मोहिनी एकादशी आज : विष्णु जी की होती है इन दिन पूजा, जानिए इसकी व्रत कथा और पूजन विधि

दोस्तों हमारे हिन्दू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व माना गया है और शास्त्रों के अनुसार अगर अगर हम पुरे विधि विधान से पूजा पथ करते है तो हमे बहुत ही अच्छे फल की प्राप्ति होती है| वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी  कहा जाता है। इस बार यह 26 अप्रैल यानि आज है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। जिसमें कोई भी शुभ काम जैसे वैवाहिक रस्में, ग्रिह्प्रिवेश और किसी भी प्रकार का शुभ कार्य इया जा सकता हैं।

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है की इस दिन पूजा पाठ करने से किसी भी इंसान की हर मनोकामना पूरी होती है और साथ ही उसकर द्वारा किए हुए पापों से भी उसको मुक्ति मिलती है। इस दिन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले तमाम लोग बड़ी ही श्रद्धा के साथ व्रत रखते हैं। इस व्रत ओ करने से आपके जीवन के सारे पाप व दुख मिट जाते हैं। मोहिनी एकादशी का हमारे हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति सांसारिक मोह-माया से दूर रहता है। आपको बता दे की सीता माता की खोज के दौरान भगवान श्रीराम ने भी इस व्रत को सबसे पहले किया था और द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर ने भी इस व्रत को किया था।

आइये जाने व्रत कथा

अब आइये आपो इस व्रत की कथा बताते है तो सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम का एक नगर बसा था यहाँ एक धनपाल नाम का वैश्य रहता था, जो बहुत आमिर था और धन-धान्य से परिपूर्ण था। उसके पांच पुत्र थे जिनमे से जो सबसे छोटा था वो धृष्टबुद्धि था। वह पाप कर्मों में अपने पिता का धन लुटाता रहता था। एक दिन वह किसी लड़की के गले में बांह डाले चौराहे पर घूमता हुआ दिख गया जिससे नाराज होकर उसके पिता ने उसे अपने घर से निकाल दिया| इसके बाद वह दिन-रात दुखी रहने लगा और दर दर भटकने लगा। एक दिन वह किसी पुण्य के प्रभाव से महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा और उस समय वैशाख का महीना चल रहा था। कौण्डिल्य अभी अभी गंगा में स्नान करके बस आए ही थे की धृष्टबुद्धि शोक के भार से पीड़ित हो मुनिवर कौण्डिल्य से हाथ जोड़कर बोला,  ब्राह्मण ! द्विजश्रेष्ठ ! मुझ पर दया करिए और कोई ऐसा व्रत बताइए जिसके पुण्य से मुझे मुक्ति मिले तब ऋषि कौण्डिल्य ने बताया कि वैशाख मास के शुक्लपक्ष में मोहिनी नाम से प्रसिद्ध एकादशी व्रत होता है तुम इस व्रत को करो। इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। धृष्टबुद्धि ने ऋषि की बताई विधि के अनुसार इस व्रत को किया और वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर श्री विष्णुधाम को चला गया।

 

आपो बता दे की मोहिनी एकादशी के दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। कहते हैं कि इस दिन आपको जरूर कुछ ना कुछ दान करना चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से आपके के परिवार से दरिद्रता दूर होती है और इस दिन शाम को भगवान विष्णु जी की आरती भी करना चाहिए। मोहिनी एकादशी पर श्रद्धा के साथ विष्णु जी की आरती करने से आपके घर में लक्ष्मी का वास होता है।

इस दिन आपको सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए। स्नान के दौरान आपको कुश और तिल का लेप लगाना चाहिए। स्नान करने के बाद धुले हुए वस्त्र धारण करने चाहिए। आपको बता दे की  इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान श्रीराम की भी पूजा की जाती है। व्रत का संकल्प लेने के बाद ही इस व्रत को शुरू करना है| इसके लिए आपको लिए कलश स्थापना भी करना है कलश के ऊपर लाल कपडा बांधकर पहले कलश की पूजा करे फिर इसके ऊपर भगवान की प्रतिमा रखें। भगवान को स्नान कराये और रोली-अक्षत और नए स्त्र अर्पित करें। धूप, दीपक से आरती उतारें और ताज़े मीठे फलों का भोग लगाएं। उसके बाद सभी में प्रसाद बांटे।