले उसे एक रूम में बंद कर दिया। जब उस बच्चे की उम्र करीब 19 वर्ष की थी। इसी बीच उनके माता-पिता ने उसे खूब प्रताड़ित किया।

एडम हैरी को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उसके बाद माता-पिता ने उसे घर से बाहर निकाल दिया और सारे रिश्ते खत्म कर दिए। एडम हैरी की किसी ने भी मदद नहीं की। इतना ही नहीं बल्कि उसके पास पैसे भी नहीं थे, जिसके चलते उसे फुटपाथ पर ही रहना पड़ा था। भूखे पेट सोना पड़ा था। जीवन में इतनी कठिनाइयां देखी परंतु इसके बावजूद भी एडम हैरी के कदम नहीं डगमगाए।

पायलट बनना चाहते थे एडम हैरी

एडम हैरी का सपना एक कमर्शियल पायलट बनने का था परंतु समय की मार से वह घबराए नहीं और ना ही उन्होंने हार मानी। कई रातें भूखे पेट उन्होंने फुटपाथ पर गुजारी। भूख की वजह से वह ठीक से भी नहीं सो पाते थे। लेकिन उन्होंने अपने जीवन की हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया। एडम हैरी देश के पहले ट्रांसजेंडर हैं, जिनके पास प्राइवेट पायलट लाइसेंस है। उन्होंने 2017 में जोहान्‍सबर्ग में ट्रेनिंग के बाद यह लाइसेंस प्राप्‍त किया था।

लेकिन हैरी के लिए अपने इस सपने को साकार करना इतना आसान नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में बहुत से कठिनाइयां देखीं। उन्होंने एक छोटी सी जूस की दुकान पर अपना खर्च चलाने के लिए काम भी किया। कुछ लोग उन्हें अजीब नजरों से देखा करते थे, पर उनके ऊपर कोई भी इसका प्रभाव नहीं पड़ा। वह मजबूत हौसले के दम पर बिना रुके आगे बढ़ते चले गए। अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने अपने जीवन में कठिन मेहनत की। कठिन परिस्थितियों के आगे भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार कठिनाइयों का मुकाबला करते हुए आगे बढ़ते गए।

ऐसे किया अपना सपना पूरा

मीडिया से बातचीत करते हुए हैरी ने बताया कि “मैंने कई रातें बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर गुजारीं। मेरे पास खाने तक के पैसे नहीं थे। मैं कई रात भूखा ही सोया। इसके बाद मैने एक जूस की दुकानों पर काम करने लगा। इसके बाद मुझे एविएशन एकेडमिक्स संस्थाओं में पार्ट टाइम की नौकरी मिल गई। यहां भी मेरे साथ भेद-भाव होता था।” इसके बाद हैरी ने सोशल जस्टिस डिपार्टमेंट से संपर्क किया जहां उन्हें पढ़ाई के लिए एक अच्छी एविएशन एकेडमी को ज्वाइन करने की सलाह दी गई। इसके बाद वह राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन एंड टेक्नोलॉजी ज्वाइन किया।


अब केरल सरकार ने एडम हैरी के टैलेंट को पहचानते हुए उसकी मदद करने के लिए कदम आगे बढ़ाया है। सरकार एडम की सारी ट्रेनिंग का ख़र्च उठाएगी। राज्य सामाजिक न्याय विभाग ने 23.34 लाख रुपये का खर्च उठाएगी। इस मदद के जरिए उनके सपनों को उड़ान मिली। यहीं से उनका सफर शुरू हुआ। यहीं से उनकी जिंदगी ने करवट ली और वह कमर्शियल पायलट बनकर देश के सामने आए। लोगों की नफरत को उन्होंने प्यार में बदल दिया। आज उनकी काबिलियत पर पूरा देश सलाम कर रहा है।