बेहद रहस्यमयी है माता का ये मंदिर, यहां सदियों से जल रही है बिना “तेल और बाती की ज्योत”

देशभर में देवी मां के ऐसे बहुत से मंदिर हैं जिनके प्रति भक्तों की अटूट आस्था है। यह सभी मंदिर अपने किसी ना किसी रहस्य और खासियत के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। पुराणों के अनुसार देखा जाए तो देवी सती के 51 शक्तिपीठ हैं। इन सभी स्थानों पर मां सती के शरीर का एक-एक अंग गिरा था और उस स्थान को आज मां शक्ति के शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। यह सभी शक्तिपीठ अपने आप में बेहद खास हैं। यहां पर भक्त दूर-दूर से दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं परंतु आज हम आपको इस लेख के माध्यम से माता रानी के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जहां पर सदियों से मां की ज्योत बिना तेल और बाती की जलती है। शायद आप लोगों को यह जानकर हैरानी हो रही होगी परंतु इस मंदिर में माता का चमत्कार देखने को मिलता है।

आज हम आपको माता के जिस मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच बसा हुआ है, जिसको ज्वाला देवी का मंदिर कहा जाता है। मां ज्वाला देवी तीर्थ स्थल को देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती की जीभ गिरी थी। इस मंदिर में माता रानी की ज्योत बिना तेल और बाती के सदियों से जल रही है जिसकी वजह से यह मंदिर बहुत ही चमत्कारी माना गया है। माता रानी का यह चमत्कार है जिसके माध्यम से मां अपनी मौजूदगी का अहसास करवाती हैं। भक्त इस चमत्कार को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं।

माता रानी के इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि मुगल सम्राट अकबर ने ज्वालाजी में ज्योतियों को बुझाने का बहुत प्रयत्न किया था। ऐसा कहा जाता है कि इन ज्योतियों को बुझाने के लिए एक नहर खुदवा कर पानी छोड़ दिया गया। इतना ही नहीं बल्कि ज्योतियों पर लोहे के तवे भी चढ़ावा दिए गए थे परंतु इसके बावजूद भी ज्योतियां नहीं बुझी। उसके बाद अकबर का अहंकार टूट गया और नंगे पैर वह माता रानी के दर्शन करने के लिए पहुंच गया और मां को सोने का छत्र भी चढ़ाया। माता रानी के इस मंदिर में बिना तेल और बाती की ज्योति कैसे जल रही है, इसका सालों से पता लगाया जा रहा है परंतु अभी तक यह रहस्य, रहस्य ही बना हुआ है।

आपको बता दें कि ज्वाला देवी के मंदिर में कुल 9 ज्वाला प्रज्वलित होती रहती हैं जिसमें से एक प्रमुख ज्वाला है। वह चांदी के दीपक में जलती है। वैसे तो माता के इस दरबार में भक्तों की भीड़ लगी रहती है परंतु नवरात्रि के दिनों में यहां पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। दूरदराज से लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। ज्वाला देवी मंदिर की आरती काफी मशहूर है। इस मंदिर में 5 बार आरती होती है जिसके पश्चात माता रानी के मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से माता रानी से कुछ भी मांगता है तो उसकी हर इच्छा माता रानी पूरी कर देती हैं।