इस डेयरी का दूध पीते है अंबानी से लेकर सचिन और बच्चन तक , 1 ली. दूध की की कीमत जानकर रह जायेंगे दंग
महाराष्ट्र में पुणे के उत्तर पूर्व में गांव की हरी भरी गलियों से गुजरता रास्ता भाग्य लक्ष्मी डेयरी तक ले आता है. 3000 से ज्यादा गायें, अत्याधुनिक मिल्किंग पार्लर और साथ में मौके पर ही फ्रेंच तकनीक से दूध को बोतलों में बंद करने का इंतजाम. भारत के हर गांव में मौजूद गौशालाओं की तस्वीर से यह बिल्कुल अलग है.जिसके ग्राहकों की सूची में देश की बड़ी-बड़ी हस्तियां शामिल है। भाग्यलक्ष्मी का दूध दक्षिणी मुंबई में रहने वाले 1500 खाते पीते परिवारों को जाता है. जाहिर है कि इस कीमत पर यह दूध कम से कम भारत के आम लोगों के लिए विलासिता ही है.
देश के सबसे रईस परिवारों में से एक अंबानी फैमिली से लेकर महानायक अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, ऋतिक रोशन और अक्षय कुमार जैसे सेलेब्स के घर में भी इसी डेयरी से दूध जाता है। अब आपके मन में ये विचार आ रहा होगा, कि आखिर दूध की कीमत क्या होगी, तो आपको बता दें कि इस डेयरी के एक लीटर दूध की कीमत 90 रुपये है|पूरे 26 एकड़ में फैली पराग मिल्क फूड्स लिमिटेड की यह गौशाला अपने प्राइड ऑफ काउज ब्रांड के नाम से विख्यात दूध बेचती है|
सबसे बड़ा ग्वाला इस डेयरी फॉर्म के मालिक देवेंद्र शाह खुद को देश का सबसे बड़ा ग्वाला बताते हैं, उनके मुताबिक वो पहले कपड़े का बिजनेस करते थे। फिर उन्होने डेयरी को अपना कारोबार बताया । देवेन्द्र शाह ने 175 ग्राहकों के साथ प्राइड ,ऑफ काउ प्रोडक्ट की शुरुआत की थी, आज मुंबई और पुणे में उनकी डेयरी के 22 हजार से ज्यादा कस्टमर हैं, जिनमें कई बड़े सितारे भी शामिल हैं। उन्नत नस्ल की गाय
एक लीडिंग वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार शाह के फॉर्म में लगभग 4 हजार डच होल्स्टीन नस्ल की गायें हैं जिनके एक गाय की कीमत 1.75 लाख से लेकर 2 लाख रुपये तक होती है। अगर भारतीय देसी नस्ल के गायों (डच गाय की तुलना में) की बात करें, तो उनकी कीमत 80 से 90 हजार रुपये पड़ती है।
मालूम हो कि 26 एकड़ में बनें इस डेयरी फॉर्म में शाह ने करीब 150 करोड़ रुपये निवेश किया है। उनके डेयरी में रोजाना 25 हजार से ज्यादा दूध का प्रोडक्शन होता है। इसके साथ ही उन्होने गायों के देख-भाल के लिये विशेष व्यवस्था कर रखी है। जो कि लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।
भाग्यलक्ष्मी की गायें कच्चे या ईटों के कीचड़ भरे फर्श पर नहीं खास रबर मैट बिछी फर्शों पर आराम करती हैं और दूध निकाले जाते वक्त उनके कानों में मधुर संगीत सुरलहरियां घुल रही होती हैं| सोयाबीन, अल्फा घास, मौसमी सब्जियां और मक्की का चारा दिया जाता है, साथ ही पेट साफ रखने के लिये आयुर्वेदिक दवाएं भी दी जाती है, इस फॉर्म में खुराक से ही दूध की फैट कंट्रोल किया जाता है।इसके अलावा उनके कार्यक्रम में पशुओं का विकास भी शामिल है इसके लिए भाग्यलक्ष्मी के गायों और उत्तरी अमेरिकी अच्छी नस्ल के बुल के संकर से बछड़े तैयार कराए गए हैं. इन बछड़ों को स्थानीय किसानों को पालने के लिए दिया गया है.
दूध निकालने से लेकर पैंकिंग तक नहीं लगता इंसानी हाथ
आपको बता दें कि इस फॉर्म में गाय का दूध निकालने से लेकर पैकिंग तक में इंसानी हाथ नहीं लगता, सब कुछ ऑटोमेटिक होता है, इसके अलावा दूध निकालने से पहले हर गाय का वजन और टेम्प्रेचर चेक किया जाता है| एक बार में 50 गायों का दूध निकाला जाता है, जिसमें 7 मिनट लगते हैं।
ग्राहकों के लिए विशेष सुविधा
प्राइड ऑफ काउ के लिये हर कस्टमर का एक लॉगिन आईडी होता है, जिस पर वो अपना ऑर्डर चेंज या भी रद्द कर सकते हैं, साथ ही डिलीवरी की जगह बदलवाने का भी ऑप्शन होता है।
तेजी से बढ रहा है डेयरी मार्केट
साल 2013 में ये बाजार लगभग 70 मिलियन डॉलर (करीब 4.54 लाख करोड़ रुपये) का था लेकिन इन्वेस्टर रिलेशंस सोसायटी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 तक भारत में डेयरी मार्केट 140 बिलियन डॉलर (करीब 9 लाख करोड़ रुपये) का हो जाएगा। डेयरी मार्केट में तेजी से मांग बढ रही है।