महिला ने 1 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कर दी हनुमान जी के नाम, कहा- ट्रस्ट करेगा मेरा अंतिम संस्कार

हर धर्म में दान का खासा महत्व माना गया है। दान देने से जहां से मुक्ति प्राप्त होती है। वहीं जीवन के दोष भी दूर हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि दान इंसान को पुण्य का भागी बनाते हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं इस दुनिया में हर व्यक्ति दिन-रात कड़ी मेहनत करता है और अपने जीवन को सुधारने के लिए हमेशा कोशिश करता रहता है। लोग काफी मेहनत करके कमाते हैं, ताकि वह अपनी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर सकें। लेकिन दुनिया में ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं, जो अपनी मेहनत की कमाई को दान में देते हैं।

इसी बीच मध्य प्रदेश से एक मामला सामने आया है, जहां पर एक महिला शिक्षिका ने अपनी मेहनत की पाई पाई को भगवान के नाम कर दिया है। जी हां, मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में एक महिला शिक्षका ने अपनी संपत्ति मंदिर को दान कर दी है। शिक्षिका की एक करोड़ से ज्यादा कीमत की संपत्ति है। महिला ने अपनी वसीयत मंदिर ट्रस्ट के नाम कर दी है। इतना ही नहीं बल्कि महिला टीचर के वसीयत में यह भी लिखा है कि मेरा अंतिम संस्कार भी पंच और मंदिर ट्रस्ट के लोग करें।

महिला ने हनुमान जी के नाम की 1 करोड़ रुपए की संपत्ति

दरअसल, आज हम आपको जिस मामले के बारे में बता रहे हैं यह मामला मध्यप्रदेश के श्योपुर से सामने आया है, जहां पर एक महिला टीचर ने करीब एक करोड़ की संपत्ति विजयपुर के प्रसिद्ध छिमछिमा हनुमान मंदिर के ट्रस्ट के नाम कर दी है। महिला टीचर ने अपने दोनों बेटों का आधिकारिक हिस्सा उनके नाम किया। इसके बाद अपने हिस्से में आई रकम को मंदिर में दान कर दिया। इस महिला टीचर का नाम शिव कुमारी जादौन है। वह विजयपुर क्षेत्र के खितरपाल गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाती हैं। यह महिला टीचर अपने पति और बेटों के व्यवहार से काफी परेशानी थी। इसी वजह से दोनों बेटों को आधिकारिक हिस्सा देने के बाद यह फैसला किया।

महिला टीचर शिव कुमारी ने अपनी वसीयत में यह लिखा है कि मेरे मरने के बाद मेरा मकान और चल अचल संपत्ति मंदिर ट्रस्ट की होगी। बैंक बैलेंस और जीवन बीमा पॉलिसी से मिलने वाली राशि से लेकर सोना-चांदी मंदिर ट्रस्ट का होगा। उन्होंने यह अपील की है कि उनके मरने के बाद शव का क्रिया कर्म मंदिर ट्रस्ट के लोग मिलकर करें। बात दें उनकी दान की गई संपत्ति तकरीबन एक करोड़ की बताई जा रही है।

बचपन से ही भगवान में गहरी आस्था

मिली जानकारी के अनुसार, शिव कुमारी बचपन से ही भगवान की पूजा आराधना करती रही हैं। वह अपने पति और दोनों बेटों के व्यवहार से आहत हैं। उनका एक बेटा अपराधिक प्रवृत्ति का है। उन्होंने बताया कि पति का व्यवहार भी ठीक नहीं है। इस वजह से उन्होंने अपनी वसीयत में यह लिखा है कि उनके मरने के बाद उनके शव का अंतिम संस्कार उनके बेटे की बजाय मंदिर ट्रस्ट के लोग करें।

बता दें कि शिक्षिका शिव कुमारी की बचपन से ही ईश्वर के प्रति अगाध श्रद्धा है। अपने स्कूल के समय को छोड़कर वह हर वक्त भगवान की भक्ति में लीन रहती हैं। उनकी ईश्वर से आस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है उनके घर में हर तरह भगवान की तस्वीरें लगी हुई हैं।