IPS आदित्य: 30 परीक्षाओं में असफल होने के बावजूद भी नहीं मानी हार, हर समस्या को हराकर बन गए IPS

हर इंसान के जीवन में हार और जीत लगी रहती है। कोई इंसान अपने जीवन में पहले प्रयास में ही सफलता प्राप्त कर लेता है तो कई लोगों को बार-बार प्रयास करने के बावजूद भी कामयाबी नहीं मिलती है, परंतु असफलता का सामना करके ही व्यक्ति अपने जीवन में आगे बढ़ सकता है। अगर नाकामयाबी की वजह से इंसान हार मान जाए तो वह अपने जीवन में कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता। जिस तरह एक जीत पूरी जिंदगी को नहीं बदल सकती, उसी तरह एक हार भी जीवन को खत्म नहीं करती। इसलिए जीवन में हमेशा लड़ते रहना चाहिए। जीवन में कोई भी समस्या उत्पन्न हो, हमें उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए।

इंसान हार कर ही संभलना सीखता है, और अपने जीवन में और बेहतर करने की कोशिश करता है। आज हम आपको एक ऐसे इंसान के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिन्होंने 30 परीक्षाओं में असफलता का सामना की किया, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। लगातार कोशिश करते करते इन्होंने हर समस्या को हराकर सफलता हासिल की। आज हम आपको जिनके बारे में जानकारी दे रहे हैं उनका नाम आईपीएस आदित्य है।

सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं आईपीएस आदित्य

आईपीएस आदित्य के माता-पिता राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक छोटे से गांव में अध्यापक हैं। बचपन से ही यह गांव की मिट्टी में खेलते-कूदते बड़े हुए हैं। आपको बता दें कि इन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा यही के स्कूल से प्राप्त की, आठवीं तक पढ़ने के बाद भदरा स्थित जिला मुख्यालय स्कूल से आगे की पढ़ाई की। आदित्य को 12वीं राजस्थान बोर्ड की परीक्षा में उन्हें मात्र 67% अंक प्राप्त हुए थे, जो किसी भी विद्यार्थी का मनोबल तोड़ देता है। आदित्य के जितने अंक आए थे ऐसे में उनको सिविल सर्विसेज की तैयारी या फिर इंजीनियरिंग की तैयारी की सलाह कोई नहीं देता परंतु आदित्य ने अपना लक्ष्य चुन लिया था और यह किसी की भी नहीं सुनने वाले थे। अंक कम होने के बावजूद भी इनकी इच्छा शक्ति कम नहीं हुई। यह अच्छी तरह जानते थे कि यह पढ़ाई के माध्यम से ही अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। अच्छी नौकरी से ही यह अपनी अच्छी जिंदगी बना सकते हैं।

पिता का हमेशा रहा साथ

आदित्य शुरुआती समय में इंजीनियर बनना चाहते थे परंतु इनको कामयाबी नहीं मिल पाई। आपको बता दें कि आदित्य के पिताजी ने भी कभी सपना देखा था कि वह सिविल सर्विसेज में जाएंगे, परंतु उनका सपना अधूरा रह गया। पिता यही चाहते थे कि उनके अधूरे सपने को उनका बेटा पूरा करें। पिता ने हमेशा से ही बेटे का साथ दिया। पिता ने समझाया कि इन अधिकारियों का रुतबा क्या होता है और समाज के बदलाव का सबसे पहला हक इन्हें ही मिलता है। पिता की बातों से प्रेरित होकर आदित्य ने यह संकल्प लिया कि वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करेंगे, लेकिन इनके लिए यह सब इतना आसान नहीं था।

30 परीक्षाओं में हुए असफल, लेकिन नहीं टूटी हिम्मत

आदित्य वर्ष 2013 में सिविल सर्विसेज की तैयारी का सपना लिए राजस्थान से दिल्ली आ गए थे और यहां पर अपने सपने को सच करने में जुट गए। आदित्य बहुत मुश्किल परिस्थितियों से गुजर रहे थे, ऐसे में इनको अपना लक्ष्य प्राप्त करना इतना आसान नहीं था। 5 साल के दौरान आदित्य ने 30 परीक्षाओं में असफलता का सामना किया उन्होंने AIEEE, राज्य प्रशासनिक सेवा, बैंकिंग और केंद्रीय विद्यालय संगठन समेत 30 प्रतियोगी परीक्षाएं दी थीं, परंतु सभी में इनको निराशा हाथ लगी। राजस्थान सिविल सेवाओं के लिए भी आदित्य ने कोशिश की थी परंतु दो बार इंटरव्यू राउंड तक भी पहुंचे लेकिन असफलता हाथ लगी थी।

3 बार यूपीएससी परीक्षाओं में हुए असफल

आदित्य का आत्मविश्वास मजबूत था। तीन बार यूपीएससी में असफलता मिलने के बावजूद भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इनको पता था कि इन्हें हर बार नए सिरे से लड़ाई शुरू करनी होगी। इन्होंने अपनी तैयारी का तरीका बदला। असफलताओं के पश्चात जिस चीज ने आदित्य को सबसे ज्यादा परेशान किया था वह था सामाजिक दबाव। बार-बार निराशा हाथ लगने की वजह से उन्हें लोग यूपीएससी छोड़कर कुछ और ट्राई करने की सलाह देते थे। कई बार उन्हें लगा भी था कि कहीं वह अपना समय तो नहीं बर्बाद कर रहे, लेकिन बाद में इन्होंने सभी चीजों से ध्यान हटा कर अपनी तैयारी में फोकस किया। लोगों से संपर्क घटा दिया ताकि उन्हें जानने वाले उन पर दबाव ना बना सके। तैयारी के दौरान वह 20 घंटे पढ़ाई करते थे। तैयारी की रणनीति में भी बदलाव किया। जहां-जहां पर इनको कमी लगती थी उन कमियों को पूरा किया।

आदित्य को अपनी कोशिशों को मिला फल

2017 में आदित्य ने अपनी मेहनत के दम पर यूपीएससी का आखिरी दांव खेला और इस बार इनको ऑल इंडिया 630वीं रैंकिंग के साथ सफलता हासिल हुई। यूपीएससी क्लियर करने के पश्चात आदित्य ने आईपीएस को चुना। आदित्य को पंजाब कैडर मिला और इस समय वह संगरूर के एएसपी के रूप में पदस्थ हैं।