मिलिए दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल थान सिंह से, जो लगाते हैं गरीब बच्चों की पाठशाला, ताकि बन सके काबिल इंसान

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं शिक्षा सभी के लिए जरूरी है। शिक्षा से ही इंसान अपने जीवन की चुनौतियों का कुशलता से सामना कर सकता है। शिक्षा से ही हमें सही-गलत का भेद पता चलता है। शिक्षा की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक वक्त की रोटी ना मिले चलेगा, लेकिन शिक्षा जरूर मिलने चाहिए। शिक्षा पाना प्रत्येक प्राणी का अधिकार है। मौजूदा समय में भी ऐसे कई गरीब परिवार हैं, जो अपने बच्चों को शिक्षा देने में सक्षम नहीं है।

कोरोना महामारी के बीच लॉकडाउन के दौरान पूरे देश पर तालाबंदी हो गई। स्कूल-कॉलेज, दुकानें, मॉल, कारखाने, होटल, रेस्टोरेंट सब बंद हो गए, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव पड़ा। इसके साथ ही बच्चों की शिक्षा पर भी इसका असर देखने को मिला। लॉकडाउन में बच्चे ऑनलाइन क्लास लेने लगे।

लेकिन गरीब बच्चे कहां जाएं, जिनके घर में खाने तक के लाले हों, उस घर में हाई इंटरनेट के साथ ऑनलाइन क्लास बच्चे कैसे ले पाएंगे। ऐसी स्थिति में लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद के लिए मसीहा बने दिल्ली के एक पुलिसवाले ने गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी उठाई, जिसकी चर्चा आज देशभर में हो रही है।

लाल किले के पास दिल्ली पुलिस के ये कांस्टेबल लगाते हैं पाठशाला

दरअसल, आज हम आपको जिस दिल्ली पुलिस कांस्टेबल के बारे में बता रहे हैं उनका नाम थान सिंह है। कॉन्स्टेबल थान सिंह को गरीब बच्चों की पढ़ाई का बहुत फिक्र है। वह ड्यूटी खत्म करने के बाद शाम 5:00 बजे से लाल किले के पीछे बने एक छोटे से मंदिर में पाठशाला लगाते हैं। कॉन्स्टेबल थान सिंह ने चार बच्चों के साथ इस पाठशाला की शुरुआत साल 2016 में की थी लेकिन अब उनके पास करीब कि झुग्गियों से करीबन 50 से 60 बच्चे पढ़ने के लिए पहुंचते हैं।

उनकी इस पाठशाला में जब पढ़ाई करने के लिए शाम को बच्चे आते हैं तो दूर से ही “अंकल नमस्ते” कहते हैं और पाठशाला में आकर बैठ जाते हैं। इन सभी बच्चों की उम्र 5 से 15 साल के बीच है। कॉन्स्टेबल थान सिंह इन बच्चों को किताब, कॉपी, पेंसिल और खाने के लिए भी खुद से ही मुहैया कराते हैं। वहीं आला अधिकारी भी इस काम में थान सिंह की सहायता करते हैं। थान सिंह इन गरीब बच्चों को अपनी पाठशाला में सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं देते हैं बल्कि उन्हें नैतिक मूल्यों के विषय में भी बताते हैं और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

“मैं खुद झुग्गियों में रहा हूं, पढ़ाई की एहमियत जानता हूं”

आपको बता दें कि थान सिंह मूल रूप से दिल्ली के निहाल विहार के रहने वाले हैं। वह 2010 में कॉन्स्टेबल भर्ती हुए। इन दिनों कोतवाली थाना एरिया में लाल किला चौकी में तैनात हैं। लाल किले के अंदर की बीट इन्हीं के पास है। बेहद गरीबी में पले-बढ़े थान सिंह ने कहा कि उन्होंने स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ाई की है।

उन्होंने कहा ” मैं खुद झुग्गियों में रहा हूं, पढ़ाई की एहमियत जानता हूं। किन परिस्थितियों में गुजारा करना पड़ता है, ये सब मैंने देखा है और मैं नहीं चाहता कि ये बच्चे भी यही सब देखें। मुझसे जितना हो सकता है, उतने बच्चों की जिंदगी सुधारने की कोशिश करूंगा। इस पहल में मेरे आला अफसरों ने बहुत मदद की, सभी ने मुझे आर्थिक रूप से भी सहायता दी, ताकि मैं इन बच्चों की पढ़ाई का काम जारी रख सकूं।”

थान सिंह कहते हैं कि कोविड-19 की वजह से उन्हें पाठशाला की व्यवस्था में कुछ बदलाव करने पड़े। अब सभी बच्चे मुंह पर मास्क लगाकर आते हैं। वहीं पाठशाला में सेनिटाइजर भी रखा गया है और 2 गज की दूरी का पालन करने के लिए जगह जगह पर निशान बनाए गए हैं। वह बताते हैं कि “मेरा बस यह उद्देश्य है कि यह बच्चे सही-गलत की पहचान करने लायक बन जाएं, अपने माता-पिता का सहारा बन सकें, अपना नाम लिख सकें।

बस रिक्शा, दुकान और अन्य स्थानों पर लिखे शब्दों को पढ़ और पहचान सकें। गरीब परिवारों के बच्चे ऑनलाइन क्लासेज लेने में सक्षम नहीं हैं इसलिए यह बुरी संगत में ना पड़ जाएं इसलिए शिक्षा मिलना बेहद जरूरी है।”