पिता को खोया, मां ने बच्चों को पालने के लिए दूसरों के घरों में किया काम, अब पर्वतों की चोटी पर तिरंगा लहरा रही बेटी

इंसान के सपने बहुत बड़े बड़े होते हैं लेकिन सिर्फ सपने देखने से ही कुछ नहीं होता है। अगर आपको अपनी मंजिल हासिल करनी है, तो इसके लिए जीवन में कड़ी मेहनत करने के साथ-साथ संघर्ष भी करना पड़ेगा। इस दुनिया में लोग अपने जीवन में कुछ कर दिखाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं परंतु ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी की कठिन परिस्थितियों के आगे हार मान लेते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो जीवन के हर उतार-चढ़ाव का लगातार सामना करते रहते हैं। इन लोगों के अंदर अपनी मंजिल पाने का एक अलग ही जुनून होता है और यही उनको उनकी मंजिल तक पहुंचाती है।

कहते हैं कि जुनूनी इंसान कुछ भी कर सकता है। उसका जुनून राह में आने वाली किसी भी कठिनाई को नहीं देखता। इंसान का यही जुनून उसे उसके लक्ष्य तक पहुंचाने की ताकत देता है। इसी बीच आज हम आपको बिहार के सहरसा जिले की रहने वाली लक्ष्मी झा की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने एक नया कीर्तिमान स्थापित कर बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है।

संघर्ष के बाद अब पर्वतों को फतह कर रही लक्ष्मी

दरअसल, मूल रूप से सहरसा के बनगांव की रहने वाली लक्ष्मी झा ने मात्र दो घंटे में उत्तराखंड के चंद्रशिला नाम से विख्यात 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चंद्रशिला मंदिर पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर तिरंगा फहराया है। इसी साल दक्षिण अफ्रीका के सबसे ऊंचे पहाड़ किलिमंजारो पर भी लक्ष्मी ने तिरंगा फहराया था। आज लक्ष्मी दुनिया भर के पहाड़ों को फतह करने की ताकत रखती हैं और नए कीर्तिमान रचने की तैयारी में हैं। हालांकि, यहां तक पहुंचने का सफर उनके लिए काफी कठिनाई भरा और चुनौतीपूर्ण रहा है। परंतु उन्होंने किसी भी कठिन परिस्थिति में हार नहीं मानी।

छोटी उम्र में ही पिता को खोया

आपको बता दें कि लक्ष्मी की माता जी का नाम सरिता देवी है और उनके पिताजी का नाम विनोद झा था। जब लक्ष्मी की उम्र बहुत छोटी थी तो उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। जब पिता की मृत्यु हो गए गई तो 4 बच्चे और पत्नी पीछे छूट गए जिनकी रोजी-रोटी का इंतजाम अभी एक बड़ा सवाल बन गया। जब लक्ष्मी की मां ने देखा कि परिवार का कोई भी सहारा नहीं है, तो उन्होंने अपने परिवार की सारी जिम्मेदारी खुद उठाने का फैसला किया। लक्ष्मी की मां गांव के ही घरों में चूल्हा-चौका का काम करने लगी। इसी काम से लक्ष्मी की मां परिवार को संभाल रही थी और अपने बच्चों को पाला।

जैसे जैसे समय बदलता गया, वैसे वैसे चीजों में काफी बदलाव हुआ। लक्ष्मी के बड़े भाई का नाम श्याम झा है, जिसने गांव में ही किताब की दुकान खोली जबकि सब भाई बहनों में छोटी लक्ष्मी ने पढ़ाई जारी रखी। जिसके बाद उन्हें मन में यह ख्याल आया कि क्यों ना माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर तिरंगा झंडा लगाया जाए। लक्ष्मी ने बताया कि उनकी इस कामयाबी का श्रेय उनकी मां को जाता है। उन्होंने बताया कि अगर मां का सहयोग नहीं मिलता, तो उसका इस मुकाम तक पहुंचना संभव नहीं था।

वहीं लक्ष्मी ने कहा कि अगर बेटियों को सरकार का सहयोग मिलता रहे तो बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का दम रखती हैं। लक्ष्मी ने यह भी बताया कि वह आगे ब्लैक माउंटेन पर चढ़ाई करने का प्लान बना रही हैं, जिसकी ऊंचाई साढ़े 6 हजार मीटर है। आपको बता दें कि लक्ष्मी अगले साल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर अपना सपना साकार करने की तैयारी में हैं। वह हर तरह से इसकी तैयारी में जुटी हुई हौं।