मानवता की मिसाल: हिंदू डॉक्टर से नहीं देखा गया मुस्लिम पेशेंट का दर्द, अंतिम समय में सुनाया कलमा

कोरोना महामारी के बीच लोगों को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर से जिस परिवार के किसी सदस्य को कोरोना हो गया है उसको बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है। कोरोना की दूसरी लहर बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। रोजाना ही कोरोना के पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इतना ही नहीं बल्कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोग अपना दम तोड़ रहे हैं। कोरोना काल में रोजाना ही ऐसी कई खबरें सुनने को मिल रहीं हैं, जिसको जानकर मन बहुत ज्यादा दुखी हो जाता है।

कोरोना काल में लोगों के कई चेहरे देखने को मिल रहे हैं। सभी लोगों के मन में कोरोना का डर बैठ चुका है। मुश्किल समय में अपने ही अपनों का साथ छोड़ कर भाग रहे हैं परंतु ऐसे भी लोग इस दुनिया में हैं जो बेगानों का हाथ थाम रहे हैं। जी हां एक मरीज और डॉक्टर की कहानी इन दिनों काफी तेजी से वायरल हो रही है। जो मानवता की मिसाल से कम नहीं है। अगर आप सुनेंगे तो आपको भी यकीन हो जाएगा कि इंसानियत अभी भी जिंदा है।

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कोरोना वायरस के बीच डॉक्टर किसी भगवान से कम नहीं हैं। ये अपने घर-परिवार को छोड़कर दिन-रात मरीजों की का इलाज कर रहे हैं। इसी बीच मानवता से जुड़ा हुआ और एक अनूठा मामला पलक्कड़ के पट्टांबी से सामने आया है। दरअसल, केरल स्थित पलक्कड़ जिले से जो खबर सामने आई है वह किसी मिसाल से कम नहीं है। यहां के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांसे गिन रही मुस्लिम मरीज के लिए हिंदू महिला डॉक्टर इस्लामिक प्रार्थना पढ़ी। डॉक्टर के द्वारा किए गए इस कार्य की लोग तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं।

आपको बता दें कि केरल की डॉक्टर रेखा कृष्णा पट्टांबी इलाके में स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में कोविड मरीजों की देखभाल कर रही हैं। उनके वार्ड में कोविड से पीड़ित मुस्लिम महिला 2 हफ्ते से वेंटिलेटर पर थीं। 17 मई को इस महिला मरीज की हालत बहुत ज्यादा बिगड़ गई, जिसकी वजह से उन्हें वेंटिलेटर से बाहर निकाला गया था। मरीज की हालत बहुत ज्यादा खराब हो चुकी थी और डॉक्टर्स ने भी जवाब दे दिया था।

डॉ रेखा कृष्णा ने यह बताया कि जैसे ही वह महिला के पास पहुंची तो उन्हें ऐसा लगा कि उन्हें दुनिया से विदा लेने में मुश्किल हो रही है। डॉक्टर ने आगे बताया कि मैं महिला के लिए कुछ करना चाहती थी। मैंने धीरे-धीरे उनके कानों में कलमा पढ़ा। फिर मैंने उन्हें कुछ गहरी सांसे लेते हुए देखा और फिर वह स्थिर हो गईं। डॉक्टर कृष्णा ने आगे बताया कि वह दुबई में पैदा हुई हैं और वहीं पली-बढ़ी हैं इसलिए उन्हें इस्लामिक रीति-रिवाजों और परंपराओं का पता है।

डॉ. रेखा कृष्णा ने आगे बताया कि कोविड रोगियों के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि वह खुद को अकेला और अलग-थकेला महसूस करते हैं। ऐसी स्थिति में हमें मरीजों की मदद करने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए। डॉ. रेखा कृष्णा को लगता है कि यह कोई धार्मिक कार्य नहीं था बल्कि एक मानवीय कार्य था। बता दें सोशल मीडिया पर सभी लोग डॉ कृष्णा की जमकर तारीफ कर रहे हैं। उनकी यह कहानी उनके ही एक दोस्त ने सोशल मीडिया पर शेयर की थी।