सावन शिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा, भोलेबाबा मनोकामनाएं करेंगे पूरी, जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं भगवान शिव जी का प्रिय महीना सावन माह चल रहा है। यह महीना भगवान शिव जी की पूजा-अर्चना करने का विशेष माना गया है। सावन के महीने का भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस महीने में शिव मंदिरों के अंदर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। लोग भगवान शिव जी की विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक करके उनको प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर भगवान शिवजी किसी व्यक्ति की पूजा से प्रसन्न हो जाते हैं तो उस व्यक्ति के जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

वैसे देखा जाए तो सावन के महीने का हर दिन भगवान शिव जी की पूजा के लिए बहुत ही विशेष माना गया है परंतु सावन सोमवार के अलावा भी इस महीने की कुछ खास तिथियां होती हैं जो भोले बाबा की आराधना के लिए सबसे विशेष मानी जाती हैं। इन्हीं में से सावन की शिवरात्रि प्रमुख तिथि मानी गई है। इस बार सावन की शिवरात्रि 6 अगस्त को है।

यदि आप किसी वजह से सावन सोमवार या मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत नहीं कर पाए हैं तो ऐसी स्थिति में सावन शिवरात्रि के दिन व्रत करके संपूर्ण लाभ पा सकते हैं। धार्मिक शास्त्रों में सावन शिवरात्रि के व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। अगर इस दिन विधि-विधान पूर्वक शिव परिवार की पूजा की जाए तो इससे व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से सावन शिवरात्रि के लिए जरूरी पूजा सामग्री, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताने वाले हैं।

जानिए कब मनाई जाएगी सावन शिवरात्रि

आपको बता दें कि हर महीने की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव जी की भक्त पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस बार चतुर्दशी तिथि का आरंभ शुक्रवार को शाम 6:28 बजे पर हो रहा है और इसका समापन अगले दिन 7 अगस्त दिन शनिवार को शाम 7:11 बजे पर होगा यानी कि 6 अगस्त को सावन शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा।

जानिए आवश्यक पूजा की सामग्री

सावन शिवरात्रि का व्रत करने वाले लोगों को पूजा में जरूरी पूजा सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी। आप पूजा में फूल, पंच फल, पंचमेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, दही, शुद्ध घी, शहद, गंगाजल, पवित्र जल, पंचरस, इत्र, गंध, रोली, मोली, जनेऊ, पंच मिष्ठान, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेल, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, कपूर, धूप, चंदन, शिव और माता पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि एकत्रित कर लें।

इस विधि से करें पूजा

1. आपको बता दें कि भगवान शिव जी की पूजा में त्रिपुंड का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। पूजा करने से पहले आप चंदन या विभूत दाएं हाथ की तीन उंगलियों में लेकर सिर के बाएं तरफ से दाएं तरफ त्रिपुंड लगाएं।

2. भगवान शिव जी का अभिषेक करने के पश्चात आप उनको भी चंदन से त्रिपुंड लगाएं।

3. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव जी की पूजा में त्रिपुंड लगाए बिना अभिषेक पूर्ण नहीं माना जाता है।

4. आप सावन शिवरात्रि पर दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक कीजिए। अभिषेक करते समय आप “ओम नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का जाप कीजिए।

5. इसके बाद आप भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवजी को चढ़ाएं।

6. इसके बाद आप शिवलिंग पर फल, फूल और अक्षत अर्पित कीजिए और भगवान को इत्र चढ़ाए।