70 वर्षीय बुजुर्ग की खुद्दारी जीत लेगी दिल, पेट भरने के लिए बेच रहे अगरबत्ती, नहीं लेते किसी से मदद

बचपन में खेलना-कूदना सबको प्यारा लगता है। वहीं जवानी की शान ही निराली होती है। लेकिन बुढ़ापा किसी को अच्छा नहीं लगता। अच्छा लगे या ना लगे, बुढ़ापे से कोई नहीं बच सकता। हर कोई यही चाहता है कि जब वह बूढ़ा हो जाए तो अपना जीवन अच्छे तरीके से व्यतीत करे। लोग यही चाहते हैं कि बुढ़ापे में हर काम से रिटायर होकर वह आराम की जिंदगी जिएं।

लेकिन जिन बुजुर्गों का देखभाल करने वाला कोई नहीं होता वह भी किसी की मदद की उम्मीद में रहते हैं, क्योंकि बुढ़ापे में कोई भी काम कर पाना उनके लिए संभव नहीं हो पाता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे बुजुर्ग की कहानी बताने जा रहे हैं, जो 70 साल की उम्र में भी किसी की मदद नहीं लेते हैं। यह बुजुर्ग सड़कों पर खड़े रहकर अगरबत्ती बेचते हैं। इसी से वह अपना खर्च निकालते हैं।

40 साल से अगरबत्ती बेच गुजारा कर रहे प्रवीण

दरअसल, आज हम आपको जिस बुजुर्ग के बारे में बता रहे हैं उनका नाम प्रवीण लाड है, जो मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के नागझिरी क्षेत्र के रहने वाले हैं। प्रवीण लाड जैसे बुजुर्ग इतने स्वाभिमानी होते हैं, कि वह सिर्फ अपनी कमाई से अपना जीवन निर्वहन करना सही समझते हैं। प्रवीण लाड की खुद्दारी की कहानी हर किसी के लिए एक प्रेरणा है। प्रवीण लाड पिछले 40 सालों से शहर के कमल तिराहा गांधी चौक फव्वारा चौक क्षेत्र के पास सड़कों पर खड़े रहकर अगरबत्ती बेचते हैं, इसी वो अपना खर्च निकालते है।

प्रवीण लाड शाम के समय बाजार में घूम-घूमकर अगरबत्ती बेचते हैं। सबसे खास बात यह है कि यह प्रत्येक अगरबत्ती के पैकेट पर मात्र 2 रुपए कमाते हैं। इनकी अगरबत्तियां इतनी खुशबू वाली होती हैं कि लोग इन्हें बाजार में ढूंढ कर इनसे ही अगरबत्ती खरीदते हैं। दिन भर में यह 150 रुपए कमा लेते हैं, जिससे वह खुद का खर्च पूरा करते हैं।

नहीं लेते किसी से मदद

वहीं खास बात यह है कि 70 साल के बुजुर्ग प्रवीण लाड किसी से मदद भी नहीं मांगते, वह खुद अपना घर का काम पूरा करने के बाद शाम के वक्त बाजार में अपने हाथों में अगरबत्ती लेकर आवाज लगाकर अगरबत्ती बेचते हैं। इस अगरबत्ती के बचे हुए मुनाफे से वह अपने लिए सामग्री खरीदते हैं। प्रवीण लाड बुरहानपुर और महाराष्ट्र के जलगांव से 5 वैरायटी की अगरबत्तीयां खरीदते हैं और इनको बुरहानपुर के बाजार में बेचकर अपनी दिनचर्या चला रहे हैं। लोगों के बीच इनकी खुशबू वाली अगरबत्ती की मांग बहुत ज्यादा है।

30 साल की उम्र शुरु किया था ये काम

प्रवीण लाड ऐसा बताते हैं कि उन्होंने 30 वर्ष की आयु में ही अगरबत्ती बेचने का काम शुरू कर दिया था। पहले वह दूसरों के यहां पर मजदूरी किया करते थे। लेकिन उन्होंने अगरबत्ती बेचने का अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया, जिससे वह अब 6 घंटे में 150 रुपए कमा रहे हैं। रिपोर्ट्स की मानें, तो प्रवीण लाड की पत्नी चंदा लाड का साल 2021 में निधन हो गया था, जिसके बाद वह अकेले पड़ गए।

70 वर्षीय प्रवीण लाड दूसरों से मदद लिए बिना खुद कमा कर अपना पेट भर रहे हैं। यह युवाओं के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। शहर के बाजार में उन्हें लोग अगरबत्ती वाले दादा के नाम से भी बुलाते हैं और इन्हीं से अगरबत्ती खरीदना पसंद करते हैं।