5 बार हुईं फेल फिर भी हिम्मत नहीं हारी, आखिरी प्रयास में IAS बनीं नूपुर गोयल, ऐसे पाई सफलता

इंसान का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण होता है। इंसान जब कुछ करने को ठान लेता है तो उसके मार्ग में बहुत सी परेशानियां उत्पन्न होने लगती हैं। जो इन बाधाओं को पार कर लेता है वह अपना लक्ष्य हासिल कर लेता है परंतु जो मार्ग में आने वाली बाधाओं से घबरा जाता है वह कभी कामयाब नहीं हो पाता है। आप सभी लोगों ने एक कहावत तो सुनी ही होगी “लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।” जी हां इस कहावत को दिल्ली की रहने वाली नूपुर गोयल ने सच कर दिखाया है। नूपुर गोयल की यूपीएससी जर्नी बेहद खास रही है। इनको यह मुकाम पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा परंतु जीवन की किसी भी विषम परिस्थिति में इन्होंने अपनी हिम्मत बनाई रखी और धैर्य के साथ इन्होंने मेहनत की। यह एक या दो बार नहीं बल्कि 5 बार असफल हुईं, इसके बावजूद भी इनका आत्मविश्वास बिल्कुल भी नहीं डगमगाया। आखिरी प्रयास में इनको सफलता हासिल हुई।

आपको बता दें कि नूपुर गोयल दिल्ली के नरेला में रहती हैं। यह अपने माता-पिता और छोटे भाई के साथ रहती हैं। इनके पिताजी एक व्यवसायी हैं और इनकी माता जी हाउसवाइफ हैं। नूपुर जी ने अपने स्कूल की शिक्षा नरेला से ही पूरी की थी जिसके पश्चात उन्होंने डीटीयू (DTU) दिल्ली से बीटेक की डिग्री प्राप्त की। नूपुर गोयल ने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में M.A. की डिग्री हासिल की है। इन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बेहद संघर्ष किया है। काफी संघर्षों के बाद इन्होंने कामयाबी पाई है।

बातचीत के दौरान नूपुर ने ऐसा बताया था कि कॉलेज के आखिरी साल में उनके सीनियर्स और फैकल्टी ने उन्हें यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के बारे में बताया था। बस उसी दौरान से ही इन्होंने ठान लिया था कि वह सिविल सर्विस में सेवक बनेंगी। इन्होंने अपना लक्ष्य उसी दौरान तय कर लिया था। कॉलेज के आखिरी साल में ही उन्होंने अपना पहला यूपीएससी अटेंप्ट देने का फैसला किया था। वर्ष 2014 में इन्होंने पहला यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा दी, जिसमें वह इंटरव्यू स्टेज तक पहुंच गई परंतु फाइनल कटऑफ में इनका चुनाव नहीं हो पाया था। जब इन्होंने पहला अटेंप्ट किया तब उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा, इनको अपने ऊपर भरोसा था कि यह परीक्षा पास करेंगीं, इसलिए इन्होंने अगली परीक्षा के लिए तैयारी में जुट गई परंतु जैसा इन्होंने सोचा था वैसा इनका रिजल्ट नहीं आया। वर्ष 2015 में परीक्षा की तैयारी के लिए इनके पास अधिक समय नहीं था, जिसकी वजह से इस बार भी इनको सफलता नहीं मिल पाई।

नूपुर ने अपने अंदर की कमियों को देखा और उनसे सीख लेकर उनको दूर करने की पूरी कोशिश की। वर्ष 2016 में उन्होंने एक बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी। इस बार यह इंटरव्यू स्टेज तक पहुंच गईं, परंतु इंटरव्यू में कम मार्क्स होने की वजह से इनका फाइनल सिलेक्शन नहीं हो पाया था। नूपुर हताश जरूर हुईं थीं परंतु इनका आत्मविश्वास मजबूत था। इन्होंने फैसला लिया कि यह फिर से परीक्षा देंगीं।

नूपुर को 5 बार असफलता का सामना करना पड़ा। ऐसी स्थिति में ज्यादातर लोग अपनी हिम्मत छोड़ देते हैं परंतु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और निरंतर प्रयास करती रही थीं। एक बार फिर आखिर में इन्होंने कोशिश किया। इन्होंने खूब मेहनत की। अंत में इसका नतीजा यह मिला कि इन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से 11वीं रैंक हासिल करके सफलता पाई। नूपुर गोयल के इस संघर्ष पूर्ण सफर की जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है। हमें इनके संघर्ष भरे जीवन से यह सीख लेनी चाहिए कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी निराश नहीं होना चाहिए। अगर आप लगातार कोशिश करेंगे और अपने अंदर की कमियों को दूर करेंगे तो आप जरूर सफल होंगें।