कौन-कौन से हैं शादी के सात वचन, जानिए क्यों दिलाए जाते हैं वर-वधु को ये वचन

जैसा कि हम सभी लोग यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि शादी जीवन का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है। लड़का हो या लड़की, दोनों की यही चाहत होती है कि उन्हें एक अच्छा जीवनसाथी मिले। जिंदगी में एक पड़ाव ऐसा आता है, जब यह सपना सच हो जाता है। अपने सगे-संबंधियों और खास दोस्तों के सामने वर-वधू सात फेरे लेते हैं, जिनका हिंदू शादी में एक महत्वपूर्ण स्थान होता है।

जब लड़की की शादी हो जाती है तो उसके बाद सब कुछ छोड़ कर एक नए परिवार में जाती है और वहां के नियमों, संस्कारों को अपनाती है। शादी में अग्नि को साक्षी मानकर अपनों के बीच वर-वधू सात फेरों के दौरान एक दूसरे से जिंदगी भर साथ निभाने के साथ 7 वचन लेते हैं और एक नए रिश्ते की शुरुआत करते हैं। हर एक फेरे के साथ वर-वधू एक दूसरे को एक नया वचन देते हैं।

शादी के यह सात वचन वर और वधू दोनों को एक दूसरे के अधिकारों, कर्तव्य और अहमियत के बारे में बताते हैं। आपको बता दें कि शादी के तीन फेरों में कन्या वर से आगे रहती है और चार फेरों में वह वर के पीछे चलते हुए वचन मांगती है। इसके बाद ही यह रिश्ता बनता है और दो लोग एक दूसरे के सुख दुख के साथी बन जाते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से वो सात वचन कौन-कौन से हैं? इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

पहला वचन

सबसे पहले फेरे में कन्या फेरे में आगे चलती हैं और वह अपने होने वाले जीवनसाथी से यह वचन मांगती है कि अगर वह कभी तीर्थयात्रा करने जाए तो उसे भी अपने साथ लेकर जाएं। अगर वर कोई हवन, पूजा या अन्य कोई धर्म कार्य करें तो वो आप मुझे अपने साथ रखेंगे। फिर कन्या वर से पूछती है कि अगर उसे यह स्वीकार है तो वह उनके वामांग में आना स्वीकार करती है।

दूसरा वचन

दूसरे वचन में दुल्हन, दूल्हे से वचन लेती है कि मैं जिस तरह से अपने माता-पिता का सम्मान करती आई हूं, उसी तरह से आपके माता-पिता और परिजनों का सम्मान करुँगी, घर की मर्यादा का ध्यान रखूंगी। लेकिन मेरी ही तरह आप भी मेरे माता-पिता का सम्मान करेंगे और घर परिवार को अपना मानेंगे। अगर आपको ये स्वीकार है तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

तीसरा वचन

दुल्हन तीसरे वचन में यह कहती है कि दूल्हा उसे वचन दे कि जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था) में वर उसका पालन करता रहे। अगर वह इसे स्वीकार करता है तो कन्या उसके वामांग में आना स्वीकार करती है।

चौथा वचन

चौथे वचन में दूल्हा आगे आ जाता है। इसके बाद दुल्हन पति से वचन मांगते हुए कहती है कि अब तक आप घर परिवार की चिंता से मुक्त थे। विवाह के बाद परिवार की जरूरतों को पूरा करने का दायित्व आप पर होगा। अगर आप इस भार को संभालने में सक्षम हैं और इसे वहन करने की प्रतिज्ञा आप लेते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

पांचवा वचन

पांचवे वचन में वर से कन्या परिवार को सुखी बनाए रखने के लिए वचन लेती है, जिसमें वह कहती है कि अपने घर के कार्य में विवाह आदि, लेन-देन और किसी अन्य चीज पर खर्चा करते समय अगर आप मेरी भी राय लिया करेंगे तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

छठा वचन

शादी के छठे फेरे में दुल्हन यह कहती है कि अगर मैं किसी समय अपनी सहेलियों या अन्य महिलाओं के साथ बैठी रहूं, तो आप किसी के सामने किसी भी वजह को लेकर मेरा अपमान नहीं करेंगे। इसके अलावा आप अपने आपको जुआ या किसी अन्य प्रकार की बुराइयों से दूर रखेंगे। अगर आप यह वचन देते हैं, तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

सातवां वचन

सातवें और आखिरी वचन के रूप में दुल्हन दूल्हे से यह वचन मांगती है कि वह पराई महिलाओं को अपनी मां सामान समझेंगे और पति-पत्नी के आपसी प्रेम के बीच किसी को भागीदार नहीं बनाएंगे। अगर आप मुझे यह वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।