बेटी को अफसर बनाने के लिए संघर्ष कर रही अनपढ़ मां, परीक्षा दिलाने के लिए रोज तय करती है 80km का सफर

माता-पिता हमारे लिए भगवान हैं, जो हमें भगवान द्वारा उपहार के रूप में प्राप्त हैं। माता-पिता हमें भगवान से भी बढ़कर सुख सुविधाएं प्रदान करते हैं। अपने बच्चों की खुशी के लिए माता-पिता किसी भी हद तक जा सकते हैं। अपनी हर खुशी का त्याग कर माता-पिता अपने बच्चों को खुशी देते हैं। हर कोई यही चाहता है कि उनका बच्चा अपने जीवन में कामयाब हो। बच्चों की पढ़ाई के लिए माता-पिता हर संभव कोशिश में लगे रहते हैं। इसी बीच एक मां ने अनपढ़ होने के बाद भी शिक्षा का महत्व समझा।

आपको बता दें कि 1 फरवरी से बिहार में इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। करीब 13 लाख परीक्षार्थी बोर्ड एग्जाम में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में कई बच्चे हैं, जो पहली बार परीक्षा देने शहर आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में एक परीक्षार्थी रूमा है, जिसकी मां उसे हर रोज 40 किलोमीटर दूर ट्रेन से परीक्षा दिलवाने लाती है और शाम को वापस लेकर जाती है। यह अकेली रूमा का संघर्ष नहीं बल्कि उसके साथ उसकी मां भी अपनी बेटी को परीक्षा दिलाने के लिए मेहनत कर रही है यानी कि वह रोजाना 80 किलोमीटर का कुल ट्रेन का सफर तय कर अपनी बेटी को परीक्षा दिलाने लाती है।

रोजाना 80 किलोमीटर सफर तय कर मां बेटी को दिलाने आती है परीक्षा

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं शिक्षा सभी लोगों के लिए बहुत ही जरूरी है। शिक्षा मनुष्य को जीवन की चुनौतियों का कुशलता से सामना करने के लिए तैयार करती है। मनुष्य के जीवन में जितना महत्व भोजन, कपड़े, हवा और पानी का है, उससे कहीं अधिक महत्व शिक्षा का है। इसलिए हमेशा यही कहा जाता है कि शिक्षा का मानव जीवन में बहुत महत्व है। हर माता-पिता यही चाहते हैं कि उनका बच्चा खूब पढ़ाई लिखाई कर सफलता की ऊंचाइयां छुएं।

अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने के लिए कोशिश में लगे रहते हैं। ऐसी ही एक अनपढ़ मां अपनी बेटी को ऑफिसर बनाने का सपना संजोए सुदूर गांव में रोजाना परीक्षा केंद्र तक ले आती है। सकीला देवी खुद अनपढ़ है लेकिन बेटी को अफसर बनाना चाहती है और अपने इस सपने के लिए रोजाना ट्रेन से 40 किलोमीटर की दूरी तय कर ढोली सकरा गांव से अपनी बेटी रूमा को लेकर परीक्षा केंद्र पहुंचती है।

मां खुद नहीं पढ़ी, मगर बेटी को बनाएगी अफसर

आपको बता दें कि शकीला परीक्षा खत्म होने तक परीक्षा केंद्र के बाहर ही बैठकर रुमा का इंतजार करती रहती है। इसके बाद शाम को वह बेटी को लेकर वापस आ जाती है। सकीला देवी ने एक मीडिया से बातचीत के दौरान यह बताया कि वह अनपढ़ हैं लेकिन बेटी को पढ़ाकर ऑफिसर बनाना चाहती हैं। इसी वजह से वह बेटी को रोज खुद से परीक्षा दिलवाने लेकर आती हैं। उनका सपना है कि बेटी पढ़-लिखकर ऑफिसर बने।

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा सभी के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। यह हमें जीवन के कठिन समय में चुनौतियों से सामना करने में सहायता करती है। माता-पिता भले ही अनपढ़ हों लेकिन अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देते हैं। वैसे ही इस मां ने भी अनपढ़ होने के बाद भी शिक्षा का महत्व समझा।