हो जाएं सावधान! भारत में करीब 5 करोड़ लोगों को हो गई है ये गंभीर बीमारी

आज की भागदौड़ वाली जिंदगी के बीचे डिप्रेशन यानि तनाव के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं लेकिन इसके बारे में ज्यादा जागरुकता नहीं होने से कई बार लोगों को पता ही नहीं चलता कि अवसाद से पीड़ित है। आए दिन ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें लोग डिप्रेशन के कारण खौफनाक कदम उठाते हुए अपनी जान तक ले लेते हैं। इस संसार में हर मनुष्‍य समय-समय पर कुछ देर के लिए उदास या हताश का अनुभव करता है लेकिन यही उदासी किसी के साथ अगर लंबे समय तक लगातार बनी रहती है तो ये नकारात्मक सोच, दुखी मनोदशा में बदलने लगती है और इस तरह के लक्षणों से डिप्रेशन उत्‍पन्‍न होता है।

कई बार यह भी देखा जाता है कि परिवार में माता-पिता या कोई अन्य सदस्य डिप्रेशन (अवसाद) से पीडि़त होता है तो बच्चों में ऐसा होने का खतरा रहता है। प्राकृतिक तौर पर महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा अवसाद की शिकार कम बनती हैं, लेकिन अवांछित दबावों से वह इसकी शिकार हो सकती हैं। इस कारण प्रायः माना जाता है कि महिलाओं को अवसाद जल्दी आ घेरता है। इसके विपरीत पुरुष अक्सर अपनी अवसाद की अवस्था को स्वीकार करने से संकोच करते हैं। अवसाद अक्सर दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर्स की कमी के कारण भी होता है। न्यूरोट्रांसमीटर्स दिमाग में पाए जाने वाले रसायन होते हैं जो दिमाग और शरीर के विभिन्न हिस्सों में तारतम्यता स्थापित करते हैं। वहीं इसके होने के अन्‍य कई सारे कारण भी होते हैं।

तो आइए जानते हैं क्‍या है इसके कारण

अगर आपके आसपास खुशनुमा माहौल है या कोई मजाक कर रहा है फिर भी आपके चेहरे पर न मुस्कान और न ही हंसी आती है। अगर आपको लगता है कि आपकी जिंदगी में कुछ भी आपको खुशी नहीं दे रहा है और आप लगातार उदास हैं तो आप डिप्रेशन के शिकार हैं। इस बिमारी के दौरान व्‍यक्ति में चिड़चिड़ाहट आ जाता है जिसके कारण आपके आसपास के लोग दूर होने लगते हैं। आप भी किसी को अपने पास नहीं आने देना चाहते। छोटी-छोटी चीजें अगर आप चिड़चिड़ा बना देती हैं, या सुबह उठते ही आपका मूड ऑफ रहता है जो दिन पर बना रहता है, किसी की कंपनी भी आपको नहीं भाती है तो ये डिप्रेशन के संकेत हैं। आप ज्यादातर अकेले रहते हैं और किसी सोशल मीट का हिस्सा भी नहीं बनते तो सतर्क हो जाइए, क्योंकि ये अवसाद की निशानी है।

लक्षण

इस बिमारी में खासकर सबसे पहले तो नींद नहीं आता है व साथ ही व्‍यक्ति सुबह जल्दी उठ जाता है, किसी काम को धीरे-धीरे करना, भूख में कमी, लगातार वजन कम होना, थकान महसूस होना, अपच, मुंह सूखना, कब्ज, अतिसार, मासिक धर्म की अनियमितता, सिर, पेट, सीने, पैरों, जोड़ों में दर्द, भारीपन, पैरों में पसीना, सांस लेने में दिक्कत आदि।

ये बीमारी जो धीरे-धीरे व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देती है, आप कब खुद को सबसे अलग और असहाय महसूस करने लगते हैं आप खुद नहीं जानते, इस बीमारी ने किस कदर लोगों की जिंदगी पर हावी हो रहा है। दुनिया में 32 करोड़ अवसादग्रस्त लोगों में से पांच करोड़ से अधिक भारत में रहते हैं।