कल भौमवती अमावस्या पर करें ये उपाय, पितृदोष से मिलेगी मुक्ति
अगर आप हिंदूधर्म में विश्वास रखते हैं तो आपको यह तो पता ही होगा कि हर माह में एक अमावस्या कि तिथि जरूर आती है। लेकिन कहा जाता है कि अगर ये तिथि मंगलवार के दिन पड़ती है तो समझ जाएं कि ये भौमवती अमावस्या है। हालांकि अमावस्या कई सारी होती है लेकिन शास्त्रों की मानें तो भौमवती अमावस्या के दिन पितरों के निमित पिंडदान और तर्पण करने से पितर देवताओं का आशीष मिलता है। एक तरह से देखा जाए तो ये अमावस्या अपने आप में अलग महत्व रखता है। इस बार यह 26 नवंबर यानि की कल होगा। हर बार की तरह इस बार भी भौमवती अमावस्या और मंगलवार का योग बना है।
शास्त्रों के अनुसार यह तिथि अत्यंत पवित्र तिथि मानी गई है। इस दिन विशेष तौर पर पितरों की शांति के उपाय किए जाते हैं। शायद आपको पता नहीं होगा लेकिन बताते चलें कि शास्त्रों के अनुसार इस अमावस्या को इच्छाओं को पूरा करने वाली रात माना गया है। मंत्र-तंत्र साधना करने वाले इस दिन विशेष सिद्धियां प्राप्त करते हैं। तिथि के अनुसार यह हलहारिणी अमावस्या है। इस दिन कृषक अपने हल, जमीन, फसल और बीजों की पूजा करते हैं।
अमावस्या की रात जिस घर में देवी लक्ष्मी का पूजन किया जाएगा, माता लक्ष्मी उस घर में धन के भंडार भर देंगी। अमावस्या की रात मां जिस घर में प्रवेश करती हैं वहां अपनी संपूर्ण शक्तियों के साथ विराजित हो जाती हैं और उस घर पर अपने आशीष की वर्षा करती हैं।
ऐसे करें पितृ दोष शांति
वैसे आज हम आपको एक और महत्वपूर्ण चीज बताएंगे कि आखिर पितृदोष की शांति के लिए इस दिन कौन कौन से उपाय करने चाहिए।
सबसे पहले तो आपको यह बताते चलें कि अमावस्या के दिन दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना चाहिए। यही नहीं कोशिश करें कि इस दिन ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का जाप करें।
ध्यान रहे कि अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें।
बरतें ये सावधानियां
शास्त्रों की मानें तो भौमवती अमावस्या के दिन कई सारी चीजों की सावधानियां बरतनी चाहिए, क्योंकि इन बातों का ध्यान न रखने से व्यक्ति के जीवन में कई सारी समस्याएं उत्पन्न होती रहती है।
सबसे पहले तो यह ध्यान देना होगा कि इस दिन किसी भी तरह की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा कोशिश करें कि शराब व नशे की चीजों से भी इस दिन दूर रहे।
कहते हैं कि इस दिन व्यक्ति में नकारात्मक सोच बढ़ जाती है। ऐसे में नकारात्मक शक्तियां उसे अपने प्रभाव में ले लेती है तो ऐसे में हनुमानजी का जप करते रहना चाहिए।
बता दें कि अमावस्या के दिन ऐसे लोगों पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है जो लोग अति भावुक होते हैं। अत: ऐसे लोगों को अपने मन पर कंट्रोल रखना चाहिए और पूजा पाठ आदि करना चाहिए। अमावस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए।