कोरोना से खो दिया 26 साल का एकलौता बेटा, फिर 60 साल की उम्र में फिर से बने माता-पिता

करोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोरोना महामारी के दौरान लोगों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा है। जब कोरोना ने देश में दस्तक दी थी, तो लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया था, जिससे लोगों का कामकाज ठप हो गया था, जिसके चलते दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी लोगों के लिए काफी मुश्किल हो रहा था। धीरे-धीरे ऐसा लग रहा था कि अब लोगों को कोरोना से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन कोरोना की कोई दूसरी लहर को सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुई।

कोरोना महामारी के दौरान बहुत से लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया। बहुत से लोग तो ऐसे भी थे जिन्होंने लोगों की सेवा करते हुए कोरोना संक्रमित होकर दुनिया को अलविदा कह दिया। कोरोना की वजह से किसी ने अपने माता-पिता, भाई-बहन को खो दिया तो किसी ने अपने बच्चों को खो दिया। जिन लोगों ने कोविड-19 में अपने जवान बच्चों को खोया, उन पर क्या बीत रही होगी इसके बारे में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।

ठीक ऐसी ही कहानी अहमदाबाद के भगोरा दंपत्ति की है, जिन्होंने कोरोना की दूसरे लहर के दौरान अपने 26 साल के जवान बेटे को खो दिया। उनका बेटा कोरोना महामारी के दौरान लोगों की मदद में जुटा हुआ था। जवान बेटे की मृत्यु की वजह से पिता मगनभाई भगोरा और मां रेखाबेन को गहरा सदमा लगा।

मां रेखाबेन तो अपने बेटे के लिए बहू की तलाश कर रही थी। लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि कोरोना उनके बेटे को निगल जाएगा। उनका बेटा अब इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर चला गया। बेटे की मौत की वजह से मां रेखाबेन को गहरा धक्का लगा था। लेकिन अब उन्हें 60 साल की उम्र में फिर से माता-पिता बनने का सुख प्राप्त हुआ है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना की वजह से जवान बेटे की मृत्यु हो गई तो उसके बाद उन्हें किसी ने IVF के बारे में जानकारी दी। भगोरा दंपत्ति ने इसकी मदद से बेटे को जन्म देने का निर्णय लिया। मगनभाई के रिटायरमेंट के अगले दिन ही उनके घर में बेटे का जन्म हुआ। एक मीडिया से बातचीत के दौरान मगनभाई भगोरा ने यह बताया कि उन्हें एक शिक्षक मित्र में आईवीएफ के बारे में जानकारी दी थी।

उन्होंने बताया इसके बाद वह अहमदाबाद के एक अस्पताल गए और डॉक्टर्स ने कुछ जांच और टेस्ट कराए। आईवीएफ की मदद से उनके घर में फिर से किलकारी गूँज उठी। उनका ऐसा मानना है कि भगवान ने उनके बेटे को उनके पास वापस लौटा दिया है।

वहीं आईवीएफ साइंस तकनीक से इलाज करने वाले डॉक्टर मेहुल दामिनी के अनुसार, 50 की उम्र में महिलाओं को गर्भधारण करने में कई जटिल समस्याएं आती हैं लेकिन रेखाबेन के गर्भाशय की स्थिति बेहतर थी। गर्भधारण के लिए इलाज करने पर सकारात्मक रिजल्ट आया। नौ महीने के गर्भधारण के बाद 1 जुलाई को ऑपरेशन के तहत रेखाबेन ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया।

आपको बता दें कि सरकार ने अप्रैल में ही IVF के कानून में कुछ परिवर्तन किए हैं। द असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) एक्ट पारित किया, जिसके तहत संशोधन करने पर 50 या उससे अधिक महिलाओं पर आईवीएफ ट्रीटमेंट पर रोक लगा दी है परंतु रेखाबेन भगोरा ने इससे पहले ही ट्रीटमेंट ले लिया था। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि रेखाबेन की उम्र 60 साल के करीब है और उन्हें इस उम्र में IVF की मदद से फिर से संतान सुख की प्राप्ति हुई है।