कश्मीरी पंडितों को तड़पाने वाले यासीन मलिक पर कोर्ट ने UAPA के तहत आरोप तय करने का दिया आदेश

“द कश्मीर फाइल्स” फिल्म रिलीज होते ही चर्चा का विषय बनी हुई है। सोशल मीडिया पर हर कोई इसी फिल्म की चर्चा कर रहा है। यह फिल्म ना सिर्फ भारतीय सिनेमा में एक नया मानदंड स्थापित कर रही है, बल्कि फिल्म विश्व स्तर पर भी रिकॉर्ड तोड़ रही है। 11 मार्च को सिनेमाघरों में यह फिल्म रिलीज हुई और यह ब्लॉकबस्टर साबित हो रही है। “द कश्मीर फाइल्स” फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई कर रही है।

आपको बता दें कि “द कश्मीर फाइल्स” फिल्म कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर आधारित है। इस फिल्म के माध्यम से निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचारों को दर्शाया है। सालों से यह सच छिपा हुआ था परंतु इस फिल्म के जरिए अब लोगों के सामने आ गया है।

सोशल मीडिया पर ऐसी कई वीडियो क्लिप्स सामने आ रही हैं जिसमें फिल्म को देखने के बाद लोग काफी भावुक हो जा रहे हैं। अब कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक जैसे कुख्यात आतंकी जो भारत से कश्मीर को अलग करने की वकालत करता था उसकी सोच और 90 के दशक में किए गए कृत्यों का पर्दाफाश इसी फिल्म के घटनाक्रमों में सारगर्भित कर दर्शाया गया है।

बता दें कि नब्बे के दशक में कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार में सबसे अहम भूमिका जम्मू कश्मीर के लिबरेशन फ्रंट का मुखिया यासीन मलिक ही की थी। “द कश्मीर फाइल्स” में ऐसे ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं जिन्हें देखने के बाद दर्शक बहुत दुखी हो जा रहे हैं। इन दृश्यों ने दर्शकों को झकझोर कर रख दिया है। बता दें कि यूपीए शासन में यासीन मलिक को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सम्मानित किया था। आज वह यासीन मलिक कानून की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है।

आपको बता दें कि दिल्ली की NIA अदालत ने जम्मू-कश्मीर में होने वाले आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित मामले में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक सहित 15 आरोपियों के खिलाफ UAPA के तहत आरोपित करने का आदेश दिया है।

साल 1990 में एक मामले के दौरान भारतीय वायु सेना में चार कर्मियों की हत्या का आरोप मार्च 2020 में यासीन मलिक पर लगाया गया था। मौजूदा समय में यासीन मलिक ट्रायल के तहत जेल में बंद है। लेकिन अभी तक यासीन मलिक पर UAPA नहीं लगाया गया था परंतु अब NIA कोर्ट के द्वारा उस पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दे दिया है। कोर्ट के द्वारा लिए गए इस निर्णय का सभी ने स्वागत किया।

कोर्ट ने कहा कि यह एक सुनियोजित साजिश थी और उसकी प्रेरणा इसने एडॉल्फ हिटलर की पसंद की प्लेबुक और ब्राउनशर्ट्स के मार्च से ली थी। नाजी पार्टी की मूल अर्धसैनिक शाखा जिसने 1920 के दशक में हिटलर के सत्ता में आने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विशेष न्यायाधीश परवीन सिंह ने कहा कि साजिश में आईएसआई जैसे पाकिस्तानी एजेंसियों के रूप में सीमा पार से भी अहम भूमिका निभाई। जम्मू-कश्मीर को अलग करने के अंतिम उद्देश्य के साथ रक्तपात, हिंसा, तबाही और विनाश की एक दुखदाई गाथा का उल्लेख इतिहास के पन्नों में इंगित हुआ है।

अदालत ने कहा कि भारत से जम्मू कश्मीर को अलग करने के अंतिम उद्देश्य के साथ एक साजिश रची गई थी। उन सभी कृत्यों को आतंकवादी जांच के बाद आतंकवादी कृत्य माना गया। अदालत ने पहले यह पाया कि यह एक अपराधिक साजिश थी जिसके तहत बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए गए, जिसका परिणाम स्वरूप बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी हुई। यह तर्क दिया कि यदि गांधीवादी मार्ग का अनुसरण करते हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए थे। हालांकि, सबूत कुछ और ही बयां कर रहे हैं। यह सिर्फ मासूम पंडितों की हत्या करना था। यह केवल हिंसा विरोधी थे, जिनका इरादा कश्मीर को भारत से अलग करना था।