Chanakya Niti: ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखने में ही है भलाई, अन्यथा हो जाएंगे बर्बाद

आचार्य चाणक्य अपने जमाने के एक महान विद्वान थे और इनके द्वारा बताई गई नीतियां वर्तमान समय में भी लोगों के जीवन में लागू होती हैं। इन्होंने अपने जीवन में बड़ी सी बड़ी समस्याओं को अपनी बुद्धिमानी के बल पर आसानी से हल कर दिया। अगर इनकी कूटनीति और राजनीति को अच्छी तरह से समझ लिया जाए तो व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी धोखा नहीं खा सकता। आचार्य चाणक्य ने अपनी कूटनीति और राजनीति के बलबूते इतनी कम उम्र में ही चंद्रगुप्त को उन्होंने शासक के रूप में स्थापित किया था। आचार्य चाणक्य ने कई शास्त्र लिखे हैं, जिसमें से नीति शास्त्र बहुत लोकप्रिय है।

आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जो भी बातें बताई हैं, अगर उनको ठीक प्रकार से समझ लिया जाए तो जीवन के कठिन दौर पर में यह काम आएंगी। उन्होंने मनुष्य के जीवन से संबंधित बहुत सी बातों का उल्लेख नीति शास्त्र में किया है। वर्तमान समय में भी आचार्य चाणक्य की शिक्षाएं बहुत महत्व रखती हैं। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में इस बात का जिक्र किया है कि कुछ लोगों से दूर रहना ही भलाई होती है अन्यथा इसकी वजह से मनुष्य को नुकसान झेलना पड़ेगा। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से किस तरह के लोगों से दूरी बना कर रखना चाहिए? इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं चाणक्य ने नीति शास्त्र में किन लोगों के बारे में बताया है।

आचार्य चाणक्य अनुसार इस तरह के लोगों से तुरंत बना लेनी चाहिए दूरी

1. आचार्य चाणक्य जी का ऐसा कहना है कि जो व्यक्ति दुराचारी है, जो व्यक्ति दुष्ट स्वभाव वाला है, उससे हमेशा ही दूरी बना कर रखना चाहिए क्योंकि इस तरह के लोग बिना किसी वजह से ही दूसरों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं। अगर कोई व्यक्ति इस तरह के लोगों से दोस्ती रखता है तो उनको नुकसान झेलना पड़ेगा। अगर श्रेष्ठ पुरुष ऐसे लोगों से दोस्ती रखता है तो वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि संगति का प्रभाव जरूर पड़ता है।

2. आचार्य चाणक्य का ऐसा कहना है कि मित्र के रुप में छिपा हुआ शत्रु बहुत खतरनाक साबित होता है। इस तरह के लोग खीर में मिले हुए विष के समान होते हैं, जो खाने में तो मीठा लगता है परंतु उससे जीवन की लीला खत्म हो जाती है। अगर आपको ऐसे लोगों के बारे में पता लगता है तो तुरंत ही उन लोगों से दूरी बना लेने में ही भलाई है अन्यथा आपको नुकसान झेलना पड़ेगा।

3. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में एक उदाहरण के जरिए यह समझाया है कि दुष्ट और सांप में से अगर किसी को चुनना है तो सबसे अच्छा सांप को चुना जाए क्योंकि सांप के विष के बारे में हम सभी लोगों को भलीभांति जानकारी होती है। सांप एक ही बार डंसता है परंतु दुष्ट व्यक्ति हर समय नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार रहता है। दुष्ट लोगों के मुंह पर मिठास रहती है। उनकी वाणी से ऐसा लगता है कि जैसे रस बरस रहा हो, परंतु इन लोगों के मन में दुर्भावनाएं होती हैं। दुर्जनो से हमेशा बचकर रहना चाहिए क्योंकि यह हमेशा नुकसान पहुंचाते हैं।