मासिक धर्म के श्राप के साथ भगवान के स्त्रियों को दिया था ये अनोखा वरदान, जानकर चौंक जाएंगे आप

ये तो हम सभी जानते हैं कि हमारे समाज में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है। वहीं ये बात भी हर कोई जानता है कि भगवान ने स्‍त्री को एक खास तरीके से बनाया है तभी उनमें जो बातें हैं उससे वे कभी परेशान हो जाती हैं तो कभी अपने आप पर गर्व महसूस करती हैं। स्‍त्रियों का स्‍वभाव से लेकर चाल ढ़ाल हर कुछ पुरूषों से अलग है इतना ही नहीं आपको बता दें कि महिलाओं की शारिर‍ीक प्रक्रिया भी अलग है जिसमें मासिक धर्म आता है। जी हां अगर डॉक्‍टर्स की माने तो ये एक सामान्‍य प्रक्रिया है लेकिन वहीं अगर शास्‍त्रो की माने तो इसे स्‍त्रियों की कमजोरी माना जाता है।

अब सवाल ये आता है कि अगर ये सबकुछ सामान्‍य है तो आखिर हर माह महिलाओं को मासिक धर्म की पीड़ा क्‍यों सहनी पड़ती है? और इसके पीछे का कारण क्‍या है? ये सवाल आपके मन में भी जरूर आता होगा तो आपको सबसे पहले तो ये बता दें कि धार्मिक मान्‍यता के अनुसार बताया जाता है कि महिलाओं को इंद्र देव द्वारा दिए गए श्राप के कारण उन्‍हें हर महिने ये झेलना पड़ता है। अब आप भी सोच रहे होंगे कि भला महिलाओं से ऐसी क्‍या गलती हो गई थी जिसकी वजह से इंद्र देव ने इतना बड़ा श्राप दे दिया।

तो बता दें कि इसके पीछे भी एक कहानी है जिसका वर्णन भागवत पुराण में किया गया है। जी हां बताया जाता है कि जब देवताओं के गुरू देवाराज इंद्र क्रोधित हो गए तो इसका फायदा उठाकर असुरों ने स्‍वर्ग पर आक्रमण कर दिया। जिसके कारण इंद्र को अपना आसन छोड़ना पड़ा। तब इस समस्‍या का निवारण करते हुए ब्रह्मा जी ने उन्‍हें कहा कि उन्‍हें किसी ब्रह्मज्ञानी की सेवा करनी चाहिए इससे आसन फिर प्राप्‍त हो जाएगा।

तभी इस उपाय को संज्ञान में लेकर इंद्र देव ने ब्रह्मज्ञानी की सेवा की पर हुआ यूं की ब्रह्मज्ञानी की माता एक असुर थीं और इस बात का पता इंद्र देव को नहीं था जिसकी वजह से वो जो भी आहुती चढ़ा रहे थें वो सारी हवन सामग्री राक्षसों के पास जा रही थी। लेकिन कुछ ही समय बाद जब इस बात का पता इंद्रदेव को चला तो उन्‍होंने ब्रह्मज्ञानी की हत्‍या कर दी। जिसके बाद भगवान इंद्र देव पर ब्रह्म हत्‍या का पाप लगा जो कि राक्षस के रूप में उनके पीछे पड़ गया। अब भगवान चिंतित हो गए और फिर इससे बचने के लिए इंद्र देव एक फूल में छुप गए।

इसके अंदर रहकर उन्‍होंने एक लाख वर्ष तक भगवान विष्‍णु की तपस्‍या की। तब जाकर इंद्रदेव को भगवान विष्‍णु ने इस पाप से छुटकारा पाने का एक उपाय बताया उस उपाय में बताया कि इंद्र देव अपने पाप का कुछ अंश पेड़, पृथ्‍वी, जल और स्‍त्री में बांट दें ऐसा करने से उन्‍हें इससे छुटकारा मिल जाएगा तभी उन्‍होने ऐसा ही किया और ऐसा करने के बाद सभी ने उनके इस पाप को ग्रहण कर लिया लेकिन बदले में सभी ने एक-एक वरदान मांगा।

पाप के बदले सभी को वरदान

बताया जाता है कि भगवान इंद्र ने पेड़ को कभी भी अपने आप को जीवित करने का वरदान दिया। वहीं पानी को किसी भी वस्‍तु को स्‍वच्‍छ करने का अधिकार मिला। वहीं पृथ्‍वी को सभी चोटें अपने आप भरने का वरदान मिला पर सबसे अंत में स्‍त्री को एक वरदान मिला जिसमें ये कहा गया कि वो पुरुषों की अपेक्षा काम यानी शारीरिक संबंध का आनन्‍द दोगुना ले पाएंगी लेकिन ब्रह्म हत्‍या के पाप के तौर पर मासिक धर्म का कष्‍ट झेलेंगी।