डॉक्टर पति ने इलाज के लिए रखी अपनी MBBS की डिग्री गिरवी, सबकुछ दांव पर लगाकर बचा ली पत्नी की जिंदगी

ऐसा कहा जाता है कि प्यार में इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। वैसे देखा जाए तो प्यार का स्वाद हर जुबान के लिए अलग-अलग होता है। इस विषय में कोई भी एक मत नहीं होता। कोई प्यार में सब कुछ लुटाने की बात करता है, तो कोई कहता है कि प्यार करके जिंदगी का सबसे अनमोल खजाना पा लिया है। प्यार जीवन का एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जो प्यार करने वाला ही समझ सकते हैं।

प्यार जिंदगी का सबसे कीमती उपहार होता है। दो प्यार करने वाले अपने साथी के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। इसी बीच प्यार का एक ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला है, जहां राजस्थान के रहने वाले डॉक्टर ने अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए अपनी हासिल की हुई हर चीज को दांव पर लगा दी। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने अपनी MBBS की डिग्री भी गिरवी रख कर 70 लाख का लोन लिया।

आज हम आपको जिस डॉक्टर के बारे में बता रहे हैं उनका नाम डॉक्टर सुरेश चौधरी है, जो राजस्थान के पाली जिले के गांव खैरवा के पीएचसी में पोस्टेड हैं। अगर आप इनकी प्रेम कहानी के बारे में सुनेंगे तो आपका भी विश्वास प्यार पर और मजबूत हो जाएगा। डॉ. सुरेश चौधरी प्यार की वजह से ही अपनी पत्नी को मौत के मुंह से वापस ले आए हैं। उन्होंने अपनी पत्नी को बचाने के लिए अपनी धन-दौलत, यहां तक की नौकरी भी दांव पर लगा दी और इलाज के लिए लगे 1.25 करोड़ रुपए जमा कर अपनी पत्नी की जिंदगी बचाई।

आपको बता दें कि सुरेश चौधरी की शादी बाली की रहने वाली बेहद खूबसूरत लड़की अनीता से 25 अप्रैल 2012 को हुई थी। अनीता के साथ सात जन्मों के बंधन में बंधते ही सुरेश की पूरी जिंदगी बदल गई। अनीता का साथ पाकर सुरेश बहुत खुश रहने लगे थे। शादी के तकरीबन 1 साल बाद सुरेश ने अपना एमबीबीएस का कोर्स पूरा किया। फिर 4 साल बाद उनकी खुशी और दुगनी हो गई, जब 4 जुलाई 2016 को उनके घर बैठे कुंज चौधरी का जन्म हुआ।

जैसे जैसे समय आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे सुरेश का प्यार अनीता के प्रति और भी गहरा और मजबूत होता चला गया। इन दोनों का बेटा कुंज अब 5 वर्ष का हो चुका है और सभी खुश थे और प्यार भरा जीवन व्यतीत कर रहे थे परंतु अचानक ही बीते वर्ष 13 मई 2021 को सुरेश चौधरी के खुशहाल जीवन में उथल-पुथल मच गई क्योंकि उनकी पत्नी कोरोना पॉजिटिव हो गई थीं, जिसकी वजह से उनकी तबीयत खराब होती चली गई। वह ठीक नहीं हो रही थीं।

जब सुरेश ने अपनी पत्नी की तबीयत लगातार बिगड़ते हुए देखी तो पहले वह अपनी पत्नी को लेकर पाली के ही एक अस्पताल में गए लेकिन वहां पर बेड नहीं था जिसकी वजह से 14 मई 2021 को जोधपुर एम्स में अनीता को एडमिट कराया। लेकिन यहां इलाज के बावजूद भी उनकी पत्नी अनीता की तबीयत ठीक नहीं हो रही थी। दिन पर दिन उनकी तबीयत बिगड़ती ही जा रही थी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा।

आपको बता दें कि सुरेश चौधरी की पत्नी अनीता के फेफड़े 95 फीसदी खराब हो चुके थे। यहां तक कि डॉक्टरों ने भी यह कह दिया था कि अनीता का बच पाना बहुत मुश्किल है लेकिन सुरेश को पूरा यकीन था कि वह अपनी पत्नी को बचा लेंगे। इस भरोसे के साथ में अनीता को अहमदाबाद ले गए और 1 जून को यहां एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती करवाया।

अब यहीं से डॉक्टर सुरेश की असली परीक्षा शुरू हो गई थी। जैसे जैसे दिन बीतते गए वैसे वैसे अनीता की हालत और भी ज्यादा खराब हो गई। उसका वजन 50 किलो से घटकर 30 किलो हो गया था। अनीता के शरीर में सिर्फ डेढ़ यूनिट खून बचा था। अनीता की जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने उसे ईसीएमओ मशीन पर रखा। इस खास मशीन से मरीजों के हार्ट और लंग्स को बाहर से ऑपरेट किया जाता है। मगर इस मशीन का रोजाना का खर्चा एक लाख से भी ज्यादा था।

सुरेश किसी भी कीमत पर अपनी पत्नी की जान बचाना चाहते थे जिसके चलते वह कर्ज में डूबते चले गए। आखिरकार पूरे 87 दिन तक ईसीएमओ मशीन पर रहने के बाद अनीता की तबीयत में सुधार आया। उनके लंग्स में सुधार हुआ और वह फिर से बोलने लगीं। कुछ दिनों के बाद अनीता को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अनीता का ऐसा कहना है कि मेरा दूसरा जन्म हुआ है, मेरे पति की वजह से।

डॉ सुरेश चौधरी ने अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए 10 लाख रुपए की सेविंग, 15 लाख रुपए में खारड़ा गांव में प्लॉट बेच दिया और साथी डाक्टर और स्टाफ के द्वारा मदद के तौर पर जुटाए गए 20 लाख इलाज में खर्च कर दिए। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से भी पैसा कर्ज लिया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी एमबीबीएस की डिग्री गिरवी रखकर बैंक से 70 लाख रुपए लोन लिया।