गुजरात के रॉयल परिवार में छिड़ा पुश्तैनी संपत्ति को लेकर विवाद, पिता की 4,500 करोड़ वसीयत को लेकर बेटी ने कोर्ट में उठाई आवाज़

दुनिया में ज़मीन जायदाद को लेकर अक्सर हमने वाद-विवाद होते हुए देखे होंगे. हालाँकि यह एक तरह का पारिवारिक क्लेह भी माना जाता है. ज़मीन को पाने के लिए कईं लोग एक दूसरे की जान तक के दुश्मन बन बैठते हैं. लेकिन जब बात 4500 करोड़ की संपत्ति की ही तो उसका बंटवारा भी अपने आप भी बहुत बड़ा विवाद बन जाता है. गुजरात के राजकोट में से एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहाँ के राजघराने का संपत्ति विवाद अब कोर्ट में पहुँच गया है. इस विवाद की मुख्य जड़ रणजीत विलास पैलेस है जहाँ पर अभी राजा मांधाता सिंह जडेजा रह रहे हैं. इस राजघराने की कुल संपत्ति में 550 एकड़ ज़मीन, 1.4 लाख वर्गमीटर एरिया में फैला रंदरदाझील फार्म, चांदी का फर्नीचर, चांदी का रथ, एंटीक पीस, गहने और खंजर आदि शामिल हैं.

इस ज़मीन और प्रॉपर्टी के लिए कोर्ट में दो केस दर्ज़ किए जा चुके हैं एक तो मांधाता सिंह जडेजा की बहन अंबालिका देवी ने किया था जोकि उन्होंने संपत्ति के पांचवे हिस्से को पाने के लिए मांग की थी. वहीँ इसके ठीक दो महीने बाद ही राजा के भतीजे के 24 वर्षीय बेटे रणसूरवीर सिंह जडेजा ने अपने दादा प्रद्युमनसिंह जडेजा की संपत्ति में से अपना हिस्सा माँगा था. कानून के मुताबिक दोनों ही मुकद्दमे महल समेत पूरी संपत्ति के अधिकारों को चुनौती दे रहे हैं. अभी कोर्ट ने यह तर्क दिया है कि पैतृक संपत्ति को वसीयत के नाम पर आगे नहीं बढाया जाएगा और इसको परिवार के सभी कानूनी वारिसों में बराबर हिस्सों में बांटा जाएगा.

यह था पूरा विवाद

बता दें कि राजकोट में प्रद्युमन सिंह जडेजा 15वें राजा व ठाकोर साहेब थे जिसके बाद उनके बेटे मनोहर सिंह को राजगद्दी सौंपी गई थी. वहीँ साल 2018 में मनोहर सिंह के निधन के बाद मांधाता सिंह जडेजा को नया राजा घोषित किया गया था और वह 17वें राजा बन कर उभरे थे. इधर अंबालिका मनोहर सिंह की बेटी हैं जबकि रणसूरवीर सिंह मनोहर सिंह के छोटे भाई प्रल्हाद सिंह के पोते हैं. ऐसे में दोनों ही बहन-भाई प्रद्युमन सिंह के वंशज हैं. साल 2019 में अंबालिका को पांचवा हिस्सा देने के लिए मनाया गया था. लेकिन बाद में मुकदम्मे में कहा गया कि उनके खिलाफ साजिश की जा रही है और उन्हें उनके हिस्से से वंचित नहीं किया जा सकता है. बीते वर्ष अंबालिका और मांधाता सिंह के बीच उस समय और भी दरार पड़ गई जब राजतिलक के दौरान अंबालिका का अपमान किया गया था. इसके बाद अंबालिका के केस पर 20 सितंबर को सुनवाई की जानी थी जबकि मांधाता सिंह की तरफ से ब्यान दर्ज़ करवाने को लेकर इसे कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया था.

मांधाता सिंह का जवाब

अंबालिका के बाद रणशूरवीर ने मुकद्दमा दायर करके दादा की संपत्ति से अपना हिस्सा माँगा था लेकिन मांधाता सिंह जडेजा के जवाब आने तक इसका कोई फैसला नहीं किया गया था. इसके बाद मांधातासिंह जडेजा ने जवाब के तौर पर कहा कि यहाँ पर ज्येष्ठाधिकार का नियम है ऐसे में बड़े पुत्र को पूरी संपत्ति संभालनी होती है बाकी अन्य वारिसों को जायदाद का केवल मेंटिनेंस दिया जाता है. यानि अब मांधाता सिंह के बताए अनुसार ज्येष्ठाधिकार के नियम अनुसार अब पैतृक संपत्ति कानूनी नियमों के अनुसार शाही जायदाद अविभाज्य ही रहनी चाहिए.