दिन में चराती हैं बकरियां, टॉर्च की रोशनी में करती थी पढ़ाई, बिना संसाधनों के गरीबी में जीकर लड़की ने किया टॉप

ऐसा कहा जाता है कि मजबूत हौसलों और कड़ी मेहनत के दम पर ही इंसान अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है। इस बात को सच साबित कर दिखाया है राजस्थान के अलवर की रवीना ने। यह एक ऐसे ही प्रतिभा का जीता जागता उदाहरण हैं। रवीना ने बिना संसाधनों के गरीबी में जीकर 12वीं बोर्ड आर्ट्स में 93 फ़ीसदी अंक लाकर देशभर में अपने परिवार का नाम रोशन कर दिया है। हालांकि, उनके लिए यह सब बिल्कुल भी आसान नहीं था। उन्होंने इसके लिए अपने जीवन में कड़ा संघर्ष किया है।

रवीना की यह सफलता बहुत खास है क्योंकि इसे पाने के लिए उन्होंने अपने जीवन में बहुत सी कठिनाइयां झेली हैं। 12 साल पहले ही पिता का साया सिर से उठ गया और दिनभर बकरियां चराने के बाद भी रवीना ने यह सफलता हासिल की। संसाधनों की बात की जाए तो उसके घर में बिजली कनेक्शन नहीं है।

ऐसे में वह मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में रात को पढ़ाई करती थीं। कड़े संघर्ष के बाद उन्हें यह सफलता हासिल हुई है और उन्होंने यह साफ कर दिया है कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती। तो चलिए हम आपको रवीना की सफलता से भरी संघर्ष की कहानी बताते हैं।

आपको बता दें कि 17 साल की रवीना गुर्जर जिले के नारायणपुर कस्बे के पास स्थित गढ़ी मामोड़ गांव की रहने वाली है। रवीना ने गांव के ही सरकारी स्कूल से 12वीं की पढ़ाई की है। 12 साल पहले सांप के डसने से उसके पिता रमेश की मृत्यु हो गई थी। वह अपने पीछे 4 बच्चे और अपनी पत्नी को छोड़कर चले गए। पूरा परिवार गांव में बनी एक झोपड़ी नुमा घर में रहता है। वहीं रवीना की मां हार्ट की मरीज है। हार्ट के दोनों वॉल्व खराब होने के कारण उनका ऑपरेशन हो चुका है।

परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। सभी एक झोपड़ी नुमा घर में रहते हैं। रवीना अपनी बीमार मां के साथ-साथ अपने दो भाई-बहनों का भी ध्यान रखती है। वह भी सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं उसकी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि उनके पास इतने भी पैसे नहीं है जो बिजली कनेक्शन करा सके। इसी कारण घर में लाइट नहीं है।

सुबह उठकर रवीना घर के सारे काम करती है। खाना-पीना बनाती है और फिर बकरियां चराने के लिए चली जाती है। शाम को वहां से वापस आने के पश्चात फिर घर के सारे काम करती है। इसके बाद रात में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में बैठकर करीब 3 घंटे पढ़ाई करती है। बता दें रवीना के परिवार की स्थिति ऐसी है कि घर का खर्च पालनहार योजना से मिलने वाले ₹2000 में ही चलता है। उसे पढ़ाई करने के लिए मोबाइल नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के सहयोग से मिला उ.सी मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में उसने पढ़ाई की और 93 फ़ीसदी नंबर लाकर नारायणपुर उपखंड में टॉप किया है।

आज पूरा गांव रवीना की सफलता पर बधाई देते हुए नहीं थक रहा है। विपरीत परिस्थितियों में पढ़ाई कर टॉप करने वाली रवीना के गांव में उसके ही चर्चे हो रहे हैं। हर कोई बच्चों को उससे सीख लेने के लिए कह रहा है। रवीना की दादी जाना देवी (90) का ऐसा बताना है कि उसकी पोती रवीना 12वीं कक्षा में टॉपर आने पर ख़ुशी के आंसुओं को रोक नहीं पाई और उसने बेटी को आशीर्वाद दिया। रवीना पुलिस सेवा में भर्ती होकर जनता की सेवा करना चाहती है। गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गढ़ी में पढ़ने वाली रवीना के स्कूल टीचर उसके टॉप करने की बधाई देने घर पहुंचे तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।