इस जगह पर पहली बार पीरियड आने पर लड़कियों के साथ किया जाता है ऐसा काम, जानकर चौंक जाएंगे आप

आज हम आपको एक बेहद ही विशेष जानकारी देने जा रहे हैं जिसके बारे मे हमारे समाज में लोग खुलकर बात नहीं कर पाते हैं यही कारण है कि इस बारे में लोगों की जानकारी काफी कम होती है। आपको बता दें कि भारत एक ऐसा देश है जहां परंपराओं और संस्‍कृति को पहले मान्‍यता दी जाती है इतना ही नहीं परंपरा के नाम पर आज भी कई ऐसे जगह है जहां ऐसे काम किए जाते हैं जो वाकई में बेहद शर्मनाक हैं। ये तो हम सभी जानते हैं कि हमारा देश दिन प्रतिदिन ि‍वकसित हो रहा है लेकिन क्‍या हर जगह के लोगों की सोच बदल सकती है शायद नहीं तभी तो आज भी हम कुछ ऐसी रूढि़वादि परंपराओं से जकड़े हुए है जिससे बाहर निकलना असंभव है।

दरअसल अाज हम आपको बताने जा रहे है लड़कियों के हर माह में होने वाले महावारी के बारे में जो कि हमारे समाज में बहुत ही गुप्त रखा जाता है। जब किसी का पीरियड आता है तो यह किसी को भी नहीं बताया जाता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पीरियड आने पर बहुत ही धूमधाम से जश्न मनाया जाता है। जी हां दोस्तों यह बात सुनकर भले ही आप को आश्चर्य हो रहा हो लेकिन यह बात सच है। तो चलिए जानते हैं इस गांव की अनोखी परंपरा के बारे में।

जी हां आपको शायद विश्‍वास नहीं हो रहा होगा लेकिन हमारे देश के असम राज्‍य के बोगांई जिले के सोलमारी गांव में एक ऐसी परंपरा है जिसमें लड़की अगर पहली बार पीरियड होती है तो पूरे ही गांव में बेहद ही धूमधाम और नाच-गाने के साथ इस खुशी को जश्न के रूप में मनाया जाता है। इस गांव में जो किसी लड़की का पहली बार पीरियड रहता है तो उस लड़की के माता-पिता लड़की की शादी केले के पेड़ के साथ करवा देते हैं। जब किसी लड़की का पहली बढ़ती है रहता है तब यह शादी करवाया जाता है। इस शादी को तोलिनी ब्याह के नाम से जाना जाता है।

इतना ही नहीं आपको बता दें कि उस गांव की ऐसी प्रथा है कि जब लड़की के पीरियड का पहला दिन रहता है तब यह शादी करवाई जाती है। इसके बाद लड़की को ऐसे कमरे में रखा जाता है जहां पर सूरज की रोशनी बिल्कुल भी नहीं आती हो। जरा सोचिए इन दकियानुशी सोच की वजह से उन मासूम लड़कियों पर क्‍या बितती होगी उन्‍हें कितनी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता होगा और तो और इतना ही नहीं बल्कि शादी के बाद लड़की को पका हुआ खाना खाने की अनुमति नहीं होती है बल्कि उसे खाने में कच्चा दूध और फल खाने के लिए दिया जाता है।

पीरियड के पूरी अवधि तक उस लड़की को वहीं अंधेरे कमरे में जमीन पर ही सोना पड़ता है और किसी का भी चेहरा देखने के लिए मना किया जाता है। यह परंपरा शुरुआत से ही इस गांव में चलती आ रही है। हैरानी की बात तो ये है कि आज भी लोग इस परंपरा को निभाते हें।