16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी के बाद भी नहीं टूटा हौसला, झुग्गी में पली-बढ़ी लड़की पहले प्रयास में ही बनी IAS

ऐसा कहा जाता है कि अगर दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो हम कोई भी मुकाम हासिल कर सकते हैं। अगर जीवन में कुछ करना हो, तो इसके लिए बुलंद हौसले और कड़ी मेहनत की जरूरत है। वैसे देखा जाए तो हर कोई अपने जीवन में कुछ ना कुछ करना चाहता है परंतु मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के आगे ज्यादातर लोग हार मान जाते हैं।

वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपने जीवन की हर कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए लगातार मेहनत करते रहते हैं और उनको वह मिल जाता है, जिसकी वह चाहत करते हैं। कुछ ऐसा ही राजस्थान की रहने वाली उम्मुल खेर (IAS officer Ummul Kher) ने कर दिखाया है।

उम्मुल खेर (Ummul Kher) बचपन से ही विकलांग थीं परंतु उन्होंने कभी भी इसे अपनी सफलता में बाधा नहीं बनने दी और अपनी मेहनत और लगन से यूपीएससी (UPSC) जैसी कठिन परीक्षा को पास कर आईएएस अधिकारी बनने का अपना सपना साकार किया।

झुग्गियों में रहता था परिवार, गरीबी में बीता बचपन

आपको बता दें कि उम्मुल खेर का जन्म राजस्थान के पाली मारवाड़ में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके परिवार में तीन भाई-बहन और माता-पिता थे। जब उम्मुल खेर छोटी थीं, तब उनके पिताजी गुजर-बसर करने के लिए दिल्ली आ गए थे। यहां पर उनका परिवार निजामुद्दीन इलाके में स्थित झुग्गी झोपड़ी में रहने लगा।

उनके पिता फेरी लगाकर कपड़े बेचा करते थे परंतु इतनी कमाई नहीं हो पाती थी। बड़ी मुश्किल से ही परिवार का पेट भर पाता। फिर एक दिन परिवार पर बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई, जब सरकारी आदेश के तहत निजामुद्दीन इलाके की झुग्गियों को उखाड़ दिया गया और फिर उनका परिवार त्रिलोकपुरी की झुग्गियों में आकर रहने लगा।

उम्मुल खेर इस गंभीर बीमारी से ग्रसित थीं

बता दें बचपन से ही उम्मुल खेर बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं, जिसमें शरीर की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर (Bone Fragile Disorder) की वजह से कई बार उनकी हड्डियां भी टूट जाती थीं। उन्होंने अपनी जिंदगी में कुल 16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरियों को झेला है। इतना कुछ झेलने के बावजूद भी उम्मुल खेर का हौसला नहीं टूटा।

ट्यूशन पढ़ाकर की पढ़ाई पूरी

उम्मुल खेर यूपीएससी की तैयारी करना चाहती थीं परंतु उनके लिए यह सब कुछ इतना आसान बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उम्मुल खेर एक होनहार छात्रा थीं। वह पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था और ट्यूशन पढ़ाकर जो पैसे आते थे उससे वह अपनी स्कूल की फीस भर दिया करती थीं।

मेहनत के साथ उम्मुल खेर पढ़ाई करती रहीं। उन्होंने दसवीं में 91% और 12वीं में 89% अंक हासिल किए। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद जेएनयू के इंटरनेशनल स्टडीज स्कूल से एमए किया और फिर इसी यूनिवर्सिटी में एमफिल/पीएचडी कोर्स में दाखिला लिया। इसके साथ ही उन्होंने यूपीएससी की कठिन परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी।

फिर पहले ही प्रयास में बनीं आईएएस अधिकारी

उम्मुल खेर ने अपने जीवन में बहुत सी कठिन परिस्थितियां देखी हैं परंतु उन्होंने किसी भी परिस्थिति के आगे हार नहीं मानी। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से तमाम मुसीबतों को पार करते हुए उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी की। साल 2017 में पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की और ऑल इंडिया में 420वीं रैंक हासिल की थी। इसके बाद वह आईएएस अधिकारी बनीं।