“महाभारत” में “भीम” का किरदार निभाने वाले प्रवीण पाई-पाई को मोहताज, सरकार से लगाई मदद की गुहार

30 साल पहले दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला लोकप्रिय सीरियल “महाभारत” तो आप सभी लोगों को अच्छी तरह याद ही होगा। एक समय ऐसा था जब इस सीरियल को देखने के लिए घरों, चौराहों, गलियों और नुक्कड़ों पर भीड़ इकट्ठी हो जाया करती थी। जब कोरोना महामारी की वजह से बीते वर्ष लॉकडाउन लगा था, तो उस दौरान इस सीरियल को दोबारा से प्रसारित किया गया था और इस शो को दर्शकों से काफी प्यार भी मिला। अब इसी बीच इसके किरदारों की फिर से चर्चा होने लगी है।

आप सभी लोगों को दूरदर्शन का लोकप्रिय सीरियल “महाभारत” के गदाधारी भीम तो याद ही होंगे। जैसे ही यह सीरियल याद किया जाता है, गदाधारी भीम की छवि उभर कर आंखों के सामने आ जाती है। महाभारत सीरियल में भीम का किरदार निभाने वाले अभिनेता कोई और नहीं बल्कि 6 फुट से भी ज्यादा लंबे भीमकाय प्रवीण कुमार सोबती हैं।

प्रवीण कुमार सोबती ने अभिनय की दुनिया में अच्छी खासी कामयाबी प्राप्त की है। इतना ही नहीं बल्कि खेल के मैदान में भी उन्होंने कामयाबी के झंडे गाड़ दिए। परंतु अब 74 साल के प्रवीण कुमार सोबती पाई-पाई के मोहताज हो गए हैं ।उनकी माली हालत इतनी गंभीर हो चुकी है कि उन्होंने सरकार से पेंशन की गुहार लगाई है।

प्रवीण कुमार सोबती ने अपने भीमकाय कद काठी के साथ अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई है परंतु आज प्रवीण कुमार सोबती पाई-पाई को तरस रहे हैं। किसी तरह अभी तक वह अपना गुजारा कर रहे थे परंतु अब उनके लिए जिंदगी काट पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो रही है। इसी वजह से उन्होंने पंजाब सरकार से जीवन यापन करने के लिए पेंशन की गुहार लगाई है।

प्रवीण कुमार सोबती को है पंजाब सरकार से शिकायत

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रवीण कुमार सोबती ने अपनी शिकायत में कहा कि पंजाब में बनने वाली सभी सरकारों से मुझे शिकायत है, जितने भी खिलाड़ी एशियन गेम्स खेलते हैं या मेडल जीतते हैं, उन्हें पेंशन दी जाती है लेकिन इस अधिकार से मुझे वंचित रखा गया है, जबकि सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल जीते।

कोरोना ने बयां किया रिश्तों की सच्चाई

प्रवीण कुमार सोबती ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि कोरोना ने रिश्तों की सच्चाई को बयां किया है। सब रिश्ते खोखले हैं। मुश्किल वक्त में कोई सहारा तो दूर अपने भी भाग जाते हैं। उन्होंने कहा कि “काफी समय से घर में ही हूं। तबीयत ठीक नहीं रहती। खाने में भी कई तरह के परहेज हैं। स्पाइनल प्रॉब्लम है। घर में पत्नी वीना देखभाल करती है। एक बेटी की मुंबई में शादी हो चुकी है। उस दौर में भीम को सब जानते थे, लेकिन अब सब भूल गए हैं।”

खेल के मैदान में लहराया परचम

6 दिसंबर 1947 को जन्मे प्रवीण कुमार सोबती पंजाब के अमृतसर के पास एक सरहली नामक गांव के रहने वाले हैं। बचपन से ही उनका खान-पान बहुत अच्छा रहा है। मां के हाथ से दूध, दही और देसी घी की हैवी डाइट मिली तो उनका शरीर भारी-भरकम बन गया। उनकी मां जिस चक्की में अनाज पीसा करती थीं, परवीन उसे उठाकर व्यायाम किया करते थे। जब प्रवीण को स्कूल में हेडमास्टर ने देखा तो उनकी बॉडी को देखकर उन्हें खेलों में भेजना शुरू कर दिया था, जिसके बाद वह प्रतियोगिताएं जीतने लगे।

साल 1966 की कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए डिस्कस थ्रो के लिए नाम आया। यह गेम्स जमैका के किंगस्टन में था। इसमें प्रवीण कुमार सोबती ने सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद उन्होंने बैंकाक में हुए साल 1966 और 1970 के एशियन गेम्स में दोनों बार गोल्ड मेडल जीता और अपने देश का नाम रोशन किया। 56.76 मीटर दूरी पर चक्का फेंकने में उनका एशियन गेम्स का रिकॉर्ड रहा है। इसके बाद अगली एशियन गेम्स 1974 में ईरान की तेहरान में हुई, यहां सिल्वर मेडल उनको मिला परंतु किस्मत ने ऐसी करवट बदली की फिर उनकी पीठ में दर्द की शिकायत रहने लगी।

महाभारत में ऐसे मिला था रोल

प्रवीण कुमार सोबती ने यह कहा कि उन्हें बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट की नौकरी प्राप्त हो गई थी। एशियन गेम्स और ओलंपिक्स से देश में काफी नाम हो चुका था। 1986 में एक दिन उन्हें किसी के माध्यम से यह संदेश प्राप्त हुआ कि बीआर चोपड़ा “महाभारत” बना रहे हैं और वह भीम के किरदार के लिए उन जैसे किसी को कास्ट करना चाहते हैं। वह उनसे मिलने पहुंचे तो बीआर चोपड़ा उन्हें देखते ही बोले भीम मिल गया। इसके बाद उन्होंने तकरीबन 50 से अधिक फिल्मों में कार्य किया। उस समय के दौरान मशहूर टीवी सीरीज चाचा चौधरी में साबू का रोल भी उन्हें दिया गया।

बताते चलें कि दो बार ओलंपिक, फिर एशियन कॉमनवेल्थ में कई गोल्ड, सिल्वर मेडल हासिल कर चुके प्रवीण 1967 में खेल के सर्वोच्च पुरस्कार “अर्जुन अवार्ड” से भी नवाजे गए। खेल से फिल्मी ग्लैमर का कामयाब सफर तय कर चुके भीम अब आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।