गरीब बच्चों को पढ़ाने वाले सिपाही का जब हुआ ट्रांसफर, तो लिपट-लिपटकर रो पड़े बच्चे, Video देख हो जाएंगे भावुक

शिक्षक के पेशे को इस दुनिया में सबसे अच्छे और आदर्श पेशे के रूप में माना जाता है, क्योंकि शिक्षक किसी के जीवन को बनाने में निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देते हैं। उनके समर्पित कार्य की तुलना किसी अन्य कार्य से नहीं की जा सकती है। आप सभी लोगों ने एक शिक्षक का अपने बच्चों से प्यार के उदाहरण तो कई देखे और होंगे।

लेकिन बच्चों को भी अपने शिक्षक से कितना प्यार होता है इसका एक उदाहरण उत्तर प्रदेश के उन्नाव में देखने को मिला है। जब यहां पर तैनात सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) के हेड कांस्टेबल रोहित कुमार यादव का ट्रांसफर हो गया, तो इसकी खबर सुनने के बाद पूरा गांव उदास हो गया। वहीं बच्चे भी फूट-फूटकर रोने लगे।

ड्यूटी के बाद बच्चों को पढ़ाता था हेड कांस्टेबल

आपको बता दें कि यूपी के उन्नाव में सरकारी रेलवे पुलिस के हेड कांस्टेबल रोहित कुमार यादव सिकंदरपुर कर्ण ब्लॉक के गांव कोरारी कला में साल 2018 से अपनी ड्यूटी के बाद लगभग 125 गरीब बच्चों को पढ़ा रहे थे। लेकिन हाल ही में उनका तबादला झांसी के सिविल पुलिस में कर दिया गया था।

जब रोहित के जाने से पहले इस बात की सूचना बच्चों को मिली तो वह उनसे लिपट-लिपटकर रोने लगे। बच्चों ने उनको गले लगा लिया और उनसे ना जाने का आग्रह करने लगे। इस दौरान गांव के प्रधान और सभी ग्रामीण वहीं पर मौजूद थे। एक जीआरपी सिपाही की अनोखी विदाई का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है।

2005 में यूपी पुलिस बल में हुए थे शामिल

आपको बता दें कि 38 साल के रोहित कुमार यादव 2005 में उत्तर प्रदेश पुलिस बल में शामिल हुए थे। रोहित ने कहा “मैं अपने पिता चंद्र प्रकाश यादव के नक्शेकदम पर चल रहा हूं, जिन्होंने हमारे पैतृक गांव इटावा में 1986 में गरीब किसानों के बच्चों के लिए एक स्कूल खोला था।” उन्होंने आगे बताया कि “जब मैं 2018 में जीआरपी में शामिल हुआ, तो मैं अक्सर वंचित परिवारों के बच्चों को कोरारी रेलवे स्टेशन के पास ट्रेनों में भीख मांगते देखता था। उनके अभिभावकों से बात करने के बाद मैंने रेलवे स्टेशन के बगल में एक ओपन-एयर स्कूल शुरू किया जिसका नाम ‘हर हाथ में कलाम पाठशाला।”

उन्होंने बताया कि “बच्चों के लिए किताबें, स्टेशनरी और यहां तक कि कपड़े की व्यवस्था के लिए मैंने अपने वेतन से ₹8000 प्रति माह खर्च किए। क्योंकि यह एक स्वैच्छिक प्रयास था, इसलिए मैं अपनी ड्यूटी के घंटों के बाद उन्हें पढ़ाता था।” रोहित ने यह कहा कि “उन्नाव के तत्कालीन जिला परिवीक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार को इस पहल के बारे में जब पता चला, तो उन्होंने मुझे कोरारी कलां गांव में कक्षाएं संचालित करने के लिए एक पंचायत कार्यालय की पेशकश की।”

झांसी में हुआ है ट्रांसफर

आपको बता दें कि रोहित का हाल ही में झांसी के सिविल पुलिस में ट्रांसफर किया गया है। रोहित तीन बच्चों के पिता हैं। उन्होंने कहा कि “जब भी उन्हें बच्चों को पढ़ाने का समय मिलेगा, वह गांव का दौरा करते रहेंगे। हालांकि, उनकी झांसी में एक और स्कूल खोलने की कोई योजना नहीं है, जहां उन्हें अब तैनात किया गया है।”

वहीं उन्नाव सरकारी रेलवे पुलिस के एसएचओ राज बहादुर का कहना है कि “मैंने कभी ऐसा पुलिस वाला नहीं देखा, जो बच्चों के कल्याण के लिए इतना समर्पित हो। वह अपनी नियमित पुलिस ड्यूटी भी करता रहता है। वह एक रोल मॉडल है।”